मेहली मिस्त्री ने टाटा समुह से तोड़ा नाता, 3 ट्रस्ट से दिया इस्तीफा; नोएल टाटा को खत लिख कर कही ये बात
टाटा ट्रस्ट्स में चल रही अंदरूनी हलचल के बीच मेहली मिस्त्री ने तीन प्रमुख ट्रस्ट्स से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपने पत्र में कहा कि यह निर्णय उन्होंने संगठन की प्रतिष्ठा और दिवंगत रतन टाटा की विरासत को सुरक्षित रखने के लिए लिया है. मिस्त्री ने अपने इस्तीफे में यह भी स्पष्ट किया कि अनावश्यक विवाद टाटा ट्रस्ट्स की साख को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए उन्होंने स्वेच्छा से पद छोड़ा है.
Tata Trusts Mehli Mistry Letter: टाटा ग्रुप के भीतर पिछले कुछ समय से चल रही चर्चाओं के बीच, मेहली मिस्त्री ने आखिरकार टाटा ट्रस्ट्स से अपना इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपने त्यागपत्र में साफ तौर पर कहा कि यह कदम उन्होंने स्वेच्छा से और संगठन की गरिमा बनाए रखने के लिए उठाया है. मिस्त्री ने 4 नवंबर 2025 को टाटा ट्रस्ट्स के सभी ट्रस्टियों को संबोधित एक पत्र में अपनी विदाई की घोषणा की, जिसमें उन्होंने लिखा कि टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी के रूप में सेवा देना उनके लिए सम्मान और गर्व की बात रही.
उन्होंने कहा कि यह अवसर उन्हें दिवंगत रतन टाटा के “व्यक्तिगत अनुमोदन” के तहत मिला था, जिन्हें वे अपना “प्रिय मित्र और मार्गदर्शक” मानते हैं. मिस्त्री ने लिखा कि मुंबई लौटने के बाद उन्हें अपनी ट्रस्टीशिप से जुड़ी खबरों की जानकारी मिली और यह पत्र मीडिया में चल रही अटकलों पर पूर्ण विराम लगाने के लिए लिखा गया है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अनावश्यक विवाद टाटा ट्रस्ट्स और पूरे समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए उन्होंने संगठन के हित में यह निर्णय लिया है.
मिस्त्री ने क्या लिखा?
मिस्त्री ने कहा, “मैंने 28 अक्टूबर 2025 तक टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी के रूप में कार्य किया है. लेकिन मेरा मानना है कि अगर मामलों को बढ़ाया गया, तो इससे ट्रस्ट्स की साख को अपूरणीय क्षति हो सकती है. रतन टाटा जी की भावना के अनुरूप, जिन्होंने हमेशा सार्वजनिक हित को प्राथमिकता दी, मैं उम्मीद करता हूं कि आगे अन्य ट्रस्टी पारदर्शिता, सुशासन और जनहित के सिद्धांतों का पालन करेंगे.” अपने पत्र के अंत में मिस्त्री ने रतन टाटा का एक उद्धरण भी साझा किया कि “कोई भी व्यक्ति उस संस्था से बड़ा नहीं होता, जिसकी वह सेवा करता है.”
टाटा ट्रस्ट्स में उठी हलचल और आगे की दिशा
मिस्त्री का यह इस्तीफा ऐसे समय आया है जब टाटा ट्रस्ट्स के भीतर पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है. उनके पद छोड़ने से नोएल टाटा के नेतृत्व में समूह में नियंत्रण और एकजुटता और भी मजबूत होती दिखाई दे रही है. टाटा ट्रस्ट्स का बोर्ड अब 11 नवंबर 2025 को बैठक करेगा. यह मिस्त्री के इस्तीफे के बाद पहली बैठक होगी. इसमें नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, प्रमीत जावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और दारियस खंबाटा जैसे वरिष्ठ ट्रस्टी शामिल होंगे. बैठक का एजेंडा अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा मानना है कि यह मीटिंग शांतिपूर्ण रहेगी और संगठन की स्थिरता बनाए रखने पर केंद्रित होगी. पिछले वर्ष अक्टूबर 2024 में पारित एक प्रस्ताव के अनुसार, टाटा ट्रस्ट्स के सभी ट्रस्टी आजीवन और सर्वसम्मति से नियुक्त किए जाते हैं. यह प्रावधान आने वाले समय में बोर्ड की नीतियों को प्रभावित कर सकता है.
मिस्त्री के अन्य पद और परोपकारी संस्थाओं में भूमिका
हालांकि मेहली मिस्त्री ने तीन प्रमुख ट्रस्ट्स- सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और बाई हिराबाई जे.एन. टाटा नवसारी चैरिटेबल ट्रस्ट से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन वे अभी भी टाटा समूह की अन्य परोपकारी इकाइयों से जुड़े हुए हैं. वह टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट (TEDT), टाटा मेडिकल सेंटर (कोलकाता) और मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के बोर्ड में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर मिस्त्री ने अपने हटाए जाने के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की, तो उनके TEDT बोर्ड में बने रहने पर असर पड़ सकता है. यह ट्रस्ट करीब 5,000 करोड़ रुपये के कोष का संचालन करता है और उच्च शिक्षा व छात्रवृत्तियों के लिए काम करता है. वहीं, ब्रीच कैंडी अस्पताल, जहां मिस्त्री 2004 से ट्रस्टी हैं, को हाल ही में टाटा समूह की ओर से 500 करोड़ रुपये का CSR फंड प्राप्त हुआ है.
टाटा ग्रुप के लिए क्या मायने रखता है यह इस्तीफा
टाटा ट्रस्ट्स, जो टाटा संस में लगभग दो-तिहाई हिस्सेदारी रखते हैं, समूह की परोपकारी और गवर्नेंस संरचना का आधार हैं. मिस्त्री का इस्तीफा टाटा ट्रस्ट्स के भीतर सत्ता संतुलन में एक और अहम बदलाव का संकेत देता है. माना जा रहा है कि नोएल टाटा के नेतृत्व में समूह अब पारदर्शिता और एकता की दिशा में और ठोस कदम उठाएगा.
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