अगर ट्रांजेक्शन पर लगा चार्ज तो खत्म हो जाएंगे यूपीआई के दिन, सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा

सर्वे में कहा गया है कि इसमें शामिल केवल 22 प्रतिशत यूपीआई यूजर्स भुगतान पर लेनदेन शुल्क वहन करने के लिए तैयार हैं, जबकि 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यदि लेनदेन शुल्क लगाया गया, तो वे यूपीआई का उपयोग बंद कर देंगे.

यूपीआई Image Credit: npci.org.in

भारत में डिजिटल पेमेंट को बढ़ाने में यूपीआई का अहम रोल रहा है. यूपीआई की वजह से डिजिटल ट्रांजेक्शन में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं. अक्सर यह खबरें आती रहती हैं कि इस पर फ्री ट्रांजेक्शन की सुविधा नहीं मिलेगी. हालांकि, अभी तक फ्री ट्रांजेक्शन की सुविधा उपलब्ध है. लेकिन अगर फ्री ट्रांजेक्शन की सुविधा खत्म हो गई, तो उसके बाद क्या होगा? इसको लेकर हुए सर्वे के नतीजे बेहद चिंताजनक हैं.

लोकलसर्किल द्वारा किए गए एक सर्वे में कहा गया है कि यदि यूपीआई के उपयोग के लिए कोई चार्ज देना पड़ेगा, तो 75 प्रतिशत यूपीआई यूजर इसका उपयोग बंद कर देंगे. इस सर्वे में पाया गया है कि 38 प्रतिशत यूजर अपने 50 प्रतिशत से अधिक भुगतान डेबिट, क्रेडिट या किसी अन्य प्रकार के डिजिटल लेनदेन के बजाय यूपीआई के जरिए करते हैं.

सर्वे में कहा गया है कि इसमें शामिल केवल 22 प्रतिशत यूपीआई यूजर्स भुगतान पर लेनदेन शुल्क वहन करने के लिए तैयार हैं, जबकि 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यदि लेनदेन शुल्क लगाया गया, तो वे यूपीआई का उपयोग बंद कर देंगे. तीन महत्वपूर्ण प्रश्नों वाले इस सर्वेक्षण में 308 जिलों से 42,000 प्रतिक्रियाएं प्राप्त होने का दावा किया गया है, लेकिन प्रत्येक प्रश्न पर उत्तरों की संख्या अलग-अलग थी. यूपीआई पर लेनदेन शुल्क से संबंधित प्रश्न पर 15,598 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं.

नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में लेनदेन की मात्रा में रिकॉर्ड 57 प्रतिशत और मूल्य में 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. पहली बार यूपीआई लेनदेन 100 बिलियन को पार कर गया और एक वित्तीय वर्ष में 131 बिलियन पर बंद हुआ, जबकि 2022-23 में यह 84 बिलियन था. रिपोर्ट के अनुसार, मूल्य के लिहाज से देखें, तो यह 139.1 ट्रिलियन रुपये की तुलना में 199.89 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया.

सर्वे में पाया गया कि उत्तरदाताओं में 37 प्रतिशत लोगों के कुल भुगतान का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा यूपीआई का है. सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीआई तेजी से 10 में से 4 यूजर्स के लिए एक अभिन्न अंग बनता जा रहा है. किसी भी प्रकार के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लेनदेन शुल्क लगाए जाने पर कड़ा विरोध हो रहा है. लोकल सर्किल्स इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों को वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के समक्ष उठाएगा, ताकि किसी भी एमडीआर शुल्क की अनुमति देने से पहले यूपीआई उपयोगकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखा जा सके. यह सर्वेक्षण 15 जुलाई से 20 सितंबर के बीच ऑनलाइन आयोजित किया गया था.