अब मवेशियों को भी मिलेगी सस्ती दवा! सरकार के ‘पशु औषधि केंद्र’ से कैसे मिलेगा फायदा?
भारत में पशुपालकों के लिए सरकार ने एक नई योजना की घोषणा की है, जिससे लाखों किसानों को फायदा होगा. यह कदम पशुधन स्वास्थ्य में सुधार लाने के उद्देश्य से उठाया गया है. जानिए इस योजना से कैसे मिलेगा लाभ

Pashu Aushadhi scheme: भारत में पशुपालन और डेयरी उद्योग करोड़ों लोगों की आजीविका का प्रमुख स्रोत है, लेकिन पशुओं की सेहत पर अक्सर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना जरूरी है. सरकार ने अब इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है. जन औषधि केंद्रों की तर्ज पर देशभर में “पशु औषधि केंद्र” खोले जाएंगे, जहां पशुओं के लिए किफायती जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. इस पहल का उद्देश्य पशुपालकों की मदद करना और मवेशियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है.
यह योजना प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (PMBJK) की तरह होगी, जहां इंसानों के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाएं मिलती हैं. पशु औषधि केंद्रों पर जेनरिक दवाओं के अलावा पारंपरिक चिकित्सा सिस्टम पर आधारित एथनोवेटरनरी मेडिसिन भी मिलेगी जो पशु रोगों के इलाज में सहायक होगी.
पशुओं के स्वास्थ्य सुधार की दिशा में कदम
यह पहल केंद्र सरकार की लाइवस्टॉक हेल्थ एंड डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (LHDCP) का हिस्सा है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी है. 2019 के 20वें पशुधन गणना के मुताबिक, भारत में कुल पशुधन आबादी 53.57 करोड़ है, जिसमें 30.27 करोड़ बोवाइन (गाय, भैंस, मिथुन और याक) शामिल हैं. पशु औषधि केंद्र इनकी सेहत सुधारने में अहम भूमिका निभाएंगे.
पशु औषधि केंद्रों का संचालन सहकारी समितियों और प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (PMKSK) द्वारा किया जाएगा. सरकार जल्द ही इन केंद्रों के संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगी ताकि पशुपालकों को सुचारू रूप से दवाएं मिल सकें.
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पारंपरिक इलाज को भी मिलेगा बढ़ावा
इन केंद्रों पर आधुनिक जेनरिक दवाओं के साथ-साथ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित दवाएं भी मिलेंगी. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने कई बीमारियों के लिए एथनोवेटरनरी फॉर्मूलेशन तैयार किए हैं जिनका इस्तेमाल मवेशियों के एफएमडी मुंह के घाव, एफएमडी पैर के घाव/घाव, बुखार, दस्त, सूजन और अपच, और कीड़ों जैसी समस्याओं के इलाज में किया जाएगा. पशु औषधि केंद्र योजना पशुपालकों के लिए एक राहतभरी खबर है. इससे पशु चिकित्सा सेवाओं तक पहुंच आसान होगी और किसानों पर वित्तीय बोझ कम पड़ेगा.
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