बाइडन की आवाज पड़ी भारी, कंपनी को देना होगा 1 मिलियन डॉलर का जुर्माना
ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर के वोटर्स और पूरे लोकतंत्र को प्रभावित किया जा सकता है.
अमेरिका के फेडरल रेग्यूलेटर्स ने बुधवार को कहा कि जिस कंपनी ने अमरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की नकली आवाज की मदद से न्यू हैम्पशायर के वोटरों को झूठा मैसेज भेजा था उसने 1 मिलियन डॉलर के जुर्माने को भरने के लिए सहमति जता दी है. इस मामले में वॉयस सर्विस प्रोवाइडर, लिंगो टेलिकॉम को जिम्मेदार ठहराया गया है. लिंगो टेलिकॉम ने ही बाइडन की आवाज को रोबोकॉल में बदल कर प्रसारित किया था. फेडरल कम्यूनिकेशन कमिशन (एफसीसी) ने लिंगो टेलिकॉम से शुरुआत में 2 मिलियन डॉलर की फाइन मांगी थी जिसे बाद में 1 मिलियन डॉलर कर दिया गया.
ऐसे मामलों को देख कर कई लोगों का मानना है कि भविष्य में इसका परिणाम काफी चिंताजनक हो सकता है. ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर के वोटर्स और पूरे लोकतंत्र को प्रभावित किया जा सकता है. दूसरी ओर इस मामले को अंजाम देने वाले राजनीतिक सलाहकार स्टीव क्रेमर अभी भी जांच के घेरे में हैं. उनपर फिलहाल 6 मिलियन अमरीकी डॉलर के एफसीसी जुर्माने के साथ-साथ राज्य से जुड़ी आपराधिक आरोप भी लगे हैं.
बता दें कि 21 जनवरी के दिन न्यू हैम्पशायर के हजारों वोटर्स के फोन पर मैसेज भेजे गए थे. उनमें राष्ट्रपति बाइडन की आवाज में झूठा सुझाव दिया जा रहा था. एआई से बनाई गई आवाज में राष्ट्रपति बाइडन वोटरों से अपील कर रहे हैं कि वो राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले प्राथमिक चुनाव में मतदान ना करें. नहीं तो नवंबर के आम चुनाव में उन्हें मतदान करने से रोक दिया जाएगा.
इस काम को अंजाम देने वाले शख्स ने साल की शुरुआत में ही न्यूज एजेंसी द एसोसियेटेड प्रेस को एआई से जुड़ी कुछ जानकारियां दी थी. शख्स ने न्यूज एजेंसी एपी को बताया कि उसने यह काम प्राथमिक चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने के लिए नहीं बल्कि एआई से होने वाले खतरों को उजागर करने के लिए किया था. ऐसा इस लिए भी किया गया था ताकि सांसदों को कार्रवाई के लिए प्रेरित किया जा सके.
वहीं इस मामले में क्रेमर अगर दोषी पाए जाते हैं तो वोटर्स को भटकाने के आरोप में उन्हें सात साल तक के लिए जेल की सजा हो सकती है. दूसरी ओर लिंगो टेलिकॉम ने एफसीसी से सहमत होते हुए कॉलर आईडी से जुड़ी सख्त नियम बनाने की बात मानी है.