अक्टूबर में भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल खरीदार, अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच जारी रहा ऑयल ट्रेड, टॉप पर रहा चीन
अक्टूबर में भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल खरीदार बना, चीन के बाद. भारत ने रूस से 2.5 अरब डॉलर का कच्चा तेल और कुल 3.1 अरब डॉलर का फॉसिल ईंधन आयात किया. तुर्की तीसरे और यूरोपीय संघ चौथे सबसे बड़े खरीदार रहे. दक्षिण कोरिया पांचवें स्थान पर रहा. पश्चिमी देशों ने भारत और चीन पर दबाव बनाया कि वे रूस से तेल खरीद कम करें.
Russian Crude Oil: इंटरनेशनल प्रेशर के बावजूद भी भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखे हुए है. अक्टूबर महीने में भारत रूस से 2.5 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदा, जो चीन के बाद दूसरे नंबर पर है. इसी दौरान चीन ने 3.7 अरब डॉलर का तेल आयात किया. रूस से भारत का कुल फॉसिल ईंधन आयात 3.1 अरब डॉलर रहा, जबकि चीन का आंकड़ा 5.8 अरब डॉलर रहा. यूरोपीय संघ और तुर्की भी रूस से तेल और गैस के बड़े खरीदार बने. पश्चिमी देशों ने भारत और चीन पर रूस से तेल की खरीद घटाने का दबाव बनाया है.
भारत का रूस से कच्चा तेल आयात
अक्टूबर में भारत ने रूस से 2.5 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदा. यह आंकड़ा चीन के 3.7 अरब डॉलर के आयात के बाद दूसरा सबसे बड़ा रहा. भारत की यह खरीद रूस के तेल बाजार में उसकी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी दिखाती है. भारत का रूस से कुल फॉसिल ईंधन आयात 3.1 अरब डॉलर रहा, जिसमें कच्चा तेल और अन्य तेल उत्पाद शामिल हैं.
चीन और तुर्की की स्थिति
चीन रूस का सबसे बड़ा खरीदार बना रहा, जबकि तुर्की तीसरे नंबर पर रहा. तुर्की ने अक्टूबर में 2.7 अरब डॉलर का आयात किया. रूस से आने वाले तेल और गैस उत्पादों में तुर्की ने सबसे अधिक डीजल और पाइपलाइन गैस खरीदी. चीन और तुर्की के आयात में बढ़ोतरी ने रूस की ऊर्जा निर्यात रणनीति को मजबूती दी.
यूरोपीय संघ का आयात
यूरोपीय संघ ने अक्टूबर में रूस से 1.1 अरब डॉलर का फॉसिल ईंधन आयात किया. इसमें एलएनजी और पाइपलाइन गैस का बड़ा हिस्सा शामिल है. रूस का कच्चा तेल यूरोपीय संघ को 311 मिलियन डॉलर में मिला. यूरोपीय संघ ने रूस से ऊर्जा इंपोर्ट में डायवर्सिफिकेशन बनाए रखने की कोशिश की है.
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कोरियाई और अन्य खरीदार
दक्षिण कोरिया रूस का पांचवां सबसे बड़ा फॉसिल ईंधन खरीदार बना. कोरिया ने कुल 215 मिलियन डॉलर का आयात किया, जिसमें 53 फीसदी कोयला शामिल था. इसके अलावा कोरिया ने 107 मिलियन डॉलर का एलएनजी और 80 मिलियन डॉलर के तेल उत्पाद खरीदे.
अमेरिकी प्रतिबंध और वैश्विक प्रभाव
पश्चिमी देश रूस के तेल निर्यातकों रॉसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. इन प्रतिबंधों का असर दिसंबर में भारत और चीन के आयात आंकड़ों में देखने को मिलेगा. वैश्विक दबाव के बावजूद भारत और चीन रूस से एनर्जी इंपोर्ट जारी रख रहे हैं.