अगले हफ्ते करेक्टिव फेज में रह सकता है सोना, जानें कौन से फैक्टर गोल्ड की कीमतों को करेंगे प्रभावित
विश्लेषकों के अनुसार, अगले हफ्ते सोने की कीमतें अमेरिकी मुद्रास्फीति, चीन के आर्थिक आंकड़ों और फेडरल रिजर्व की नीतिगत टिप्पणियों के बीच करेक्शन मोड में रह सकती हैं. मजबूत डॉलर और कमजोर खुदरा मांग ने सोने की तेजी को सीमित किया है, जबकि अमेरिकी सरकारी शटडाउन और वैश्विक अनिश्चितताओं ने गिरावट को रोका है.
आने वाले हफ्ते में सोने की कीमत में सुधार देखने को मिल सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी इन्फ्लेशन के आंकड़ों, ट्रेड टैरिफ को लेकर जारी अनिश्चितताओं और चीन से आने वाले प्रमुख इकोनॉमिक इंडिकेटरों के बीच बुलियन बाजार की चाल इन्हीं फैक्टर पर निर्भर करेगी. ट्रेडर्स की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) के अधिकारियों के बयानों पर भी रहेगी, जो मौद्रिक नीति (Monetary Policy) की दिशा पर स्पष्टता प्रदान करेंगे और इससे सोने के भाव की निकट अवधि की चाल तय होगी.
अमेरिकी मुद्रास्फीति और चीन के आंकड़े बनाएंगे रुख
आने वाले हफ्ते में सोने की कीमतें करेक्टिव फेज के दौर में रह सकती हैं. विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े, चीन के प्रमुख आर्थिक संकेतक और अमेरिकी व्यापार शुल्क से जुड़ी अनिश्चितताएं इस बार बुलियन बाजार की दिशा तय करेंगी. ट्रेडर्स की निगाहें अमेरिकी फेडरल रिजर्व अधिकारियों के बयानों पर भी रहेंगी, जो मौद्रिक नीति की दिशा पर संकेत देंगे. जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी रिसर्च उपाध्यक्ष प्रणव मेर ने कहा कि सोने में इस हफ्ते कुछ और गिरावट या सीमित दायरे में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि निवेशकों का ध्यान मुद्रास्फीति के आंकड़ों और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में टैरिफ सुनवाई पर केंद्रित रहेगा. उन्होंने बताया कि डॉलर की मजबूती और खुदरा मांग में कमी के चलते सोने की कीमतें फिलहाल सीमित दायरे में फंसी हुई हैं.
MCX पर सोना कमजोर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिरता
पिछले सप्ताह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाला सोना 165 रुपये यानी 0.14 फीसदी गिरकर 1,21,067 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ. एंजल वन के प्रथमेश मल्लया ने बताया कि सोना 1,17,000 से 1,22,000 रुपये के बीच कारोबार कर रहा है. उन्होंने कहा कि कमजोर अमेरिकी रोजगार आंकड़े, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी ने फिलहाल सोने को सपोर्ट दिया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉमेक्स गोल्ड दिसंबर फ्यूचर्स 13.3 डॉलर बढ़कर 4,009.8 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ. इमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की अनुसंधान विश्लेषक रिया सिंह ने कहा कि सोना 4,000 डॉलर के स्तर के आसपास स्थिर रहा, क्योंकि निवेशकों का ध्यान अमेरिकी आर्थिक डेटा और मौद्रिक नीति पर केंद्रित रहा.
चांदी में भी सीमित दायरे में उतार-चढ़ाव, अमेरिकी नीति पर असर संभव
सप्ताह के दौरान चांदी की कीमतें भी सीमित दायरे में रहीं. एमसीएक्स पर दिसंबर डिलीवरी वाली चांदी ₹559 यानी 0.38 प्रतिशत गिरकर ₹1,47,728 प्रति किलोग्राम पर बंद हुई. कॉमेक्स पर यह 48.14 डॉलर प्रति औंस पर रही. रिया सिंह के अनुसार, अमेरिकी सरकारी शटडाउन और फेडरल रिजर्व की नीतिगत अस्पष्टता ने चांदी को अस्थिर बनाए रखा, हालांकि औद्योगिक मांग और जियो-पॉलिटिकल जोखिमों ने कीमतों को 47.55 डॉलर प्रति औंस के ऊपर सहारा दिया. अमेरिका द्वारा चांदी, कॉपर और यूरेनियम को ‘क्रिटिकल मिनरल्स’ की सूची में शामिल करना एक बड़ा नीति परिवर्तन माना जा रहा है, जिससे नए टैरिफ और व्यापार प्रतिबंधों की संभावना बढ़ सकती है. इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है और कीमतों में अस्थिरता बढ़ने की आशंका है.