90.76 के साथ रिकॉर्ड निचले पायदान पर रुपया, एशिया की सबसे कमजोर करेंसी बनी; ट्रेड डील देरी ने किया सबसे ज्यादा नुकसान

विदेशी निवेशकों की चाल, ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता और ग्लोबल फैक्टर्स ने करेंसी मार्केट की दिशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हालिया मूवमेंट ने निवेशकों और कारोबारियों को सतर्क कर दिया है, जबकि आगे कुछ अहम आंकड़ों का इंतजार है.

रुपया Image Credit: FreePik

Indian rupee record low: भारतीय रुपये पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार को रुपया डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील को लेकर बनी अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और कमजोर निवेश भावनाओं ने मिलकर रुपये को नई रिकॉर्ड गिरावट तक पहुंचा दिया. बाजार की नजर अब ट्रेड डेटा और आगे आने वाले वैश्विक संकेतों पर टिकी हुई है.

रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया

सोमवार को भारतीय रुपया 0.2% टूटकर 90.76 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. इसने 12 दिसंबर को बने पिछले ऑल टाइम लो 90.55 को भी पीछे छोड़ दिया. रॉयटर्स के मुताबिक, रुपया इस साल एशिया की सबसे कमजोर करेंसी बन गया है. हालांकि, ट्रेडर्स का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक की संभावित दखलअंदाजी के चलते रुपये में और बड़ी गिरावट फिलहाल टल गई.

गिरावट के पीछे बड़ी वजहें क्या हैं

इस साल अब तक रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 5.5% कमजोर हो चुका है. इसकी एक बड़ी वजह अमेरिका की ओर से भारतीय सामानों पर 50% तक के ऊंचे टैरिफ हैं, जिससे भारत के सबसे बड़े एक्सपोर्ट मार्केट पर असर पड़ा है. इससे न सिर्फ निर्यात कमजोर हुआ है, बल्कि भारतीय शेयर बाजार भी विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक बना है.

2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों में 18 अरब डॉलर से ज्यादा की बिकवाली की है, जिससे भारत सबसे ज्यादा प्रभावित बाजारों में शामिल हो गया है. इसके अलावा दिसंबर में ही विदेशी निवेशकों ने 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा के बॉन्ड भी बेच दिए हैं. इस लगातार आउटफ्लो ने रुपये पर दबाव और बढ़ा दिया है.

भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर भी बाजार में निराशा है. भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने संकेत दिया है कि यह समझौता मार्च से पहले संभव नहीं है. इसके अलावा, भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच भी इस साल के अंत तक ट्रेड डील फाइनल होने की उम्मीद कम बताई जा रही है. इन खबरों ने निवेशकों की धारणा को और कमजोर किया है.

कमजोर डॉलर का भी नहीं मिला फायदा

दिलचस्प बात यह है कि डॉलर इंडेक्स इस महीने अब तक 1.1% गिर चुका है, इसके बावजूद रुपये को इसका फायदा नहीं मिला. ट्रेड से जुड़ी नकारात्मक खबरों ने रुपये को डॉलर की कमजोरी से मिलने वाले सपोर्ट से भी वंचित रखा.

फॉरेक्स एडवाइजरी फर्म IFA ग्लोबल के मुताबिक, मध्यम अवधि में रुपया डॉलर की कमजोरी के बावजूद कमजोर बना रह सकता है. अगले 6 हफ्तों में रुपये के 89.60 से 90.60 के दायरे में रहने का अनुमान जताया गया है.

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शेयर बाजार पर भी असर

कमजोर रुपये और नकारात्मक ग्लोबल संकेतों का असर शेयर बाजार पर भी दिखा. सोमवार को सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों में करीब 0.4% की गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि निवेशक अहम आर्थिक आंकड़ों और सेंट्रल बैंक बैठकों से पहले सतर्क नजर आए.

ऐसे में, ट्रेड डील की अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते रुपये के लिए आने वाले दिन भी चुनौतीपूर्ण बने रह सकते हैं.