सोना टूटा लेकिन चांदी ने लगातार छठवें दिन दिखाई बढ़त, ₹1670 सस्ता होकर जानें कहां पहुंचा गोल्ड

दिल्ली के सर्राफा बाजार में मंगलवार, 2 दिसंबर को सोने की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई, जहां 10 ग्राम सोना 1,670 रुपये टूटकर 1,31,530 रुपये पर आ गया. अंतरराष्ट्रीय बाजार की कमजोरी और निवेशकों की मुनाफावसूली से सोने पर दबाव बना रहा, जबकि चांदी ने घरेलू और वैश्विक बाजारों में जोरदार तेजी दिखाई और 1,81,360 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई.

सोने और चांदी की कीमत Image Credit: freepik

Gold and Silver Price Today: दिल्ली के सर्राफा बाजार में मंगलवार, 2 दिसंबर को सोने की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली. 10 ग्राम 99.9 फीसदी शुद्धता वाले सोने का भाव 1,670 रुपये लुढ़ककर 1,31,530 रुपये पर पहुंच गया. पिछली सत्र में यह कीमत 1,33,200 रुपये थी. ऑल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोरी का सीधा असर घरेलू कीमतों पर पड़ा है.

क्यों आई गिरावट?

पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि पिछले कुछ दिनों से सोने में तेज तेजी देखने के बाद कई निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी. HDFC Securities के कमोडिटी विशेषज्ञ सौमिल गांधी के अनुसार, “पिछले सत्र में सोना कई हफ्तों की ऊंचाई छू चुका था, इसलिए निवेशकों ने मुनाफा निकालना शुरू किया. इसके अलावा इस सप्ताह आने वाले अहम अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों को लेकर भी ट्रेडर्स सतर्क नजर आए.”

चांदी में जोरदार बढ़त

सोने की कमजोरी के विपरीत, चांदी ने अपनी तेजी जारी रखी. चांदी का भाव 4,360 रुपये उछलकर 1,81,360 रुपये प्रति किलोग्राम पर जा पहुंचा. पहले यह कीमत 1,77,000 रुपये थी. Mirae Asset Sharekhan के प्रवीण सिंह ने कहा कि घरेलू बुलियन मार्केट को एक बड़े फैक्टर से सपोर्ट मिल रहा है, भारतीय रुपये की कमजोरी, जो गिरकर 89.95 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गया है. इससे सोने-चांदी की कीमतों को मजबूती मिलती है.

ग्लोबल मार्केट में क्या स्थिति?

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की धार कमजोर रही. स्पॉट गोल्ड 45.17 डॉलर गिरकर 4,187 डॉलर प्रति औंस पर वहीं, चांदी 1.77 फीसदी टूटकर 56.97 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया. Kotak Securities की Kaynat Chainwala ने कहा कि पिछले कई दिनों की तेज तेजी के बाद निवेशकों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मुनाफा बुक किया. इसके अलावा अमेरिका से आए हालिया आर्थिक आंकड़ों ने स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है. अमेरिका के ISM इंडेक्स के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर लगातार 9 माह से संकुचन में है. इससे उम्मीद बढ़ रही है कि फेडरल रिजर्व को अपनी नीति नरम करनी पड़ सकती है.

फेड चेयर में बदलाव की उम्मीद से मिल रहा है थोड़ा सहारा

Augmont की रिसर्च हेड रेनिशा चेनानी का कहना है, “नई फेड चेयर के अधिक डोविश (नरम) रुख अपनाने की संभावना सोने और चांदी दोनों के लिए नीचे की तरफ सपोर्ट दे रही है.” सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी 58.83 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर तक गई थी, क्योंकि भौतिक सप्लाई सीमित थी और डिमांड मजबूत. इससे इतर, चेनानी ने बताया कि दिसंबर महीना चांदी के लिए पारंपरिक रूप से मजबूत रहा है:

  • 1997 में 17% तक उछाल
  • 2020 में भी मजबूत रिटर्न

अगर मौजूदा सप्लाई टाइट रहती है तो इस बार भी चांदी के 60 डॉलर (तकरीबन 1,80,000 रुपये/किग्रा) और यहां तक कि 62 डॉलर (तकरीबन 1,86,000 रुपये/किग्रा) तक पहुंचने की संभावना बन सकती है.

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