तेल के खेल में चीन-अमेरिका की कुश्ती का मैदान बनेगा पाकिस्तान, क्या है ट्रंप के बयान का मतलब और पूरा मामला?
पाकिस्तान ने ऐलान किया है कि उसने अमेरिका के साथ टैरिफ पर डील कर ली है. वहीं, ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ एक ऑयल डील का ऐलान कर दिया है. फिलहाल, इस मसले पर भारत और चीन की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन, क्या वाकई चीन इतनी आसानी से पाकिस्तान को अपनी गिरफ्त से आजाद कर देगा? जानते हैं कैसे इस तरह की कोई भी डील पाकिस्तान के लिए भारी पड़ सकती है?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्लान ने दुनियाभर में उथल-पुथल का माहौल बना दिया है. लेकिन, दिलचस्प रूप से गुरुवार को ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ टैरिफ पर डील का ऐलान किया. इसके साथ ही एक ऑयल डील का ढिंढाेरा पीटते हुए कहा, ‘शायद एक दिन भारत भी पाकिस्तान से ऑयल खरीदे’. ट्रंप खुद को अक्सर ‘चीफ नेगोशिएटर’ कहते हैं. इसके साथ ही बिजनेस सौंदों के लिए पैंतरेबाजी के अपने हुनर पर अक्सर अपनी पीठ भी थपथपा लेते हैं. यह बातें इसलिए जान लेना जरूरी है, क्योंकि पाकिस्तान के पास कुल 35.3 करोड़ बैरल का प्रूवन ऑयल रिजर्व है. जबकि, भारत हर साल 17.66 करोड़ बैरल से ज्यादा तेल आयात करता है. इस तरह पाकिस्तान का रिजर्व भारत के लिए पूरे दो साल की आपूर्ति भी नहीं दे सकता है.
बहरहाल, यहां मुद्दा यह है कि ऑयल रिजर्व के मामले में दुनिया में 50वें स्थान पर आने वाले पाकिस्तान के साथ ट्रंप डील क्यों कर रहे हैं, जबकि ट्रंप ने अपने पिछले टर्म में पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली तमाम तरह की आर्थिक मदद रोक दी थी और पाकिस्तान को आंतकियों को पालने वाला देश करार दिया था. आखिर ट्रंप अचानक क्यों पाकिस्तान के इतने बड़े हितैषी बन गए हैं?
पाकिस्तान के बहाने दबाव है बनाना है?
US Trade Office के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान और अमेरिका के बीच 2024 में कुल 7.3 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. अमेरिका के लिए पाकिस्तान कारोबार के लिहाज से शीर्ष 30 देशों की सूची में भी शामिल नहीं है. ऐसे में जाहिर तौर पर ट्रंप, जो खुद को ‘चीफ नेगोशिएटर’ कहते हैं, असल में पाकिस्तान के बहाने भारत और चीन दोनों पर निशाना लगा रहे हैं. एक तरफ ट्रंप भारत को संदेश देना चाहते हैं कि अगर भारत ने ट्रेड डील नहीं की, तो अमेरिका पाकिस्तान को प्रमोट करेगा. वहीं, चीन के लिए भी संदेश है कि अमेरिका चाहे, तो पाकिस्तान को चीन की गिरफ्त से बाहर ला सकता है, जिससे चीन का महत्वाकांक्षी ‘बेल्ड एंड रोड’ इनिशिएटिव धराशायी हो सकता है. इसके अलावा, चीन के पास भारत के खिलाफ जो स्ट्रैटिजिक एडवांटेज है, वह भी नहीं रहेगी.

क्या चीन चुप बैठा रहेगा?
CPEC यानी चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर पर चीन अब तक करीब 70 अरब डॉलर खर्च कर चुका है. इसके अलावा पाकिस्तान को आर्थिक व सैन्य मदद भी करता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जब डील के मुताबिक अमेरिकी कंपनी पाकिस्तान में ऑयल एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन करेंगी, तो चीन चुपचाप तमाशा देखता रहेगा? जबकि, चीनी सेना और तमाम चीनी कंपनियां पहले से ग्वादर, बलोचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वाह और अरब सागर में मौजूद हैं. पिछले वर्ष सितंबर में भी जब पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसकी जलीय सीमा में बड़ा ऑयल भंडार मिला है, तो वह सर्वे भी चीन की सरकारी कंपनी चाइना कोलफील्ड जियोलॉजी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन ने किया था. इसके अलावा चीनी कंपनी China Zhenhua Oil Co Ltd और China National Petroleum Corporation 2007 से ही पाकिस्तान में तेल की खोज और खनन में जुटी हैं. ऐसे में इस बात की संभावना बहुत कम है कि चीन आसानी से पाकिस्तान में अमेरिकी कंपनियों को पैर रखने देगा.
क्या अखाड़ा बन जाएगा पाकिस्तान?
अमेरिकी इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जब भी अमेरिकी कंपनियों और बिजनेस पर किसी देश में संकट आता है, तो अमेरिकी सेना वहां पहुंच जाती है और उस देश को जंग का मैदान बना देती है. वहां, तब तक जंग की जाती है, जब तक अमेरिकी कंपनियों को जो चाहिए वह हासिल नहीं हो जाता है. तमाम खाड़ी देशों में हुए युद्ध और वहां अमेरिकी ऑयल कंपनियों के दबदबे के बीच यह सह-संबंध साफ नजर आता है. ऐसे में अगर वाकई पाकिस्तान में ऐसे बड़े रिजर्व हैं, जिनमें अमेरिका रुचि ले रहा है, तो यह पाकिस्तान के लिए चिंता की बात होगी, क्योंकि ऐसा हुआ, तो पाकिस्तान चीन और अमेरिका के बीच जंग का मैदान बन सकता है.
भारत पर क्या होगा असर?
अगर ट्रंप के दावे के मुताबिक पाकिस्तान में अमेरिकी कंपनियां ऑयल प्रोड्यूस करती हैं, तो इससे भारत को खास फर्क नहीं पड़ने वाला है. हालांकि, अगर वहां अमेरिकी दबदबा बढ़ता है, तो अरब सागर में भारत के लिए चीन को काउंटरवेट करना और आसान हो जाएगा. क्योंकि, भले ही ट्रंप व्यापार के मोर्चे पर भारत से भले ही झगड़े वाले सुर में बात कर रहे हैं. लेकिन, डिफेंस और स्ट्रैटिजिक इंट्रेस्ट भारत के साथ अलाइन करते हैं. ऐसे में पाकिस्तान में अमेरिका बढ़ी हुए मौजूदगी असल में भारत के लिए नुकसान की बात नहीं है. QUAD हो या कोई और रणनीतिक मंच, अमेरिका हर हाल में चीन के खिलाफ भारत के साथ खड़ा दिखता है. इसके अलावा सेमीकंडक्टर से लेकर जेट इंजन तक के जो अहम समझौते हुए हैं, वे भी अपनी गति से चल रहे हैं. ऐसे में ट्रंप इस तरह की पैंतरेबाजी के जरिये भारत पर ट्रेड डील का दबाव बनाना चाहते हैं. लेकिन, दिन के अंत में यह बात जग जाहिर है कि कुछ ही वर्ष पहले अफगानिस्तान से निकालने के बाद अमेरिका अपनी सेना को किसी भी सूरत में फिर से इस खित्ते में लौटना नहीं चाहेगा.
Latest Stories

ट्रंप के टैरिफ से थर्राया अमेरिकी बाजार, S&P 500, Dow Jones और नैस्डेक में भारी गिरावट, क्रूड भी लुढ़का

ट्रंप ने 70 से ज्यादा देशों के लिए नए टैरिफ पर किए साइन, भारत समेत किस पर कितना टैरिफ, लिस्ट में चीन का नाम नहीं

ट्रंप का डबल अटैक: पाकिस्तान के साथ किया तेल सौदा, कहा भारत को एक दिन बेचेगा तेल
