सिंधु नदी पर सबसे पहले ये दो काम करेगा भारत, रोडमैप तैयार; बुरा फंसेगा पाकिस्तान
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करते हुए पाकिस्तान को पानी की सप्लाई रोकने के लिए तीन स्तर की रणनीति बनाई है. सरकार शॉर्ट टर्म, मिड टर्म और लॉन्ग टर्म योजनाओं पर काम कर रही है ताकि पाकिस्तान को एक बूंद पानी भी न मिले.

Indus Waters Treaty: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित कर दिया है. अब सरकार ऐसा प्लान बना रही है जिससे पाकिस्तान को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा. भारत सरकार तीन-स्तरीय रणनीति बना रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पाकिस्तान को जाने वाला पानी पूरी तरह से रोका जा सके. चूंकि नदियों का पानी रोकना एक लंबी प्रक्रिया है, इसलिए सरकार इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने का प्लान बना रही है.
क्या है भारत सरकार का प्लान?
पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को पूरी तरह रोकने के लिए तीन स्तर की रणनीति तैयार की गई है, जिसमें शॉर्ट टर्म प्लान, मिड टर्म प्लान और लॉन्ग टर्म प्लान शामिल हैं. इस प्लान का रोडमैप गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में तैयार किया गया है, जिसमें नदियों की डिलिस्टिंग (सूची से बाहर करना) और डिसिल्टिंग (गाद हटाना) जैसे उपाय शामिल हैं. इसके जरिए पाकिस्तान की ओर बहने वाले जल को रोका जाएगा और उसे भारत की ओर मोड़ा जाएगा.
सरकार ने निलंबित की सिंधु जल संधि
आतंकी हमले के बाद 23 अप्रैल को भारत सरकार ने पाकिस्तान को पत्र भेजकर बताया था कि 1960 में साइन की गई सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा रहा है.
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सिंधु जल संधि क्या है?
सिंधु जल संधि एक जल समझौता है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था. इस संधि के तहत छह प्रमुख नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया. भारत को पूर्वी नदियों सतलुज, ब्यास और रावी का नियंत्रण और उपयोग मिला, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का जल अधिकार दिया गया. यह संधि जल बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच स्थायित्व बनाए रखने के उद्देश्य से की गई थी.
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