नेशनल इमरजेंसी में प्राइवेट कंपनी के गैस-पेट्रोल पर सरकार का होगा पहला हक, जानें नए ड्राफ्ट के नियम

देश में ऊर्जा संकट या युद्ध जैसी स्थिति के दौरान क्या सरकार सीधे तेल और गैस पर अधिकार जमा सकती है? संसद से पास हुए नए कानून के तहत अब केंद्र सरकार ऐसे कदम उठा सकती है, जो सीधे तौर पर पेट्रोलियम कंपनियों और उपभोक्ताओं पर असर डाल सकते हैं.

तेल-गैस पर केंद्र सरकार का बड़ा दांव! Image Credit: FreePik

अगर देश किसी आपातकालीन स्थिति से गुजर रहा हो और ऊर्जा संसाधनों की कमी हो, तो सरकार अब निजी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस पर पहला दावा कर सकेगी. केंद्र सरकार ने ऑयलफील्ड्स (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) संशोधित कानून के तहत नए ड्राफ्ट नियम जारी किए हैं, जिनमें प्रेम्पशन अधिकार यानी पहले खरीदने का कानूनी अधिकार शामिल किया गया है. यह कदम देश के ऊर्जा हितों को प्राथमिकता देने और राष्ट्रीय आपात स्थितियों में सार्वजनिक कल्याण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है.

तेल और गैस पर सरकार का पहला अधिकार

ड्राफ्ट नियमों के मुताबिक, किसी भी राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में भारत सरकार देश में उत्पादित कच्चे तेल, रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों और प्राकृतिक गैस पर पहला अधिकार रखेगी. इसका मतलब है कि निजी या विदेशी कंपनियों द्वारा उत्पादित तेल या गैस अगर सरकार को तत्काल आवश्यक लगी तो सरकार उसे बाजार में जाने से पहले खुद हासिल कर सकेगी. हालांकि, इसके बदले में कंपनियों को उस समय काफेयर मार्केट प्राइस चुकाया जाएगा.

हालांकि ड्राफ्ट नियमों में “राष्ट्रीय आपातकाल” की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन यह कहा गया है कि युद्ध, प्राकृतिक आपदा या पाकिस्तान के साथ जैसी सैन्य तनातनी जैसी स्थिति को इसमें शामिल किया जा सकता है. नियमों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रीय आपातकाल क्या होगा, इसका निर्धारण केवल केंद्र सरकार करेगी और उसका निर्णय अंतिम होगा.

यह नियम संशोधित ऑयलफील्ड्स अधिनियम के तहत प्रस्तावित किए गए हैं, जो कि 1948 के पुराने कानून को हटाकर लाए गए हैं. इनका उद्देश्य देश में तेल और गैस उत्पादन को बढ़ावा देना, निवेश आकर्षित करना और ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव के लिए नीतिगत स्पष्टता लाना है. इससे विदेशी और निजी कंपनियों को यह भी संदेश दिया गया है कि देश की ऊर्जा जरूरतें प्राथमिक होंगी और संकट की स्थिति में सरकार उत्पादन पर नियंत्रण रख सकती है.

फोर्स मेजर स्थितियों में कंपनियों को राहत

ड्राफ्ट नियमों में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई कंपनी ऐसी स्थिति का सामना करती है जो उसके नियंत्रण से बाहर है-जैसे भूकंप, महामारी, युद्ध, दंगा या तूफान, तो उस पर एक्ट के तहत लागू दायित्वों से अस्थायी छूट मिल सकती है. इसे फोर्स मेजर क्लॉज कहा गया है और यह वैश्विक स्तर पर व्यावसायिक अनुबंधों का एक सामान्य भाग होता है.

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पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट पर जनता और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे हैं. संसद ने इसी वर्ष इस संशोधन विधेयक को पारित किया था जो ऊर्जा सुरक्षा, निवेश और नीतिगत सुधार की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है.