दिवाली पर पेंट कंपनियों में ब्रांड वॉर, किसकी मनेगी हैप्पी दिवाली; फायदे में कस्टमर!

Indian Paint Industries: कंपनियां नए तरीके और स्ट्रैटेजी अपना रही हैं और लगभग अब सभी का फोकस डिस्ट्रीब्यूशन पर है. इस बीच नए प्लेयर भी बाजार में अपना विस्तार कर रहे हैं. कुल मिलाकर भारतीय पेंट के मार्केट अब एक नई गति और डायनामिक के साथ बदलाव के लिए तैयार हो रहा है.

पेंट इंडस्ट्री में ब्रांड वॉर. Image Credit: AI

Indian Paint Industries: भारत की पेंट इंडस्ट्री अपनी गति बदल रही है. कैपिटल एक्पेंडिचर में कमी के साथ डिस्ट्रीब्यूशन, ब्रांड रिकॉल और ग्राहकों के भरोसे को जीतने की लड़ाई तेज हो चली है. मार्केट में पहले से स्थापित खिलाड़ी, त्योहारी सीजन में बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए होड़ लगा रहे हैं. कंपनियां नए तरीके और स्ट्रैटेजी अपना रही हैं और लगभग अब सभी का फोकस डिस्ट्रीब्यूशन पर है. इस बीच नए प्लेयर भी बाजार में अपना विस्तार कर रहे हैं. कुल मिलाकर भारतीय पेंट के मार्केट अब एक नई गति और डायनामिक के साथ बदलाव के लिए तैयार हो रहा है.

डिस्ट्रीब्यूशन पर सभी का फोकस

मिंट ने क्रिसिल रेटिंग्स के हवाले से लिखा कि मौजूदा कंपनियों के लिए यूटिलाइजेशन लगभग 70 फीसदी है, जबकि नए खिलाड़ी अभी भी विस्तार कर रहे हैं. इसलिए कुल मिलाकर, इस सेक्टर का कैपिटल एक्सपेंडिचर इस वित्तीय वर्ष से सामान्य होने की उम्मीद है. अब ध्यान वितरण पर केंद्रित हो गया है, जहां मौजूदा और नए खिलाड़ी, दोनों ही डीलर नेटवर्क को आक्रामक रूप से मजबूत कर रहे हैं और यहां तक कि पेंटर्स से सीधे जुड़ रहे हैं.

बड़े ब्रॉड्स की ओर लौट रहे डीलर्स

नुवामा रिसर्च के साथ बातचीत में, एशियन पेंट्स लिमिटेड ने बताया कि पिछले साल प्रतिस्पर्धियों ने ज्यादा मार्जिन वाले छोटे और मझोले डीलरों को साधने की कोशिश की थी. इसके जवाब में, उसने डीलर्स को वापस लाने के लिए एक समर्पित टीम बनाई, जिससे उसे कुछ फायदा भी हुआ है.

जून तिमाही (वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही) की इनकम कॉल में, बर्जर पेंट्स के मैनेजमेंट ने बताया कि कम प्रोत्साहनों से डीलरों के मार्जिन पर असर पड़ रहा है और वे फिर से स्थापित ब्रांड्स की ओर रुख कर रहे हैं. कंसाई नेरोलैक इंडिया और अक्जो नोबेल इंडिया ने भी इसी तरह के रुझान की सूचना दी है.

आसान नहीं है पेंट इंडस्ट्री में एंट्री

पेंट इंडस्ट्री में एंट्री काफी चुनौती भरी है, क्योंकि शुरुआती लागत, जटिल नियम और मजबूत स्थापित ब्रांड नए प्रतिस्पर्धियों को उद्योग में आसानी से प्रवेश करने और अपनी पकड़ मज़बूत करने से रोकते हैं. इसका मतलब है कि सिर्फ प्राइस निर्धारण ही नए प्रतिस्पर्धियों के लिए ग्रोथ का जरिया नहीं बन सकता है. इसलिए, जहां एक नई कंपनी प्रोत्साहन देकर शुरुआती डिस्ट्रीब्यूशन को बढ़ावा दे सकती है, वहीं लॉन्ग टर्म संभावनाएं ब्रांड रिकॉल वैल्यू पर निर्भर करती हैं.

बिड़ला ओपस पूरी गति से आगे बढ़ रहा

एलारा सिक्योरिटीज (इंडिया) की 8 सितंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी महीने-दर-महीने अपने डीलर नेटवर्क का विस्तार कर रही है और बड़े डीलर्स भी जुड़ रहे हैं. कंपनी नए तरीके से आगे बढ़ रही है, जैसे- एक साल के लिए पेंट आश्वासन, ठेकेदारों और आर्टिटेक्ट के बीच इसे अच्छी स्वीकृति मिल रही है. पेंटक्राफ्ट, एक पेंटिंग सर्विस शुरू की गई है और पूरे भारत में इसके बढ़ने की संभावना है. उपभोक्ताओं के लिए फाइनेंसिंग स्कीम की शुरुआत और चुनिंदा रूप से अल्ट्राटेक के नेटवर्क को एक्स्पलोर किया जा रहा.

क्या फायदे में रहेंगे ग्राहक?

बिड़ला ओपस पेंट्स ने ‘बिरला ओपस एश्योरेंस’ लांच किया है, जो प्रोडक्ट्स की क्लालिटी में उसके भरोसे को उजागर करता है. पेंट उद्योग में अपनी तरह की पहली पहल है. यह अभूतपूर्व वादा ग्राहकों को एक साल की रीपेंटिंग वारंटी प्रदान करता है. यानी एक साल तक पेंट की चमक बरकरार रहेगी. अगर दीवरें कंपनी के किए वादे पर खरा नहीं उतरती हैं, दोबारा पेंटिंग के लिए ग्राहक को पैसा खर्च नहीं करना होगा. इसके अलावा कंपनियों की पेंटक्राफ्ट सर्विस का भी फायदा मिलेगा.

त्योहारी सीजन

आमतौर पर, बारिश के कारण सितंबर तिमाही (दूसरी तिमाही) में पेंट की मांग कम रहती है. हालांकि इस बार दिवाली पिछले साल की तुलना में जल्दी आ रही है. इसलिए, सितंबर महीने में काफी पेंटिंग होने की उम्मीद है. आगामी त्योहारी सीजन से पहले पेंट निर्माता डीलर्स और संभावित ग्राहकों को लुभाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे. दूसरी ओर ऑपरेशनल मार्जिन पर और दबाव पड़ सकता है.

मार्जिन और प्रतिस्पर्धा

क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, इस सेक्टर में मार्जिन अब केवल कच्चे तेल से जुड़ी लागतों में उतार-चढ़ाव तक सीमित नहीं रह गया है. तेज प्रतिस्पर्धा मुख्य प्रेशर प्वाइंट बन गया है. वित्त वर्ष 25 में ऑपरेशनल मार्जिन 300 बेसिस प्वाइंट गिरकर लगभग 16.5 फीसदी हो गया. क्रिसिल का अनुमान है कि वित्त वर्ष 26 में इसमें 100 बेसिस प्वाइंट की और गिरावट आएगी, क्योंकि कंपनियां बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए भारी खर्च कर रही हैं, यह मानते हुए कि इनपुट लागत स्थिर बनी रहेगी.

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के निराशाजनक इनकम सीजन के बाद, जहां पेंट कंपनियों ने कम बिक्री और मार्जिन दर्ज किया था, बिक्री में सुधार त्योहारी सीज़न की मांग पर निर्भर करता है. वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में पेंट्स के लिए ग्रॉस मार्जिन प्रभाव सीमित रहा, क्योंकि प्रमुख इनपुट लागतें स्थिर बनी रहीं.

इस बैकड्रॉप में एशियन पेंट्स, बर्जर और कंसाई के शेयरों में पिछले एक साल में 13-24 फीसदी की गिरावट आई है. वैल्यूएशन मल्टीपल भी घटा है, लेकिन वो अभी भी आकर्षक नहीं नजर आ रहा.

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