बाइक के टायर को कब बदलना चाहिए? ये 5 साइन करते हैं अलर्ट, नहीं किया तो होगा हादसा
क्या आपकी बाइक समय पर रुकती है और सफर के दौरान संतुलित रहती है? अगर नहीं, तो हो सकता है टायर बदलने का वक्त आ गया हो. बाइक का टायर सिर्फ रबर का पहिया नहीं, बल्कि आपकी सुरक्षा, बाइक के माइलेज और कंट्रोल का आधार है. आइए जानते हैं कि बाइक के टायर को बदलने का सही समय क्या होता है और न करने पर क्या परेशानियां आती हैं.

When to change Bike Tyre: क्या आपकी बाइक की रफ्तार में चलती है और ब्रेक लगाने पर वह तुरंत रुक जाती है? अगर इन सवालों का जवाब आप नहीं दे पा रहे तो हो सकता है आपकी बाइक का टायर अब बदलने लायक हो चुका हो. टायर ऐसा हिस्सा है जिसे हम तब तक नजरअंदाज करते हैं जब तक कोई बड़ा हादसा न हो जाए. जबकि सच्चाई यह है कि बाइक की पकड़, ब्रेकिंग, संतुलन और माइलेज, सब कुछ टायर की हालत पर निर्भर करता है. अक्सर लोग इंजन ऑयल बदलवाते हैं, सर्विस कराते हैं, लेकिन टायर को तब तक नहीं छूते जब तक वह बिल्कुल घिस न जाए या फट न जाए. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
कब बदले बाइक का टायर?
बाइक के टायर को औसतन 25,000 से 30,000 किलोमीटर चलने के बाद बदल देना चाहिए. हालांकि, सड़क की हालत, ट्रैफिक, राइडिंग स्टाइल और मौसम जैसे कारक इस दूरी को कम या ज्यादा कर सकते हैं. इसको कई दूसरे फैक्टर्स भी प्रभावित कर सकते हैं. कई बार खराब रोड पर गाड़ी लगातार चलाने से भी उसके टायर में परेशानी आने लगती है. ऐसे में राइडर को किलोमीटर वाले गणित पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. ऐसे में कुछ संकेत हैं जिनके आधार पर आपको अपनी बाइक का टायर बदलने की दिशा में सोचना शुरू कर देना चाहिए. आइए जानते हैं कि बाइक का टायर बदलने में देरी होने से क्या हो सकता है साथ ही समय पर टायर बदलने के क्या फायदे हैं.
कब बदले बाइक टायर?
- अगर टायर पर उभार दिखे- जब गाड़ी खराब या ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर ज्यादा चलती है, तो टायर जल्दी खराब हो जाते हैं. अगर आपको टायर पर कोई उभरा हुआ हिस्सा दिखे, तो तुरंत नया टायर लगवा लें क्योंकि यह फट सकता है.
- टायर के किनारों पर दरारें दिखें तो सतर्क हो जाएं- पुराने टायरों में अक्सर किनारों (साइड वॉल) पर दरारें आने लगती हैं. ऐसे टायर हाई स्पीड में चलाने पर फट सकते हैं और जान का जोखिम बढ़ सकता है. ऐसे में देरी न करें और टायर बदलवा लें.
- सपाट सड़कों पर भी बाइक में वाइब्रेशन महसूस हो- अगर आप बिल्कुल ठीक सड़कों पर गाड़ी चलाते समय भी कंपन (वाइब्रेशन) महसूस करते हैं, तो यह टायर या व्हील बैलेंसिंग की समस्या हो सकती है. तुरंत मैकेनिक से दिखवाएं और जरूरत पड़ी तो नए टायर लगवाएं.
- टायर के बीच में लगे इंडिकेटर बार की ऊंचाई और सतह बराबर हो जाए- टायर में बने छोटे से ‘इंडीकेटर बार’ को ध्यान से देखें. अगर टायर की घिसी सतह इस इंडिकेटर के बराबर आ गई है, तो समझ लें अब टायर का समय पूरा हो चुका है और उसे बदलना जरूरी है.
- ट्रेड की मोटाई 1.6 मिमी से कम हो जाए तो समझ लें, अब टायर बदलना जरूरी है- टायर की ऊपरी परत जिसे ‘ट्रेड’ कहा जाता है, समय के साथ घिसती रहती है. अगर यह परत बहुत पतली हो गई है, खासकर 1.6 मिमी से कम, तो यह साफ संकेत है कि आपकी गाड़ी को अब नए टायर की जरूरत है.
टायर न बदलने पर क्या हो सकता है नुकसान?
- दुर्घटना का खतरा- घिसे हुए टायर बारिश या मोड़ पर फिसल सकते हैं जिससे जानलेवा हादसे हो सकते हैं.
- ब्रेकिंग पर असर- पुराने टायर ब्रेक लगाते समय सड़क पर अच्छी पकड़ नहीं बना पाते जिससे बाइक रुकने में ज्यादा समय लेती है.
- असंतुलन- बाइक की स्थिरता पर असर पड़ता है और झटके ज्यादा महसूस होते हैं.
- बार-बार पंचर- पुराने टायर कमजोर हो जाते हैं जिससे उनमें छेद या फटने की संभावना बढ़ जाती है.
- माइलेज पर असर- घिसे टायर ज्यादा घर्षण (फ्रिक्शन) पैदा करते हैं जिससे इंजन पर लोड बढ़ता है और पेट्रोल ज्यादा खर्च होता है.
समय पर टायर बदलने के फायदे:
- सुरक्षित सफर- नए टायर सड़क पर बेहतर पकड़ बनाते हैं जिससे एक्सीडेंट का खतरा कम हो जाता है.
- बेहतर कंट्रोल- ब्रेकिंग और टर्निंग में मदद मिलती है.
- अच्छा माइलेज- नए टायर कम घर्षण करते हैं, जिससे पेट्रोल की बचत होती है.
- कम खर्च- बार-बार पंचर या रिपेयरिंग से राहत मिलती है.
टायर बदलने का सही समय?
कई बार लोगों को समझ नहीं आता है कि उनकी बाइक का टायर खराब हो रहा है. असल में वह तमाम संकेतों को पहचान नहीं पाते हैं. इसके लिए हम आप कुछ तरीके बताएंगे जिससे उसकी पहचान हो सकती है.
- टायर का डिजाइन (ट्रेड पैटर्न) घिस जाए और सपाट दिखने लगे.
- टायर में दरारें, कट या उभरे हुए हिस्से नजर आएं.
- बाइक चलाते समय अजीब कंपन या फिसलन महसूस हो.
- टायर 4-5 साल से ज्यादा पुराने हो गए हों भले ही ज्यादा न चले हों.
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