रेयर अर्थ मटेरियल में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, सरकार ने बना लिया रिसर्च से लेकर माइनिंग तक का पूरा प्लान

रेयर अर्थ मटेरियल बैन की पैंतरेबाजी जल्द ही चीन को भारी पड़ सकती है. दुनिया के ज्यादातर देश इस मामले में चीन के सामने नाक रगड़ रहे हैं. वहीं, भारत ने पूरी तरह से अलग रुख अपनाते हुए आत्मनिर्भता के रास्ते पर चलने का फैसला किया है. इसके लिए मंगलवार को एक अंतर-मंत्रालयी बैठक हुई है.

सरकार ने बनाई आत्मनिर्भरता के लिए रणनीति Image Credit: money9live

Inter-Ministerial Efforts on Eare Earth: रेयर अर्थ मटेरियल पर बैन असल में चीन की घिनौनी चाल है, जिसमें भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ पर ब्रेक लगाने की साजिश साफ दिखती है. लेकिन, भारत ने इस मामले में दूसरे देशों की तरह ड्रैगन के सामने झुकने के बजाय आत्मनिर्भता का रास्ता चुना है. केंद्र सरकार इस मामले में देश को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए रिसर्च से लेकर माइनिंग तक की रणनीति बना रही है.

सरकार का क्या रुख?

मंगलवार को इस सिलसिले में केंद्र सरकार की एक अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की गई. केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बताया कि यह अंतर-मंत्रालयी प्रयास भारत को रेयर अर्थ मटेरियल और मैग्नेट के मामले में आत्मनिर्भर बनने का मार्ग प्रशस्त करेंगा. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के लिए REE यानी रेयर अर्थ एलिमेंट्स के मामले में आत्मनिर्भता जरूरी है.

बैठक में क्या बात हुई?

भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री कुमारस्वामी ने कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ REE के मुद्दे पर बैठक की जानकारी सोशल मीडिया पर देते हुए कहा कि रेयर अर्थ मैग्नेट के मुद्दे पर चर्चा के लिए केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में भारी उद्योग मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय, खान मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे. इसके साथ ही उन्होंने कहा, यह अंतर-मंत्रालयी प्रयास ईवी, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और अन्य क्षेत्रों के लिए अहम रणनीतिक सामग्रियों में भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करेगा.

पूरी वैल्यू चेन बनाएगा भारत

बैठक में शामिल हुए कोयला और खनन मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि भारत सरकार ने इन Critical Minerals के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए पूरी सरकारी मशीनरी को सक्रिय कर दिया है. मंगलवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयीय बैठक में माइनिंग, रिफाइनिंग और अंतिम उपयोग तक की पूरी वैल्यू चेन को भारत में मजबूत बनाने पर चर्चा की गई.

NCMM को किया लागू करने पर जोर

बैठक में इस बात पर खास जोर दिया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के मुताबिक NCMM यानी नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन को लागू किया जाए. इसका मकसद भारत को खनिजों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है. इसके लिए सरकार विभिन्न मंत्रालयों के बीच तालमेल को बढ़ा रही है, ताकि वैल्यू और सप्लाई चेन के हर पहलू को मजबूत बनाया जा सके.

बातचीत को टाल रहा चीन

PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन का उद्योग मंत्रालय रेयर अर्थ मटेरियल के मामले में भारत की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के साथ होने वाली बातचीत को टाल रहा है. इस बैठक के लिए ऑटोमोटिव उद्योग से जुड़े करीब 50 लोग चीन जाकर बात करना चाहते हैं. चीन की तरफ से इन्हें वीजा भी जारी कर दिया गया है. लेकिन, बैठक की तारीख तय नहीं कर रहा है.

कहां होता है REE और मैग्नेट का इस्तेमाल?

रेयर अर्थ एलिमेंट्स और मैग्नेट्स का इस्तेमाल कारों के इंजन से लेकर इलेक्ट्रिक कार की मोटर तक होता है. नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन जिसे NdFeB भी कहा जाता है ओटोमोबाइल उद्योग के लिए बेहद जरूरी है. इसका इस्तेमाल EV की ट्रैक्शन मोटर, पैसेंजर वाहनों की पावर स्टीयरिंग मोटर में होता है. इनकी बढ़ती मांगों को देखते हुए भारत सरकार ने NCMM के तहत अंतर-मंत्रालयीय समन्वय को तेज किया है.

यह भी पढ़ें: भारत के लिए आपदा में अवसर बना चीन का रेयर अर्थ बैन, IREL ने उठाया आत्मनिर्भरता का बीड़ा

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