भारत के अचूक ड्रोन की दुनिया देखेगी ताकत, 2000 करोड़ का लगाया दांव! अब क्या करेंगे पाक-तुर्किए-चीन
भारत सरकार ड्रोन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए करीब 2000 करोड़ रुपये की इंसेंटिव स्कीम शुरू करने जा रही है. यह योजना पाकिस्तान और तुर्किए समर्थित ड्रोन कार्यक्रमों का मुकाबला करने और ड्रोन इम्पोर्ट पर निर्भरता घटाने के लिए लाई जा रही है. तीन साल की इस योजना में ड्रोन, सॉफ्टवेयर और काउंटर-ड्रोन सिस्टम शामिल होंगे.
India drone incentive scheme: भारत-पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सीमा संघर्ष के दौरान बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था. आज दुनिया के कई देश वॉर के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं . ये ड्रोन किफायती होने के साथ-साथ कम नुकसान वाला भी होते हैं. ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए भारत सरकार बड़ा कदम उठाने वाली है, जिससे भारतीय कंपनियों के साथ-साथ देश को भी लाभ होने वाला है. सरकार एक नया इंसेंटिव प्रोग्राम शुरू करने जा रही है. तो आइए जानते हैं कि यह प्रोग्राम कैसा होगा.
शुरू होने वाला है इंसेंटिव स्कीम
रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत सरकार सिविल और मिलिट्री ड्रोन के निर्माण के लिए 234 मिलियन डॉलर (करीब 2000 करोड़ रुपये) की इंसेंटिव स्कीम शुरू करने वाली है. सूत्रों के अनुसार, यह कदम चीन और तुर्की द्वारा समर्थित पाकिस्तान के ड्रोन कार्यक्रम का मुकाबला करने और इम्पोर्ट पर निर्भरता घटाने के लिए उठाया गया है.
ड्रोन युद्ध का नया युग
मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले सीमा संघर्ष के दौरान दोनों देशों ने पहली बार बड़े पैमाने पर ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था. इस घटना ने भारत को सिविल और मिलिट्री ड्रोन उद्योग को स्वदेशी बनाने की दिशा में तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया.
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह नया प्रोत्साहन कार्यक्रम तीन वर्षों तक चलेगा और इसमें ड्रोन निर्माण, सॉफ्टवेयर, काउंटर-ड्रोन सिस्टम और संबंधित सर्विस शामिल होंगी. इससे पहले, 2021 में भारत ने ड्रोन स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए 120 करोड़ रुपये की योजना शुरू की थी, लेकिन नई योजना का बजट उससे कहीं अधिक होगा.
40 फीसदी प्रमुख कंपोनेंट स्वदेशी बनाने का लक्ष्य
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत का लक्ष्य 2028 तक ड्रोन के 40 फीसदी प्रमुख कंपोनेंट का देश में ही निर्माण करना है. हालांकि ड्रोन के इम्पोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन उनके कंपोनेंट का इम्पोर्ट अभी भी जारी है. नई योजना में स्थानीय निर्माताओं को इन कंपोनेंट के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन दिए जाने की भी योजना है.
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था, “इस संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों ने ड्रोन, लॉइटरिंग म्युनिशन और कामिकेज़ ड्रोन का भारी मात्रा में इस्तेमाल किया. हमने यह सबक सीखा है कि हमें स्वदेशीकरण पर और अधिक ध्यान देना होगा ताकि एक बड़ा और प्रभावी सैन्य ड्रोन प्रोडक्शन इकोसिस्टम विकसित किया जा सके.”
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ड्रोन इंडस्ट्री को बढ़ावा
वर्तमान में भारत में 600 से अधिक ड्रोन निर्माण और संबंधित कंपनियां काम कर रही हैं. सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (SIDBI) को सस्ते लोन और रिसर्च सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है.
इसके अलावा, भारत सरकार अगले 12 से 24 महीनों में ड्रोन तकनीक पर 470 मिलियन डॉलर तक का निवेश करने की योजना बना रही है. अब तक भारत की अपनी सैन्य ड्रोन जरूरतों के लिए इजरायल पर निर्भरता थी, लेकिन अब देश में ही किफायती और उन्नत ड्रोन बनाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है.