पॉपकॉर्न के बाद अब इसबगोल पर बवाल, GST 2.0 में फंसा पेंच; जानें क्या है पूरा माजरा

पॉपकॉर्न के बाद अब इसबगोल उद्योग जीएसटी 2.0 में फंस गया है. ऑल इंडिया इसबगोल प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने सरकार से बीजों पर जीएसटी छूट की मांग की है. उद्योग का कहना है कि टैक्स रिफंड में देरी से उनकी वर्किंग कैपिटल लंबे समय तक फंसी रहती है, जिससे निर्यातकों पर भारी असर पड़ रहा है. अमेरिका से घटती मांग ने हालात और बिगाड़ दिए हैं. प्रोसेसर राहत की उम्मीद कर रहे हैं.

इसबगोल पर तकरार Image Credit: money9live.com

Isabgol GST issue: पॉपकॉर्न पर जीएसटी रेट काफी समय तक चर्चा में रहा था. हालांकि अब नमकीन और मसालेदार पॉपकॉर्न पर 5 फीसदी जीएसटी है और कारमेल पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी टैक्स लगता है. जीएसटी 2.0 के बीच पॉपकॉर्न के बाद अब इसबगोल (Psyllium) उद्योग ने बड़ी चेतावनी दी है. ET की एक रिपोर्ट के अनुसार, टैक्स व्यवस्था में ‘अस्पष्टता’ को लेकर उबलते उद्योग ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर इसबगोल के बीजों को जीएसटी से छूट नहीं मिली, तो वे 6 अक्टूबर से किसानों से बीजों की खरीद बंद कर देंगे. उद्योग का आरोप है कि बीजों पर जीएसटी देना उनकी पूंजी को सालभर से ज्यादा समय तक फंसा देता है, जिससे निर्यातक कमर टूटने की कगार पर पहुंच गए हैं.

क्या है पूरा माजरा?

ऑल इंडिया इसबगोल प्रोसेसर्स एसोसिएशन (IPA) ने सरकार के सामने मांग रखी है कि इसबगोल के बीजों को जीएसटी से पूरी तरह छूट दी जाए. दरअसल, भारत हर साल करीब 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की इसबगोल भूसी का निर्यात करता है, जिसका बड़ा हिस्सा अमेरिका को जाता है. मगर मुश्किल यह है कि किसानों से खरीदे गए बीजों पर प्रोसेसरों को 5 फीसदी जीएसटी देना पड़ता है. टैक्स की यह रकम रिफंड के तौर पर तुरंत वापस नहीं मिल पाती और वर्किंग कैपिटल सालभर से ज्यादा समय तक बंधी रह जाती है.

गुजरात की Sarvodaya Sat Isabgol के पार्टनर राकेश पटेल के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, “ताजे इसबगोल पर कोई जीएसटी नहीं है, जबकि सूखे इसबगोल पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है. मगर ताजे और सूखे के बीच के फर्क को लेकर साफ वर्गीकरण न होने की वजह से प्रोसेसर अधिकारीयों से पंगा लेने से बचने के लिए बीजों पर जीएसटी दे रहे हैं.”

मंदी ने बढ़ाई मुश्किलें

इस पेंचीदा हालात पर अमेरिका से मांग में आई गिरावट ने मुसीबतें और बढ़ा दी हैं. अमेरिका भारत के इसबगोल निर्यात का 60-70 फीसदी हिस्सेदार है. मांग घटने और जीएसटी की मार से निर्यातक परेशान हैं. उद्योग का कहना है कि अगर सरकार ने जल्द कोई राहत नहीं दी, तो इसबगोल बीज की खरीदी पूरी तरह ठप हो जाएगी, जिसका सीधा असर किसानों और निर्यातकों दोनों पर पड़ेगा.

राजस्थान और गुजरात का सबसे ज्यादा योगदान

भारत में इसबगोल की पैदावार में राजस्थान का 70 फीसदी योगदान है, जबकि गुजरात देश की कुल पैदावार का 70 फीसदी प्रोसेसिंग करता है. गुजरात का उंझा शहर देश का सबसे बड़ा व्यापार केंद्र है, जहां कुल इसबगोल व्यापार का 80 फीसदी हिस्सा खपता है.

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