न्यूक्लियर एनर्जी में होगी Adani Group की एंट्री, UP में 8 SMR लगाने का प्लान; 1600 MW होगी कैपेसिटी : रिपोर्ट
भारत में न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर को लेकर बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. Adani Group अब इस रणनीतिक सेक्टर में एंट्री की तैयारी कर रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी उत्तर प्रदेश में 200 मेगावाट क्षमता वाले 8 स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स लगाने को लेकर राज्य सरकार से बातचीत कर रही है. इस प्रोजेक्ट से करीब 1600 MW न्यूक्लियर कैपेसिटी जुड़ सकती है.
Adani Group nuclear energy: भारत में न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर को लेकर एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी ग्रुप अब इस रणनीतिक सेक्टर में कदम रखने की तैयारी कर रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप उत्तर भारत के एक राज्य के साथ कमर्शियल न्यूक्लियर एनर्जी प्रोजेक्ट को लेकर बातचीत कर रहा है. यह पहल ऐसे समय पर सामने आई है, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश के एनर्जी मिक्स को डायवर्सिफाई करने और फॉसिल फ्यूल्स पर निर्भरता कम करने की दिशा में बड़े फैसले ले रही है.
संसद ने हाल ही में न्यूक्लियर इंडस्ट्री को प्राइवेट फर्म्स के लिए खोलने को मंजूरी दी है. इससे करीब 214 बिलियन डॉलर के इन्वेस्टमेंट ऑपरचुनिटीज खुलने की उम्मीद जताई जा रही है. दशकों तक सख्त नियमों की वजह से यह सेक्टर सीमित दायरे में ही काम करता रहा, लेकिन अब इसमें निजी कंपनियों की एंट्री से बड़े बदलाव की संभावना है.
उत्तर प्रदेश में SMR प्रोजेक्ट पर चर्चा
रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है. योजना के तहत राज्य में 200 मेगावाट क्षमता वाले 8 स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स यानी SMRs लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है. यदि यह प्रोजेक्ट साकार होता है, तो अडानी ग्रुप को करीब 1600 मेगावाट की न्यूक्लियर कैपेसिटी मिलेगी. हालांकि, अभी राज्य सरकार की ओर से रिवरसाइड साइट की पहचान नहीं की गई है, जो रिएक्टर्स के लिए पानी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिहाज से जरूरी होती है.
यह कदम अडानी ग्रुप की रिन्यूएबल पोर्टफोलियो को और मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. डेटा सेंटर एक्सपेंशन और एआई-पावर्ड सिस्टम्स की वजह से देश में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में न्यूक्लियर एनर्जी को एक स्थिर और भरोसेमंद विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है.
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर फोकस
सूत्रों के अनुसार, अडानी ग्रुपऔर उत्तर प्रदेश सरकार के बीच बातचीत पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर आधारित है. इस मॉडल के तहत न्यूक्लियर Power Corporation of India Ltd. प्रस्तावित प्लांट का संचालन करेगी, जबकि अडानी ग्रुप इसमें निवेश करेगा. वहीं, Bhabha Atomic Research Centre 200 मेगावाट SMRs के डिजाइन और डेवलपमेंट पर काम कर रहा है, जिन्हें इस प्रोजेक्ट में लगाया जाना है. पूरे प्रोजेक्ट को सरकारी मंजूरी मिलने के बाद इसे पूरा होने में करीब 5 से 6 साल का समय लग सकता है.
सरकार का लॉन्ग टर्म लक्ष्य
केंद्र सरकार ने फरवरी में बजट स्पीच के दौरान न्यूक्लियर एनर्जी मिशन की घोषणा की थी. इसके तहत SMRs के रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर 200 अरब रुपये खर्च किए जाने का प्रावधान किया गया है. सरकार का लक्ष्य 2047 तक देश की न्यूक्लियर पावर कैपेसिटी को 100 गीगावॉट तक पहुंचाने का है.
वर्तमान में भारत में 7 लोकेशन पर करीब 24 न्यूक्लियर रिएक्टर काम कर रहे हैं, जो कुल बिजली उत्पादन में लगभग 3 फीसदी का योगदान देते हैं. इनकी कुल क्षमता 8780 मेगावाट है, जिसे विभिन्न स्टेज में चल रही परियोजनाओं के जरिए 13600 मेगावाट तक बढ़ाने की योजना है.
अन्य बड़े ग्रुप भी रेस में
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप के अलावा Tata Group, Reliance Industries Ltd. और JSW Group जैसी बड़ी कंपनियां भी न्यूक्लियर सेक्टर में अवसर तलाश रही हैं. ऐसे में आने वाले वर्षों में यह सेक्टर भारत के एनर्जी लैंडस्केप में एक अहम भूमिका निभा सकता है.
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