कंपनियां क्यों करती है कार रिकॉल? क्या है इसका पूरा प्रोसेस और गड़बड़ी ठीक कराने के कितने देने होते हैं पैसे
भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में रिकाल सिस्टम कस्टमर सेफ्टी सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जब किसी कार मॉडल में तकनीकी, मैकेनिकल या सेफ्टी से जुड़ी खामी मिलती है, तो कंपनी पूरे बैच को रिकाल कर मुफ्त में सुधार करती है. यह प्रक्रिया कस्टमर कम्प्लेन्ट, क्वालिटी चेक और क्रैश टेस्ट से शुरू होकर फ्री रिपेयर तक कई चरणों में पूरी होती है.
Car Recall Process: लगातार बढ़ते सुरक्षा मानकों और कस्टमर सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए ऑटोमोबाइल कंपनियां समय–समय पर अपने वाहनों को रिकॉल करती हैं. जब किसी मॉडल में तकनीकी, मैकेनिकल या सेफ्टी से जुड़ी खामी मिलती है, तो कंपनी पूरे बैच को वापस बुलाकर उसे मुफ्त में ठीक करती है. यह प्रक्रिया काफी संगठित, नियमों के तहत और कई चरणों में पूरी होती है. भारत में MoRTH और SIAM जैसी संस्थाएं इस रिकॉल सिस्टम की निगरानी करती हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि कार कंपनी जब किसी मॉडल को रिकॉल करती है, तो पूरा प्रोसेस कैसे आगे बढ़ता है.
समस्या की पहचान
रिकॉल प्रक्रिया की शुरुआत तब होती है जब कंपनी को किसी तकनीकी गड़बड़ी की जानकारी मिलती है. यह सूचना कस्टमर कम्प्लेंट, डीलरशिप रिपोर्ट, क्वालिटी चेक या क्रैश टेस्ट के दौरान सामने आ सकती है. इसके बाद इंजीनियरिंग टीम समस्या की गंभीरता की जांच करती है. अगर यह खामी सेफ्टी से जुड़ी हो या लंबे समय में वाहन को नुकसान पहुंचा सकती हो, तो कंपनी इसे रिकॉल के लिए चिन्हित करती है. फिर आंतरिक स्तर पर सैंपल टेस्टिंग, कंपोनेंट एनालिसिस और रूट कॉज स्टडी की जाती है.
रिकॉल की सार्वजनिक घोषणा
कंपनी आधिकारिक रूप से रिकॉल की घोषणा करती है. इसके लिए प्रेस रिलीज, वेबसाइट अपडेट, सोशल मीडिया नोटिफिकेशन और डीलर्स के जरिए जानकारी जारी की जाती है. साथ ही कंपनी प्रभावित ग्राहकों को SMS, Email या फोन कॉल के जरिए भी सूचित करती है कि उनकी कार किस बैच में शामिल है और उसमें कौन–सी खामी पाई गई है.
स्पेयर पार्ट्स तैयारी
रिकॉल का सबसे महत्वपूर्ण चरण है मरम्मत के लिए जरूरी स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता. कंपनी नए, बेहतर गुणवत्ता वाले कंपोनेंट तैयार कर उन्हें देशभर के सर्विस नेटवर्क में भेजती है. टेक्नीशियन को ट्रेनिंग देकर बताया जाता है कि समस्या को कैसे ठीक करना है ताकि रिपेयर में कोई गलती न हो.
कस्टमर विजिट और फ्री रिपेयर
ग्राहक को नजदीकी सर्विस सेंटर में कार लेकर आना होता है. यहां पूरी सर्विस बिल्कुल मुफ्त दी जाती है और किसी भी तरह का चार्ज नहीं लिया जाता. रिपेयर में आमतौर पर 30 मिनट से कुछ घंटे तक का समय लगता है, जो खामी पर निर्भर करता है. सुधार के बाद वाहन की टेस्टिंग और वेरिफिकेशन भी किया जाता है.
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