गोला-बारूद में भारत बना ‘आत्मनिर्भर’, 91 फीसदी प्रोडक्शन स्वदेशी, US-Europe पहुंचेंगे हमारे अस्त्र
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को लेकर एक बड़ा मील का पत्थर सामने आया है. बदलते वैश्विक हालात और सुरक्षा जरूरतों के बीच भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में अहम प्रगति दर्ज की है. इसी के साथ आयात पर निर्भरता काफी हद तक कम हो गई है.
वैश्विक स्तर पर बढ़ती अस्थिरता और सप्लाई चेन में रुकावटों के बीच भारत ने डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, Indian Army ने अपने गोला-बारूद के भंडार में शामिल 175 में से 159 प्रकार की एम्युनिशन को स्वदेशी बना लिया है. इसके साथ ही सेना ने करीब 91 फीसदी आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है, यानी करीब 91 फीसदी हथियार अपने देश में बनाए जा रहे हैं. इसी के साथ आयात पर निर्भरता काफी हद तक कम हो गई है. यह कदम लंबे वक्त तक संघर्ष की स्थिति में लगातार फायरपावर बनाए रखने के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है.
आत्मनिर्भरता को तेज करने की रणनीति
मिलिट्री-ग्रेड एम्युनिशन के स्वदेशी प्रोडक्शन को गति देने के लिए Ministry of Defence ने रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनियों और निजी उद्योगों दोनों को इस प्रक्रिया में शामिल किया है. इस पहल में Munitions India Ltd और Solar Industries India Ltd जैसी कंपनियां अहम भूमिका निभा रही हैं. यह प्रयास ऐसे समय में तेज किया गया है, जब हालिया सैन्य अभियानों के बाद तीनों सेनाएं उच्च स्तर की ऑपरेशनल तैयारियों में जुटी हुई हैं.
स्मार्ट एम्युनिशन पर फोकस
अब भी जो 16 एम्युनिशन वैरायटी स्वदेशी नहीं हो पाई हैं, उनमें से 4 से 7 प्रकार के गोले, रॉकेट और मिसाइलें देश में ही विकसित की जा रही हैं. इनका मकसद सेना की युद्ध क्षमता को स्मार्ट एम्युनिशन के जरिए और मजबूत करना है. इसमें रूसी मूल का एंटी-टैंक APFSDS गोला-बारूद और स्वीडन में डिजाइन की गई 84 मिमी एम्युनिशन शामिल है. अधिकारियों के मुताबिक, ये प्रोजेक्ट जल्द पूरे होने की उम्मीद है.
APFSDS एम्युनिशन के लिए रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर की प्रक्रिया 2015–16 में शुरू हुई थी. अब पुणे में Munitions India Ltd के परिसर में इसके उत्पादन की सुविधाएं लगभग तैयार हो चुकी हैं. इसी तरह, स्वीडन से 84 mm एम्युनिशन के निर्माण की तकनीक भी मिल चुकी है और इसका प्लांट लगाया जा रहा है.
किन वैरायटी पर नहीं होगा घरेलू उत्पादन
सेना और रक्षा मंत्रालय ने मिलकर पांच एम्युनिशन वैरायटी को “इकोनॉमिक ऑर्डर क्वांटिटी” के तहत रखा है. चूंकि इनकी मांग सीमित है और मौजूदा स्टॉक पर्याप्त हैं, इसलिए इनके घरेलू उत्पादन का फैसला फिलहाल नहीं किया गया है.
रिपोर्ट में सैन्य सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भविष्य की लड़ाइयां ज्यादा जटिल और तकनीक आधारित होंगी. ऐसे में स्मार्ट एम्युनिशन, सटीक हमले और कम कोलेटरल डैमेज के साथ निर्णायक बढ़त दिला सकते हैं. आर्टिलरी के साथ-साथ सेना अब कॉम्बैट UAVs के लिए भी स्मार्ट एम्युनिशन पर जोर दे रही है.
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निर्यात से उत्पादन लाइन को सहारा
आत्मनिर्भरता के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय शांति काल में उत्पादन लाइन को सक्रिय रखने के लिए निर्यात पर भी ध्यान दे रहा है. भारत अब अमेरिका और यूरोप समेत कई देशों को छोटे, मध्यम और बड़े कैलिबर का गोला-बारूद, आर्टिलरी शेल, रॉकेट और TNT, RDX, HMX जैसे विस्फोटक निर्यात कर रहा है. इससे रक्षा उद्योग को नई मजबूती मिलने की उम्मीद है.
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