Gold Rate : दो सप्ताह में 7 फीसदी सस्ता हुआ सोना, फिर 1200 रुपये टूट गए दाम, जानें चांदी का कैसा हाल?

दो सप्ताह के भीतर सोने के दाम में करीब 7 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. मंगलवार 4 नवंबर को सोने के भाव में 1200 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट देखने को मिली है. इसके अलावा चांदी में भी 2,500 रुपये की गिरावट आई है.

सोने की कीमतों में गिरावट. Image Credit: Getty image

सोने के दाम अक्टूबर में लगातार तेजी बढ़े. 17 अक्टूबर को भाव 1.33 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के ऑल टाइम हाई पर रहा. हालांकि, इसके बाद से इसमें लगातार गिरावट का दौर चल रहा है. पिछले दो दिन में भी सोने का दाम घटा है. मंगलवार को 1200 रुपये सस्ता होकर दिल्ली के सराफ बाजार में 99 प्याेरिटी वाले सोने का भाव 1,24,100 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. वहीं, इस दौरान चांदी के दाम में भी 2500 रुपये की गिरावट देखने को मिली है.

ऑल-टाइम हाई से इतना सस्ता

इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के मुताबिक, 17 अक्टूबर, 2025 को 999 शुद्धता वाले सोने का रेट 1,29,584 रुपये प्रति 10 ग्राम था. इस पर 3% जीएसटी जोड़ने के बाद प्रभावी रेट 1,33,471 प्रति 10 ग्राम बैठता है, यानी मौजूदा स्तर की तुलना में 9,371 या करीब 7% की गिरावट आ चुकी है.

फेड के बयानों से बढ़ा दबाव

HDFC सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट (कमोडिटीज) सैमिल गांधी का कहना है कि सोना मंगलवार को मजबूत अमेरिकी डॉलर और फेड अधिकारियों के ‘हॉकिश’ बयानों के कारण दबाव में रहा. उन्होंने दिसंबर में ब्याज दरों में किसी और कटौती की संभावना से इनकार किया है. इसकी वजह से डॉलर इंडेक्स 0.12% बढ़कर 99.99 पर पहुंच गया, जो तीन महीने का शीर्ष स्तर है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना कमजोर हुआ है और निवेशकों ने मुनाफावसूली की है.

चांदी में भी जारी गिरावट का दौर

चांदी में भी तेज गिरावट दर्ज की गई है. चांदी का भाव 2,500 रुपये टूटकर 1,51,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया है. वहीं, सोमवार को यह 1,54,000 पर बंद हुआ था. अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड $3,993.65 प्रति आउंस पर 0.2% नीचे और चांदी $47.73 प्रति आउंस पर लगभग 1% कमजोर रही.

कैसी है आगे की राह?

कोटक सिक्योरिटीज की एवीपी (कमोडिटी रिसर्च) कायनत चैनवाला का कहना है कि बाजार की नजर अब आने वाले ADP रोजगार डेटा और ISM PMI रिपोर्ट पर है. वहीं, चीन की तरफ से गोल्ड टैक्स इंसेंटिव हटाने और सेफ हेवन डिमांड में कमी से भी कीमतों पर दबाव बना रह सकता है.