सोना छाेड़ चांदी पर लगाएं दांव, मिल सकता है बंपर मुनाफा, आर्थिक समीक्षा में हुआ खुलासा

Economic Survey 2025 में सोने और चांदी को लेकर बड़ा दावा किया गया है. आर्थिक समीक्षा में अनुमान जाहिर किया गया है कि इस साल सोने के दाम में कमी आएगी, जबकि चांदी के दाम में तेजी आएगी. जानिए इस अनुमान के पीछे क्या दलील दी गई है?

सिल्वर प्राइस में इस साल तेजी की उम्मीद Image Credit: money9live

Economic Survey के मुताबिक 2025 में सोने की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है. वहीं, इस दौरान चांदी के दाम में बड़ा उछाल आ सकता है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार दोपहर आर्थिक समीक्षा 2024-25 को संसद में पेश किया. आर्थिक समीक्षा में मौजूदा वित्त वर्ष (FY25) में भारतीय अर्थव्यवस्था के तमाम पहलुओं के प्रदर्शन के साथ ही आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था के रुख को लेकर अनुमान भी जाहिर किए गए हैं.

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सोने की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है, जबकि चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है. इसके अलावा दूसरी धातुओं और खनिजों की कीमतों में भी गिरावट आने की संभावना है. इस गिरावट के पीछे असल वजह लौह अयस्क और जस्ता की कीमतों में कमी आना है. इसके अलावा तेल की कीमतों में भी अनुमानित गिरावट के चलते धातुओं की कीमत में कमजोरी का रुख बना रह सकता है.

सोने के दाम में कितनी गिरावट

आर्थिक समीक्षा में अक्टूबर 2024 में वर्ल्ड बैंक की तरफ से पेश कमोडिटी मार्केट आउटलुक के हवाले से कहा गया है कि 2025 में सोने के दाम में 5 फीसदी तक गिरावट आ सकती है. इसके अलावा 2026 तक गिरावट का दौर जारी रह सकता है. 2026 में हालांकि गिरावट 1.7 फीसदी तक सीमित रह सकती है.

महंगाई के लिहाज से अच्छी खबर

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है सोने के दाम में कमी आना भारत के लिए महंगाई के मोर्चे पर अच्छी खबर है. भारत विश्व में सोने का सबसे बड़ा आयातक है. आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सामान्य तौर पर, भारत की तरफ से आयात की जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में गिरावट का फायदा महंगाई के लिहाज से भारत के पक्ष में जाता है.

क्यों बढ़ा सोने का आयात

आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि वैश्विक अनिश्चितता की वजह से भारत को अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाना पड़ा है. असल में इस अनिश्चितता की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में भारी उतार-चढ़ाव आ रहा है. इस अस्थिरता से निपटने के लिए 2024 में दुनियाभर के उभरते बाजार वाले देशों के केंद्रीय बैंकों ने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाया है. नतीजतन, सोने की बुलियन होल्डिंग द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गई है. भारत में सोने के आयात में बढ़ोतरी के पीछे भी यही कारण रहे. इसके अलावा त्योहारी और शादियों के दौरान भी सोने की खरीद होती है. इस मांग को पूरा करने के लिए भी सोने के आयात में वृद्धि हुई है.

डॉलर के प्रभुत्व से बचाव का जरिया

आर्थिक समीक्षा में बताया गया कि वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और डॉलर के प्रभुत्व से अपनी मुद्रा और अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करने के लिए भी केंद्रीय बैंकों की तरफ से गोल्ड रिजर्व बढ़ाया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के हवाले से समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक रिजर्व प्रणाली में लगातार बदलाव हो रहे हैं, जिसमें तमाम देश डॉलर के प्रभुत्व से धीरे-धीरे दूर जा रहे हैं. इसकी वजह से गैर-पारंपरिक मुद्राओं की भूमिका अहम हो रही है.

सोने-चांदी पर सलाह

आर्थिक समीक्षा में यह सुझाव भी दिया गया कि सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है, जिससे निवेशकों की भावना प्रभावित हो सकती है. वहीं, चांदी की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि हो सकती है, जिसे सर्राफा बाजार से भी समर्थन मिल सकता है. चांदी के दाम में बढ़ोतरी के पीछे चांदी की औद्योगिक मांग में बढ़ोतरी को भी एक वजह बताया जा रहा है. चांदी का इस्तेमाल ईवी, बैटरी और सेमीकंडक्टर सेक्टर में बढ़ रहा है.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल सोने-चांदी के बारे में जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.

Latest Stories

Gold Rate Today: सोने-चांदी में भारी गिरावट, 122311 पर पहुंचा गोल्‍ड, सिल्‍वर भी 1100 रुपये से ज्‍यादा हुआ सस्‍ता

‘मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनने की राह पर भारत, जबरदस्त उछाल के साथ ₹1.95 लाख करोड़ पहुंचा इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट, iPhone ने किया कमाल

मंदिर से शुरू हुआ ब्रांड बना 120 करोड़ का साम्राज्य, एक इंस्टाग्राम पोस्ट ने इस ज्वैलरी कंपनी की बदल दी किस्मत

SBI में हायरिंग! अगले 5 महीनों में 3,500 अधिकारियों की नियुक्ति, महिला कर्मचारियों की संख्या 30% तक बढ़ाने का लक्ष्य

‘डेटा सेंटर’ पर रिलायंस का बड़ा दांव, AI इंफ्रास्ट्रक्चर में ₹1.30 लाख करोड़ निवेश की तैयारी! जानें पूरा प्लान

चमकते पैनल भारत की नई एनर्जी की उम्मीद या बबल? रोशनी के खरीदारों की राह देखता सोलर उद्योग