अक्टूबर में 19 महीने के टॉप पर व्यापार घाटा, 41.68 अरब डॉलर पहुंचा, 11.8% गिरा एक्सपोर्ट, ये रही वजह
अक्टूबर में भारत का निर्यात 11.8% घटकर 34.38 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 16.6% बढ़ा है. सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं आयात हुई बढ़ोतरी की वजह से भुगतान संतुलन का दबाव में रहा और ट्रेड डेफिसिट 41.68 अरब डॉलर पहुंच गया.
अक्टूबर के व्यापार आंकड़ों ने निर्यात के मोर्चे पर भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ा दी है. सरकार की तरफ से सोमवार को जारी डाटा के मुताबिक, भारत का वस्तु निर्यात अक्टूबर में 11.8% गिरकर 34.38 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट लगातार दूसरी बार आई है, जब वैश्विक मांग कमजोर पड़ने और प्रमुख बाजारों में अनिश्चितता का असर भारतीय शिपमेंट्स पर दिखा है. अमेरिकी टैरिफ को भी निर्यात में कमी का एक बड़ा कारण माना जा रहा है.
सोने-चांदी के आयात ने बढ़ाया दबाव
अक्टूबर में देश का कुल आयात 16.63% बढ़कर 76.06 अरब डॉलर पहुंच गया है. इसमें सबसे बड़ा योगदान सोने और चांदी के आयात में तेज उछाल का रहा. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, रिपोर्ट किए गए महीने में सिर्फ सोने का आयात ही 14.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि पिछले साल इसी महीने सोने का आयात करीब 4.92 अरब डॉलर रहा था. इस तरह सोने के आयात में अक्टूबर में सालाना आधार पर करीब तीन गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी है, जिसने कुल आयात बिल को बढ़ाया है.
ट्रेड डेफिसिट 41.68 अरब डॉलर
अक्टूबर में निर्यात गिरने और आयात के उछाल के दोहरे प्रभाव से भारत का व्यापार घाटा अक्टूबर में बढ़कर 41.68 अरब डॉलर हो गया. यह पिछले 19 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है, जिससे करेंट अकाउंट बैलेंस पर भी दबाव बढ़ सकता है.
US को एक्सपोर्ट में गिरावट
अमेरिका की तरफ से भारत पर लगाए गए टैरिफ का असर भी साफ दिख रहा है. असल में अमेरिका भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार में शामिल है. लेकिन, टैरिफ की वजह से भारत से अमेरिका जाने वाले शिपमेंट्स में भी गिरावट दर्ज की गई है.
अक्टूबर में US को निर्यात 6.9 अरब डॉलर से घटकर 6.3 अरब डॉलर रह गया. यह आईटी सेवाओं, इंजीनियरिंग गुड्स और टेक्सटाइल्स की मांग में सुस्ती का संकेत है.
मौजूदा वित्त वर्ष का हाल
अप्रैल-अक्टूबर 2025 की अवधि में भारत का कुल निर्यात 0.63% बढ़कर 254.25 अरब डॉलर हुआ है. हालांकि, इसी अवधि में आयात 6.37% उछलकर 451.08 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जिससे कुल ट्रेड डेफिसिट और चौड़ा हुआ है. जानकारों का मानना हैक कि वैश्विक मांग में सुधार, सप्लाई चेन की स्थिरता और कच्चे तेल की कीमतों में राहत आने पर ही भारत का ट्रेड बैलेंस स्थिर हो सकता है. फेस्टिव सीजन में सोने की भारी मांग ने आयात को अस्थायी तौर पर बढ़ाया है, लेकिन अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो चालू खाते पर दबाव बना रह सकता है.
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