टशन के लिए कार में करा लिया मॉडिफिकेशन, इंश्योरेंस कंपनियां करेंगी परेशान!
अगर आपने अपनी कार में अलॉय व्हील, नया पेंट, पावरफुल इंजन या कोई और मॉडिफिकेशन करवाया है, तो यह आपके इंश्योरेंस प्रीमियम को बढ़ा सकता है. इंजन, ब्रेक, सस्पेंशन, इंटीरियर या पेंटवर्क जैसे बदलावों की जानकारी इंश्योरेंस कंपनी को देना जरूरी है वरना दुर्घटना की स्थिति में बीमा क्लेम खारिज हो सकता है.

How car modification affects insurance: आज कल बहुत से लोग अपनी कार को फैसन में अलग दिखाने के लिए उसमें बदलाव (मॉडिफिकेशन) करवाते हैं. कोई कार का रंग बदलवाता है, कोई नए अलॉय व्हील लगवाता है, तो कोई इंजन को और मजबूत बनवाता है. इससे गाड़ी का लुक और परफॉर्मेंस तो बेहतर हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बदलावों का असर आपकी कार के इंश्योरेंस पर भी पड़ता है? अगर आपने इंजन, ब्रेक, सस्पेंशन, पेंट या इंटीरियर में कोई बदलाव किया है और इसकी जानकारी इंश्योरेंस कंपनी को नहीं दी तो कोई दुर्घटना होने पर बीमा क्लेम मिलने में दिक्कत हो सकती है.
मॉडिफिकेशन से इंश्योरेंस पर क्यों फर्क पड़ता है?
कुछ बदलावों से इंश्योरेंस प्रीमियम (बीमा की कीमत) भी बढ़ जाता है क्योंकि कंपनी को लगता है कि गाड़ी में खतरा ज्यादा है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि कार में कौन-कौन से बदलाव करने से इंश्योरेंस पर असर पड़ता है और उन बदलावों की जानकारी इंश्योरेंस कंपनी को देना क्यों जरूरी है. आइए जानते हैं कि इन मॉडिफिकेशन का क्या असर होता है.
व्हील्स में बदलाव
कार के व्हील्स बदलने से उसका लुक बेहतर होता है और कीमत भी बढ़ सकती है. अगर आप नए अलॉय व्हील्स या बड़े व्हील्स लगवाते हैं, तो इसकी जानकारी इंश्योरेंस कंपनी को देनी जरूरी है. ऐसा न करने पर क्लेम के समय परेशानी हो सकती है.
ब्रेक और सस्पेंशन में बदलाव
कार के ब्रेक और सस्पेंशन उसके कंट्रोल के लिए बहुत जरूरी हैं. अगर आप इनमें बदलाव करते हैं, जैसे अपग्रेडेड ब्रेक या नया सस्पेंशन लगवाते हैं तो कार का परफार्मेंस बदल जाता है. इसकी सूचना इंश्योरेंस कंपनी को देनी पड़ती है. कंपनी यह भी देखती है कि मॉडिफिकेशन कहां से करवाया गया है क्योंकि इससे जोखिम का आकलन होता है.
इंजन और मैकेनिक्स में बदलाव
अगर आप कार के इंजन को और बेहतर बनाते हैं, जैसे टर्बो, सुपरचार्जर या नाइट्रस ऑक्साइड लगवाते हैं तो कार की स्पीड बढ़ जाती है. तेज स्पीड से हादसों का खतरा बढ़ता है क्योंकि तेज गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर अक्सर ओवरटेकिंग या लापरवाही करते हैं. ऐसे में इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ जाता है.
पेंट वर्क
कार का रंग बदलना या उस पर रेसिंग डिजाइन, चटक रंग जैसे खास पेंट करवाना छोटा बदलाव लग सकता है, लेकिन यह भी इंश्योरेंस को प्रभावित करता है. ऐसे पेंट से कार की चोरी का खतरा बढ़ता है, जिससे प्रीमियम बढ़ सकता है. इसकी जानकारी कंपनी को देना जरूरी है, वरना खास पेंट को इंश्योरेंस में शामिल नहीं किया जाएगा.
कार का इंटीरियर
स्टीयरिंग व्हील, पेडल, सीट्स या साउंड सिस्टम में बदलाव भी महत्वपूर्ण हैं. इनकी क्वालिटी और टूट-फूट के आधार पर इंश्योरेंस प्रीमियम तय होता है. इसलिए, ऐसे बदलावों की जानकारी इंश्योरेंस कंपनी को देना जरूरी है.
नॉन-स्टैंडर्ड इंजन
कार का इंजन इंश्योरेंस प्रीमियम तय करने में अहम भूमिका निभाता है. अगर आप स्टैंडर्ड इंजन की जगह नॉन-स्टैंडर्ड इंजन लगवाते हैं, तो यह जोखिम बढ़ाता है और प्रीमियम भी बढ़ जाता है. इंश्योरेंस कंपनी कार के मॉडल, बनावट और निर्माण वर्ष को देखकर प्रीमियम तय करती है.
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