एक्सपोर्टर्स को बड़ी राहत, सरकार लाई ₹4,531 करोड़ की मार्केट एक्सेस सपोर्ट स्कीम, MSME पर फोकस
सरकार ने निर्यातकों को वैश्विक बाजारों तक पहुंच बढ़ाने के लिए ₹4,531 करोड़ की मार्केट एक्सेस सपोर्ट योजना शुरू की है. इसके तहत अंतरराष्ट्रीय मेले, प्रदर्शनियां और बायर–सेलर मीट्स के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिसमें MSMEs और छोटे निर्यातकों को प्राथमिकता मिलेगी.
एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने और वैश्विक बाजारों तक भारतीय कंपनियों की पहुंच मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने बुधवार को ₹4,531 करोड़ की ‘मार्केट एक्सेस सपोर्ट (Market Access Support)’ योजना लॉन्च की, जिसके तहत निर्यातकों को इंटरनेशनल ट्रेड फेयर, प्रदर्शनियों और खरीदार-विक्रेता बैठकों में भाग लेने के लिए फाइनेंशियल हेल्प दी जाएगी. यह योजना ऐसे समय में लाई गई है, जब भारतीय एक्सपोर्टर अमेरिका की ओर से लगाए गए 50% तक के ऊंचे टैरिफ जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. यह पहल सरकार की ₹25,060 करोड़ की व्यापक निर्यात प्रोत्साहन मिशन का हिस्सा है.
सरकार ने क्या बताया
सरकार के मुताबिक, मार्केट एक्सेस सपोर्ट योजना के तहत 2025 से 2031 के बीच छह वर्षों में ₹4,531 करोड़ खर्च किए जाएंगे. इसमें से ₹500 करोड़ की राशि FY 2025-26 के लिए निर्धारित की गई है. इस फंड का इस्तेमाल निर्यातकों की वैश्विक बाजारों में मौजूदगी बढ़ाने और नए निर्यात अवसर तलाशने के लिए किया जाएगा.
Director General of Foreign Trade (DGFT) अजय भादू ने बताया कि इस योजना के तहत निर्यातकों को Buyer-Seller Meets (BSMs), अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भागीदारी, तथा भारत में आयोजित होने वाले Mega Reverse Buyer-Seller Meets (RBSMs) के लिए संरचित वित्तीय और संस्थागत सहायता दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि योजना के तहत तीन से पांच साल का अग्रिम कैलेंडर तैयार किया जाएगा, जिसमें प्रमुख मार्केट एक्सेस इवेंट्स को पहले से मंजूरी दी जाएगी. इससे निर्यातकों और आयोजन एजेंसियों को समय रहते योजना बनाने में मदद मिलेगी और बाजार विकास के प्रयासों में निरंतरता बनी रहेगी.
MSMEs को मिलेगा विशेष लाभ
सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इस योजना से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को विशेष लाभ मिले. इसके तहत समर्थित आयोजनों में कम से कम 35% भागीदारी MSMEs की अनिवार्य होगी. साथ ही, नए भौगोलिक क्षेत्रों और छोटे बाजारों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि निर्यात का विविधीकरण बढ़ाया जा सके. इसके अलावा, प्रतिनिधिमंडल का न्यूनतम आकार 50 प्रतिभागियों का तय किया गया है, हालांकि बाजार परिस्थितियों और रणनीतिक जरूरतों के अनुसार इसमें लचीलापन रखा गया है.
छोटे निर्यातकों के लिए अहम प्रावधान
सरकार ने छोटे निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए एक और अहम प्रावधान किया है. जिन निर्यातकों का पिछले वर्ष का निर्यात टर्नओवर ₹75 लाख तक रहा है, उन्हें आंशिक हवाई किराया सहायता दी जाएगी, ताकि नए और छोटे निर्यातक भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकें. कुल मिलाकर, यह योजना भारतीय निर्यातकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती देने, नए बाजार खोलने और मौजूदा व्यापार चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाने वाली मानी जा रही है.
Latest Stories
वोडाफोन आइडिया को GST का झटका, 6.78 करोड़ रुपये की लगी पेनल्टी; कंपनी बोली देगी कानूनी चुनौती
भारत का अप्रैल-नवंबर का राजकोषीय घाटा 9.76 लाख करोड़ रुपये रहा, FY26 के लक्ष्य का 62.3 फीसदी पर पहुंचा
Vi को बड़ी राहत, AGR बकाया 87695 करोड़ 10 वर्ष में चुकाना होगा, 5 साल का मोरेटोरियम भी मिला
