हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन गोपीचंद हिंदुजा का निधन, लंदन में ली आखिरी सांस : रिपोर्ट
हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन और ब्रिटेन के सबसे धनी कारोबारियों में शुमार गोपीचंद पी हिंदुजा का लंदन के एक अस्पताल में 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वे पिछले कुछ सप्ताह से अस्वस्थ थे और इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली.
कारोबारी जगत में GP के नाम से मशहूर हिंदुजा गुप के चेयरमैन गोपीचंद हिंदुजा का निधन हो गया है. उन्होंने लंदन में आखिरी सांस ली. वे हिंदुजा परिवार की दूसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते थे. उन्होंने अपने बड़े भाई श्रीचंद पी हिंदुजा के निधन के बाद समूह की कमान संभाली थी. वे अपने पीछे पत्नी सुनीता, बेटे संजय और धीरज तथा बेटी रीता को छोड़ गए हैं.
कारोबारी नेतृत्व की एक मिसाल
1940 में जन्मे गोपीचंद हिंदुजा ने 1959 में मुंबई में पारिवारिक व्यवसाय से अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने एक पारंपरिक ट्रेडिंग बिजनेस को वैश्विक औद्योगिक समूह में तब्दील कर दिया, जिसकी मौजूदगी आज 30 से अधिक देशों में है.
उनकी अगुवाई में हिंदुजा ग्रुप ने बैंकिंग, फाइनेंस, एनर्जी, ऑटोमोटिव, मीडिया और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कई क्षेत्रों में विस्तार किया. 
दो बड़े सौदों से बनी साख
उन्होंने हिंदुजा ग्रुप ने दो अहम अधिग्रहण सौदों में अहम भूमिका निभाई. पहला 1984 में Gulf Oil और 1987 में Ashok Leyland का अधिग्रहण शामिल हैं. वे भारत में NRI निवेश का एक बड़ा उदाहरण बना. गोपीचंद अपने शांत स्वभाव, अनुशासन और व्यावसायिक दृष्टिकोण के लिए पहचाने जाते थे. उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिन्सटर और रिचमंड कॉलेज लंदन से ऑनरेरी डॉक्टेरट की उपाधी मिली.
हिंदुजा साम्राज्य की विरासत
हिंदुजा ग्रुप की नींव 1919 में परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने रखी थी. उन्होंने सिंध (अब पाकिस्तान) से ईरान जाकर कारोबार शुरू किया था. बाद में 1979 में परिवार ने लंदन को अपना मुख्यालय बनाया और वहां से समूह के वैश्विक विस्तार की शुरुआत हुई.
आज हिंदुजा ग्रुप की मौजूदगी दर्जनों उद्योगों में है और करीब 2 लाख से अधिक कर्मचारी इससे जुड़े हैं.
रियल एस्टेट का बड़ा साम्राज्य
हिंदुजा परिवार के पास लंदन में कई ऐतिहासिक संपत्तियां हैं, जिनमें ओल्ड वार ऑफिस बिल्डिंग शामिल है, जिसे हाल ही में राफेल्स लंदन होटल के रूप में तैयार किया गया है. इसके अलावा, परिवार के पास कार्लटन हाउस टेरेस जैसी प्रतिष्ठित संपत्तियां भी हैं. गोपीचंद हिंदुजा लंदन से कंपनी के ग्लोबल ऑपरेशन को देख रहे थे, जबकि उनके छोटे भाई प्रकाश हिंदुजा मोनाको में और सबसे छोटे भाई अशोक हिंदुजा मुंबई से भारतीय कारोबार का संचालन करते हैं.
एक युग का अंत
गोपीचंद हिंदुजा को एक ऐसे कारोबारी नेता के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने परंपरा और आधुनिकता को जोड़ते हुए हिंदुजा ग्रुप को अंतरराष्ट्रीय ऊंचाइयों तक पहुंचाया. उनका निधन न केवल हिंदुजा परिवार के लिए बल्कि भारत-ब्रिटेन व्यापारिक रिश्तों की विरासत के लिए भी एक बड़ी क्षति है.