Nayara Energy के बाद अब RIL भी EU के निशाने पर, रूसी तेल के विकल्पों की तलाश में कंपनी : रिपोर्ट

रूस के तेल उद्योग को ठप करने के लिए यूरोपीय संघ (EU) की तरफ से लगाए गए नए प्रतिबंधों का असर RIL तक हुआ है. अब कंपनी ने अपने आयात की रणनीति बदलते हुए स्रोतों में विविधता लाने के लिए नए विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज का ऑयल शिपिंग जहाज Image Credit: RIL

रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) भी उन पाबंदियों के दायरे में आ गई है, जो हाल में ही यूरोपीय संघ ने लगाई हैं. EU ने रूसी कच्चे तेल से बने डीजल पर कई सख्त पाबंदियां लगाई हैं. इनकी वजह से RIL भी प्रभावित हुई है. Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक इन प्रतिबंधों को देखते हुए रिलायंस अपनी आपूर्ति रणनीति में बदलाव कर रही है. EU ने पिछले दिनों उन सभी रिफाइनरी पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया है, जो रूसी कच्चे तेल से बने उत्पादों का यूरोप में निर्यात कर रही हैं. ये प्रतिबंध जनवरी 2026 से लागू होंगे.

रूस सबसे बड़ा सप्लायर

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस साल सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से ही आयात किया है. Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक 2025 में RIL ने अपने कुल कच्चे तेल आयात का करीब 50 फीसदी रूस से ही हासिल किया है. वहीं, उसके कुल तैयार उत्पादों का करीब 20% यूरोप को निर्यात किया गया है.

क्या है रिलायंस की नई रणनीति?

रिपोर्ट में बताया गया है कि रिलायंस ने हाल ही में अबू धाबी की मुरबान क्रूड का सौदा किया है. मुरबान एक प्रीमियम ग्रेड का कच्चा तेल है. आमतौर पर रिलायंस इसे बेहद दुर्लभ परिस्थिति में खरीदती है. आमतौर पर रिलायंस की पसंद रूसी या मिडल ईस्ट के हैवी ग्रेड का क्रूड ऑयल होता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि रिलायंस ने यह खरीद पिछले सप्ताह शुक्रवार को EU के प्रतिबंध के तुरंत बाद की है, जिससे साफ संकेत मिलता है कि कंपनी अपने विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रही है.

क्या रिलायंस रूस से दूरी बनाएगी?

फिलहाल, रिलायंस की तरफ से ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया है कि वह रूसी आपूर्ति में कटौती करेगी. हालांकि, जानकारों का कहना है कि कंपनी अब मिडल ईस्ट जैसे अन्य स्रोतों से विकल्प तलाश रही है. हालांकि, एक बड़ा सवाल यह भी है कि कंपनी प्रतिदिन औसतन 600,000 बैरल कच्चा तेल रूस की जगह कहां से और किस दाम पर खरीदेगी.

सरकार और कंपनी की प्रतिक्रिया

रिलायंस की तरफ से इस मसले पर फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. वहीं, भारत सरकार ने EU के नए प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए इन्हें दोहरे मानक वाले बताते हुए कहा है कि भारत के लिए अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना शीर्ष प्राथमिकता है और भारत किसी दबाव में आए बिना यह काम करेगा.

रूस-भारत एनर्जी संबंधों पर असर?

रूस-भारत के बीच तेल व्यापार 2022 के बाद से बहुत तेजी से बढ़ा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया और रूसी तेल की खरीद की कीमत पर एक ऊपरी सीमा लागू कर दी, जो फिलहाल 60 डॉलर प्रति बैरल है. इसके बाद से भारत ने रूस से जमकर तेल की खरीदारी की है.