बीड़ी पर GST घटा, बिहार को लेकर मचा बवाल, जानें हर रोज कितना प्रोडक्शन और कहां ज्यादा खपत

केरल में कांग्रेस पार्टी की तरफ से X पर एक पोस्ट वायरल हुआ है. जिसने बिहार में राजनीतिक और सामाजिक बहस छेड़ दी है. पोस्ट केरल कांग्रेस के X हैंडल से किया गया. उसमें कहा गया बीड़ी और बिहार दोनों ‘B’ से शुरू होते हैं. जिसके बाद बीड़ी पर राजनीति शुरु हो गई है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि आखिर भारत में बीड़ी का कारोबार क्या है, इसमें बिहार-यूपी की क्या भूमिका है और भारत की सबसे बड़ी बीड़ी कंपनी कौन सी है. चलिए जानते हैं सबकुछ.

भारत में बीड़ी का कारोबार

GST on beedi 2025: केरल में कांग्रेस पार्टी की तरफ से सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट वायरल हुआ है. जिसने बिहार में राजनीतिक और सामाजिक बहस छेड़ दी है. पोस्ट केरल कांग्रेस के X हैंडल से किया गया. उसमें कहा गया बीड़ी और बिहार दोनों ‘B’ से शुरू होते हैं. अब इन्हें पाप नहीं माना जा सकता. पोस्ट के साथ एक चार्ट भी था, जिसमें बताया गया था कि सरकार ने तंबाकू, सिगरेट और सिगार पर जीएसटी 28 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है. वहीं बीड़ी पर 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर कम कर दिया गया है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि आखिर भारत में बीड़ी का कारोबार क्या है, इसमें बिहार-यूपी की क्या भूमिका है और भारत की सबसे बड़ी बीड़ी कंपनी कौन सी है. चलिए जानते हैं सबकुछ.

कितना बड़ा है भारत में बीड़ी का कारोबार?

भारत का बीड़ी उद्योग दशकों से सरकारों के सपोर्ट और राजनीतिक जुड़ाव के सहारे फल-फूल रहा है. भारत में बीड़ी को कुटीर उद्योग का दर्जा मिला हुआ है, जिससे बड़ी कंपनियां भी छोटे-छोटे यूनिट्स बनाकर टैक्स बचाती हैं. डेटा इन ब्रीफ (2024) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 1.19 ट्रिलियन बीड़ियां बनाई जाती हैं. इनमें से करीब 31 फीसदी बीड़ियां टैक्स से बच जाती हैं. इसका मतलब है कि भारत में बीड़ी इंडस्ट्री तो काफी बड़ी है, लेकिन उसका बहुत हिस्सा शैडो इकोनॉमी में है.

यूपी और बिहार बीड़ी के सबसे बड़े मार्केट

उत्तर प्रदेश और बिहार भारत के सबसे बड़े बीड़ी कंज्यूमर राज्यों की कैटेगरी में आते हैं. ग्रामीण और गरीब तबके में बीड़ी सबसे ज्यादा फेमस है, क्योंकि यह सस्ती है. NFHS और GATS रिपोर्ट्स (2022-23) के मुताबिक, देश में यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश और झारखंड में बीड़ी पीने वालों की संख्या सबसे अधिक है.

देश की सियासत में बीड़ी की राजनीति

भारत का बीड़ी उद्योग सिर्फ तंबाकू तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजनीति से भी गहराई से जुड़ा हुआ है. लंबे समय से यह कारोबार सरकार के सपोर्ट और राजनीति के प्रभाव से फल-फूल रहा है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद खलीलुर रहमान नूर बीड़ी वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं. उनकी कंपनी रोजाना करीब 1 करोड़ बीड़ियां बनाती है, जिससे वह इस उद्योग के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक हैं. इसी तरह, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व सांसद श्याम चरण गुप्ता, श्याम बीड़ी के मालिक रहे हैं. उनकी कंपनी का सालाना कारोबार 200 से 225 करोड़ रुपये है और इसमें 10,000 से ज्यादा लोग काम करते हैं.

बीड़ी पर कितना है GST ?

GST रिफॉर्म के बाद बीड़ी को बाकी तंबाकू प्रोडक्ट के मुकाबले रियायत दी गई है. सरकार ने बीड़ी पर जीएसटी रेट कम कर दिया है. पहले जहां बीड़ी पर 28 फीसदी जीएसटी लगता था, अब इसे घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया है.

कैसे बनती है बीड़ी?

जैसे बीड़ी बनाना देखने में आसान लगता है, उतना है नहीं. इसमें कई स्टेप होते हैं. यह काम अधिकतर ग्रामीण इलाकों में घरों की महिलाएं करती हैं. चलिए जानते हैं इसके बनाने का तरीका,

तेंदू पत्ते की तोड़ाई और तैयारी

बीड़ी बनाने के लिए तेंदू पत्ता (जिसे बीड़ी पत्ता भी कहते हैं) इस्तेमाल होता है. ये पत्ते मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र के जंगलों से तोड़े जाते हैं. पत्तों को तोड़कर सुखाया जाता है और फिर गट्ठरों में बांधकर बीड़ी बनाने वाले क्षेत्रों में भेजा जाता है.

तंबाकू की प्रोसेसिंग

बीड़ी में भरा जाने वाला तंबाकू गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से आता है. इसे सुखाकर, पीसकर और छांटकर तैयार किया जाता है ताकि बीड़ी में भरने लायक महीन तंबाकू मिल सके.

बीड़ी रोलिंग (लपेटना)

तेंदू पत्ते को एक खास आकार में काटते हैं. उस पर थोड़ी मात्रा में तंबाकू रखा जाता है और हाथ से लपेटकर पतली स्टिक जैसी बीड़ी बनाई जाती है. पत्ते को बंद करने के लिए पतले धागे का इस्तेमाल होता है.

सुखाना

तैयार बीड़ियों को बांस की टोकरियों या बड़ी ट्रे में रखकर धूप में सुखाया जाता है. कई जगह इन्हें ओवन जैसी गर्म भट्टियों में भी सुखाया जाता है, ताकि नमी निकल जाए.

पैकिंग

सूखने के बाद बीड़ियों को गिनकर बंडलों (10, 20, 25 या 50 की गड्डी) में बांधा जाता है. कई कंपनियां साधारण कागज की पैकिंग करती हैं, जबकि लोकल ब्रांड अक्सर बिना ब्रांड के ही गड्डी बेचते हैं. खास बात यह है कि बीड़ी बनाना पूरी तरह हाथ का काम है.

UP और बिहार में बीड़ी का मार्केट

SRCC की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, The All India Beedi Industry Federation (AIBIF) जो कि 240 से ज्यादा निर्माताओं का संगठन है, भारत में ब्रांडेड बीड़ी उत्पादन का लगभग दो-तिहाई हिस्सा कंट्रोल करता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तंबाकू उद्योग देश में रोजगार का बड़ा जरिया है. यह उद्योग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करीब 4.57 करोड़ लोगों को रोजगार देता है. बीड़ी का सबसे बड़ा उपभोग उत्तर भारत के राज्यों में है, खासकर यूपी और बिहार में. NFHS और GATS सर्वे बताते हैं कि सबसे ज्यादा बीड़ी पीने वाले यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश और झारखंड में मिलते हैं. इसका कारण है कि बीड़ी सस्ती पड़ती है और गरीब-मजदूर तबके के लोग इसे ज्यादा पीते हैं. श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट (2009) के मुताबिक, बिहार में 3.35 लाख बीड़ी कामगार हैं.

भारत में बीड़ी के फेमस ब्रांड

भारत में असंगठित और छोटे पैमाने पर काम करने वाली बीड़ी की हजारों यूनिट्स हैं. भारत में अधिकतर लोकल और बिना पैकिंग वाली बीड़ियां बिकती हैं. फिर भी कुछ फेमस ब्रांड भी हैं, इनमें गणेश बीड़ी, 420 बीड़ी, लक्ष्मी बीड़ी, तिरुपति बीड़ी शामिल हैं. वहीं कर्नाटक की Mangalore Ganesh Beedi Works (MGBW) भारत की सबसे बड़ी और पुरानी बीड़ी कंपनी मानी जाती है. इसकी शुरुआत 1939 में कर्नाटक के मंगलुरु से हुई थी. खास बात ये है कि Ganesh Beedi ब्रांड न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी बिकता है. कंपनी का नेटवर्क महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और केरल तक फैला है.

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