सितंबर की बारिश डुबो रही किसानों की किस्मत! पंजाब, बिहार-हरियाणा में बाढ़ से सब्जियां चौपट, फसलें बेकार

भारत में मानसून हमेशा से किसानों के लिए उम्मीद का मौसम रहा है, लेकिन इस साल की समय से पहले आई भारी बारिश ने हालात बिगाड़ दिए हैं. जरूरत से ज्यादा पानी ने कई राज्यों में फसलों को खतरे में डाल दिया है. आइए जानते हैं, कैसे धान और खरीफ की दूसरी फसलें इस बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं.

सितंबर में खरीफ फसल की बर्बादी

भारत में मानसून हमेशा से ही खेती और किसानों की तकदीर लिखने वाला मौसम रहा है. यह सिर्फ बारिश का मौसम नहीं, बल्कि देश की इकोनॉमी की धड़कन है, जो अनाज के भंडारों को भरता है और लाखों किसानों के घरों में उम्मीद जगाता है. लेकिन यही उम्मीद का मौसम कई बार तबाही का सबब भी बन जाता है. इस साल का मानसून ऐसा ही साबित हुआ है. इस बार मानसून की समय से पहले दस्तक ने किसानों के चेहरों पर मुस्कान तो ला दी थी, लेकिन जरूरत से ज्यादा भारी बारिश से ऐसा लगता है मानों यह साल उनकी उम्मीदों पर पानी फेरने वाला साबिता होगा.

देश के प्रमुख कृषि राज्यों जिनमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा जो कि भारत के एग्रीकल्चर सेक्टर में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. इस बार की बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. सितंबर में आई भारतीय मौसम विभाग (IMD) की रिपोर्ट से साफ है कि खरीफ सीजन की फसलें, खासकर धान और कपास, बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. चूंकि भारत में सबसे ज्यादा खेती धान की ही होती है, खास बात ये है कि इस फसल को पानी की जरूरत होती है, लेकिन इस बार की भारी बारिश को देखकर ऐसा लगता है कि सबसे ज्यादा यही प्रभावित होगी. इस बार की बारिश के कारण धान उगाने वाले प्रमुख राज्यों में आई बाढ़ जैसे पंजाब, बिहार, यूपी से ऐसा लगता है कि यही पानी इन फसलों को बर्बाद कर देगा. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे भारत की सबसे ज्यादा पैदा की जाने वाली फसल इस बार की बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती है, साथ ही खरीफ की फसल को क्या नुकसान हुआ है.

धान की फसल पर सबसे बड़ा संकट

भारत में धान का उत्पादन सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना, बिहार और पंजाब में होता है. पंजाब जिसे हम अक्सर अनाज का भंडार कहते हैं, उस राज्य के अधिकांश जिले मौजूदा समय में बाढ़ से प्रभावित हैं.

कैसे धान की फसल को हो रहा है सबसे ज्यादा नुकसान?

ICAR और IRRI के वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार, धान की फसल 5 से 10 सेमी पानी की गहराई में सबसे अच्छी तरह बढ़ती है. अगर पानी 15 सेमी से अधिक गहराई तक लंबे समय तक रुके तो उत्पादन घटने लगता है. वहीं 25 से 30 सेमी से ज्यादा पानी लगातार रहने पर फसल का भारी नुकसान हो सकता है. इसके अलावा अगर खेत में 20 से 25 सेमी से अधिक पानी लगातार 4 से 5 दिन तक रुका रहे तो जड़ों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, पौधे पीले पड़ने लगते हैं और जड़ सड़ने लगता है.

भारी बारिश की मार

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, भारी वर्षा 24 घंटे में 64.5 मिमी से 115.5 मिमी के बीच होती है. इससे अधिक बारिश को बहुत भारी वर्षा (115.6 – 204.4 मिमी) और अत्यधिक भारी वर्षा (204.5 मिमी या उससे अधिक) के रूप में अलग अलग कैटेगरी में बांटा गया है.  इस लेवल पर होने वाली बारिश से नदियों, तालाबों और बांधों में ओवरफ्लो की स्थिति आ जाती है, जिस वजह से बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है, जो कि सितंबर के महीने में अधिकांश राज्य सामना कर रहे हैं. खासतौर से वो राज्य जिन्हें धान का कटोरा कहा जाता है, जैसे पंजाब. बाढ़ की वजह से खरीफ सीजन में बोई गई फसलों में जलभराव की वजह से कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाती है. जैसे कि फसलों की जड़ों में सड़न होने लगती है, इसके अलावा पौधों में फंगस लगने लगते हैं, साथ ही बाढ़ से इन फसलों की उपजाऊ मिट्टी बह जाती है.

राज्यअबतक हुई बरसात (mm)पिछले साल से कितना अधिक (%)
राजस्थान633.2 mm67%
पंजाब545.7 mm48%
हरियाणा498.4 mm39%
हिमाचल905 mm45%
उत्तराखंड1236.7 mm24%
जम्मू-कश्मीर600.6 mm30%

बता दें 22 अगस्त तक खरीफ फसलों की बुवाई लगभग 107.39 मिलियन हेक्टेयर में की जा चुकी थी, जो पिछले साल की तुलना में 3.54 मिलियन हेक्टेयर ज्यादा है. इसके बावजूद सितंबर की भारी बारिश से ऐसा लगता है मानों खरीफ सीजन की फसलें ज्यादा लेवल पर प्रभावित होंगी.

पंजाब, बिहार और हरियाणा की स्थिति

इस समय पंजाब के 23 में से 12 जिले बाढ़ की चपेट में आ गए. लाखों एकड़ खेती की जमीन जलमग्न हो गई है, जिससे धान, कपास और मक्का की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं. बिहार में पटना, भोजपुर, वैशाली, भागलपुर, खगड़िया, कटिहार, लखीसराय, मधेपुरा और नालंदा के 502 गांवों में पानी भर गया. मौसम विभाग ने उत्तर बिहार के कई जिलों में और बारिश की संभावना जताई है, जिससे बाढ़ का खतरा अभी टला नहीं है. वहीं हरियाणा सरकार ने 12 जिलों के 1402 गांवों के किसानों के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल 10 सितंबर तक खुला रखने की घोषणा की है. अब तक 38,286 किसानों ने अपनी फसल क्षति के दावे दर्ज कराए हैं, जिनमें 2,42,945 एकड़ क्षेत्र का नुकसान दर्ज हुआ है.

वहीं, राजस्थान में किसान यूनियनों ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को एक लेटर लिखकर भारी बारिश से क्षतिग्रस्त फसलों के लिए मुआवजे की मांग की है. किसानों के अनुसार, राज्य के अधिकतर इलाकों में अत्यधिक बारिश के कारण फसलों को 75 फीसदी से 90 फीसदी तक नुकसान हुआ है.

सब्जियों और नगदी फसलों को भी नुकसान

भारी बारिश का असर सब्जियों और नगदी फसलों पर भी पड़ा. नासिक में प्याज की नर्सरी डूब जाने से खरीफ प्याज का बुवाई क्षेत्र 30,000 हेक्टेयर से घटकर केवल 6,000 हेक्टेयर रह गया है. राजस्थान की मंडियों में सब्जियों की आपूर्ति आधी रह गई है. टमाटर की कीमतें 30 से 40 रुपये से बढ़कर 80 से 100 रुपये किलो तक पहुंच गईं है. वहीं महाराष्ट्र के केले और आम के बागानों को भी भारी नुकसान हो रहा है.

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