GDP-IIP के लिए 2022-23, CPI के लिए 2024 होगा नया बेस ईयर; जानें इस बदलाव से जुड़े अहम सवालों के जवाब
सरकार GDP और IIP का बेस ईयर बदलकर 2022-23 और CPI का बेस ईयर 2024 करने जा रही है. केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय का कहना है कि इस बदलाव से अर्थव्यवस्था के मौजूदा स्ट्रक्चर, नए सेक्टर्स और खपत पैटर्न को बेहतर तरीके से प्रदर्शित किया जा सकेगा. जानें इसका ग्रोथ, इंफ्लेशन और नीति निर्माण पर क्या असर होगा?

GDP, IIP, CPI Base Year Change: केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की गणना के आधार वर्ष में बदलाव का फैसला किया है. केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने इस संबंध में संसद में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है.
मंत्रालय ने क्या कहा?
संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक मंत्रालय GDP, IIP और CPI के बेस ईयर में बदलाव कर रहा है. मंत्रालय का कहना है कि GDP और IIP के लिए प्रस्तावित नया बेस ईयर 2022-23 है. इसके अलावा CPI के लिए 2024 है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि नए बेस ईयर के साथ डाटा कलेक्शन से इकोनॉमी में हो रहे संरचनात्मक बदलावों को बेहतर ढंग से प्रदर्शित किया जा सकेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि GDP, IIP और CPI की गणना में इस्तेमाल होने वाले बेस ईयर को पहले भी समय-समय पर संशोधित किया जाता रहा है.
CPI के लिए नया वेटेज और सर्वे
इसके साथ ही सरकार ने बताया है कि CPI के नए बेस ईयर के लिए 2023-24 के Household Consumption Expenditure Survey का उपयोग किया है. इससे खपत के नए पैटर्न, नए प्रोडक्ट्स और बदलते खर्च की प्रवृत्तियों को CPI में शामिल किया जा सकेगा. इन बदलावों के लिए मंत्रालय ने कई नए सर्वे और अध्ययन किए हैं. मसलन, नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के दौरान एक कॉर्पोरेट सेक्टर कैपेक्स पर फॉरवर्ड लुकिंग सर्वे किया. इसमें इसमें कंपनियों के निवेश इरादों पर डाटा जुटाया गया. इसके अलावा सर्विस सेक्टर एंटरप्राइजेज पर एक अध्ययन किया गया.
इस बदलाव का क्या असर होगा?
1. GDP ग्रोथ आंकड़े होंगे ज्यादा सटीक
पुराना बेस ईयर इकोनॉमी के पुराने स्ट्रक्चर को दिखाता है. 2022-23 को बेस ईयर बनाने से GDP के आंकड़े रियल इकोनॉमकी एक्टिविटीज पर आधारित होंगे, जिनमें नए सेक्टर जैसे- डिजिटल इकोनॉमी, स्टार्टअप्स, ग्रीन एनर्जी को बेहतर तरीके से शामिल किया.
2. IIP में मैन्युफैक्चरिंग ट्रेंड का सटीक आकलन
IIP का नया बेस ईयर नई इंडस्ट्रीज, टेक्नोलॉजी बदलाव और नए प्रोडक्शन पैटर्न्स को शामिल करेगा, जिससे औद्योगिक उत्पादन की रियल टाइम परफॉर्मेंस का आकलन आसान होगा.
3. CPI में मौजूदा खपत पैटर्न का प्रभाव
CPI के नए वेटेज के तहत ई-कॉमर्स, डिजिटल सब्सक्रिप्शन, नई उपभोक्ता आदतें और उभरते प्रोडक्ट कैटेगरी को भी शामिल किया जाएगा. इससे महंगाई (inflation) का आकलन ज्यादा सटीक हो पाएगा.
4. नीति निर्माण में मदद
अगर सरकार के पास सटीक आंकड़ों होंगे, जो इनकी मदद से सरकार के लिए नीति निर्माण में मदद मिलेगी. खासकर मॉनेटरी पॉलिसी और इन्वेस्टमेंट इंसेंटिव स्कीम व रोजगार के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी.
बेस ईयर से जुड़े FAQ
यहां बेस ईयर में किए गए बदलाव से जुड़े उन सवालों के जवाब दिए गए हैं, जो सबसे ज्यादा बार पूछे गए हैं.
Q1. GDP और IIP का बेस ईयर 2022-23 क्यों किया जा रहा है?
Ans: GDP और IIP का बेस ईयर समय-समय पर बदला जाता है, ताकि आंकड़े इकोनॉमी के मौजूदा स्ट्रक्चर और नए सेक्टर्स जैसे डिजिटल, ग्रीन एनर्जी को सही तरीके से पेश कर पाएं.
Q2. CPI का बेस ईयर 2024 करने से क्या फर्क पड़ेगा?
Ans: CPI का नया बेस ईयर 2024 किए जाने से इसमें उपभोक्ता खर्च के नए पैटर्न, ई-कॉमर्स, डिजिटल सेवाओं और नए प्रोडक्ट कैटेगरी को शामिल किया जाएगा, जिससे महंगाई (inflation) के सही आंकड़े मिलेंगे.
Q3. बेस ईयर बदलने का निवेशकों पर क्या असर होगा?
Ans: बेस ईयर बदलने से GDP ग्रोथ और इंफ्लेशन के आंकड़ों में बदलाव आ सकता है, इससे निवेशक और एनालिस्ट्स को नए मेथड के मुताबिक डाटा का एनालिसिस करना होगा.
Q5. पिछला GDP बेस ईयर कौन सा था और कब बदला गया था?
Ans: पिछला GDP बेस ईयर 2011-12 था, जिसे अब 2022-23 से बदला जा रहा है.
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