Hindustan Zinc को मिली टंगस्टन माइनिंग की मंजूरी, क्रिटिकल मिनरल बिजनेस में बड़ी एंट्री; जानें वित्तीय स्थिति

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) को आंध्र प्रदेश में टंगस्टन की खोज और माइनिंग के लिए कम्पोजिट लाइसेंस मिला है. यह कदम कंपनी के लिए क्रिटिकल और हाई-वैल्यू मिनरल सेक्टर में प्रवेश का बड़ा अवसर है. मजबूत वित्तीय प्रदर्शन और बढ़ते कैश फ्लो से कंपनी इस विस्तार को गति दे पाएगी. जानें क्या है शेयर का हाल.

हिंदुस्तान जिंक Image Credit: Idrees Abbas/SOPA Images/LightRocket via Getty Images

Hindustan Zinc Tungsten Mining: हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) को आंध्र प्रदेश सरकार से टंगस्टन और उससे जुड़े खनिजों की खोज और खनन के लिए कम्पोजिट लाइसेंस मिल गया है. कंपनी के लिए यह कदम इसलिए बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे वह पहली बार क्रिटिकल और हाई-वैल्यू मिनरल्स के सेक्टर में एंट्री करने जा रही है. टंगस्टन डिफेंस, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाला काफी अहम खनिज है, जिसकी मांग ग्लोबल स्तर पर लगातार बढ़ रही है.

कंपनी ने क्या कहा?

कंपनी ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि उसे राज्य सरकार से प्राप्त औपचारिक मंजूरी के बाद इस ब्लॉक का “सफल बोलीदाता” घोषित किया गया है. यह लाइसेंस कंपनी को पहले खनिज की खोज और सफल परिणाम मिलने पर स्वचालित रूप से माइनिंग का अधिकार देता है. यह दो-स्तरीय अनुमति एक ही लाइसेंस में मिलने से प्रोजेक्ट के विकास में तेजी आएगी.

फोटो क्रेडिट- @NSE

कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने कहा, “यह उपलब्धि हिंदुस्तान जिंक की माइनिंग कैपेसिटी को नए क्षेत्रों में विस्तारित करने के साथ-साथ देश को रणनीतिक और अहम माइनिंग्स में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.”

जिंक–लेड–सिल्वर से आगे क्रिटिकल मिनरल्स में प्रवेश

HZL दुनिया की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड जिंक उत्पादक है और ग्लोबल स्तर पर शीर्ष पांच सिल्वर प्रोड्यूसर में शामिल है. कंपनी 40 से अधिक देशों में सप्लाई करती है और भारत के प्राथमिक जिंक बाजार में लगभग 77 फीसदी हिस्सेदारी रखती है. टंगस्टन ब्लॉक मिलने के बाद कंपनी पहली बार जिंक–लेड–सिल्वर के पारंपरिक दायरे से आगे निकलकर नए खनन क्षेत्रों में कदम रख रही है.

कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत

टंगस्टन प्रोजेक्ट को लेकर कंपनी की योजनाओं को उसके मजबूत वित्तीय प्रदर्शन से भी समर्थन मिलता है. सितंबर 2025 में समाप्त दूसरी तिमाही (Q2 FY26) में कंपनी का नेट प्रॉफिट 14 फीसदी बढ़कर 2,649 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इस अवधि में कंपनी की कुल इनकम 8,762 करोड़ रुपये रही, जबकि ऑपरेटिंग मार्जिन 52 फीसदी पर दर्ज किया गया, जो माइनिंग इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धी स्तर पर सबसे मजबूत माना जाता है.

वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में कंपनी का वार्षिक रेवेन्यू 34,965 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 30,037 करोड़ रुपये के मुकाबले 17.4 फीसदी ज्यादा है. इसी अवधि में नेट प्रॉफिट बढ़कर 10,279 करोड़ रुपये हो गया. कंपनी की वार्षिक इनकम और मुनाफे दोनों में लगातार बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि HZL अपने प्रोडक्शन और मूल्य प्राप्ति दोनों में सुधार करने में सफल रही है.

लोन की स्थिति सुरक्षित, निवेश क्षमता मजबूत

कंपनी ने बताया कि सितंबर 2025 तक उसके पास नकदी और निवेश के रूप में 8,155 करोड़ रुपये उपलब्ध थे, जबकि कुल उधार 10,702 करोड़ रुपये था. इस आधार पर कंपनी का नेट डेट मात्र 2,547 करोड़ रुपये बैठता है, जो उसके मजबूत EBITDA के मुकाबले बेहद कम माना जाता है. क्रिसिल की AAA/Stable रेटिंग इस बात का संकेत है कि कंपनी की बैलेंस शीट सुरक्षित है और नए प्रोजेक्ट्स में निवेश करने की उसकी क्षमता मजबूत बनी हुई है.

शेयरधारकों को मिला भारी लाभ

FY25 में कंपनी ने कुल 12,253 करोड़ रुपये का डिविडेंड घोषित किया. कंपनी पिछले कुछ सालों से लगातार उदार डिविडेंड नीति का पालन कर रही है, जिससे निवेशकों का भरोसा मजबूत बना हुआ है. मजबूत कैश फ्लो की वजह से कंपनी नए माइनिंग प्रोजेक्ट्स में निवेश के साथ-साथ शेयरधारकों को भी फायदा पहुंचाने की स्थिति में बनी हुई है.

शेयरों का हाल?

शुक्रवार, 14 नवंबर को कंपनी के शेयर 1.65 फीसदी की गिरावट के साथ 487.05 रुपये पर बंद हुआ. पिछले सप्ताहभर में स्टॉक में 2.08 फीसदी की तेजी आई वहीं, 3 महीने में शेयर की कीमत में 13 फीसदी की तेजी आ चुकी है. लॉन्ग टर्म में स्टॉक ने अच्छा रिटर्न दिया है. 3 साल के दौरान इसमें 56.36 फीसदी की तेजी आई है. कंपनी का मार्केट कैप 2,05,731 करोड़ रुपये दर्ज किया गया.

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