आम से लेकर जामुन वाइन तक, इंटरनेशनल मार्केट में झंडे गाड़ रही भारतीय शराब; एक्सपोर्ट हुआ डबल
भारतीय वाइन इंडस्ट्री धीरे-धीरे इंटरनेशनल मार्केट में अपनी मजबूत पहचान बना रही है. ग्रेप्स वाइन के साथ अब फ्रूट बेस्ट वाइन को भी विदेशी बाजारों में स्वीकार्यता मिलने लगी है. मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में भारतीय वाइन एक्सपोर्ट दोगुने से ज्यादा बढ़कर 6.7 लाख डॉलर तक पहुंच गया है.
Indian wine export: भारतीय वाइन इंडस्ट्री अब धीरे-धीरे ग्लोबल मार्केट में अपनी पहचान बनाने लगी है. खास बात यह है कि सिर्फ अंगूर वाइन ही नहीं, बल्कि फ्रूट-बेस्ड वाइन्स भी अब इंटरनेशनल शेल्फ और रेस्टोरेंट मेन्यू में जगह बना रही हैं. घरेलू बाजार में वाइन की खपत सीमित रहने के बीच एक्सपोर्ट भारतीय वाइन उत्पादकों के लिए ग्रोथ का बड़ा जरिया बनता जा रहा है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में भारतीय वाइन का एक्सपोर्ट पिछले साल की तुलना में दोगुने से ज्यादा हो गया है. ट्रेड थिंक टैंक जीटीआरआई के विश्लेषण के मुताबिक, इस अवधि में भारत से वाइन शिपमेंट बढ़कर 6.7 लाख डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल की समान अवधि से कहीं अधिक है. दिलचस्प बात यह है कि अप्रैल से अक्टूबर के बीच वाइन एक्सपोर्ट 5.8 मिलियन डॉलर के पार पहुंच चुका है, जो पूरे 2024–25 वित्त वर्ष के अनुमानित आंकड़े से ज्यादा है.
फ्रूट-बेस्ड वाइन्स को भी मिल रही पहचान
अब तक भारत की वाइन एक्सपोर्ट में अंगूर वाइन्स का दबदबा रहा है, जिसमें नासिक स्थित सुला वाइनयार्ड्स जैसी कंपनियां अहम भूमिका निभाती रही हैं. हालांकि, इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब नॉन-ग्रेप्स वाइन्स को भी विदेशी बाजारों में स्वीकार्यता मिलने लगी है. अल्फांसो मैंगो, कश्मीरी एप्पल और जामुन जैसे देसी फलों से बनी वाइन विदेशी उपभोक्ताओं को खासा आकर्षित कर रही हैं.
जामुन वाइन का पहला एक्सपोर्ट
हाल ही में एक अहम उपलब्धि तब हासिल हुई, जब मुंबई से 800 बक्सों की एक खेप जामुन-बेस्ड इंडियन फ्रूट वाइन की विदेश भेजी गई. यह पहली बार है जब भारत में बनी जामुन वाइन को एक्सपोर्ट किया गया है. यह वाइन नासिक की सेवन पीक्स वाइनरी में तैयार की गई है और इसे न्यू यॉर्क और न्यू जर्सी के चुनिंदा रेस्टोरेंट्स में लॉन्च किया जाना है.
यूएई, यूके और यूरोप में बढ़ रही मौजूदगी
इंडियन वाइन्स अब यूएई, नीदरलैंड्स, चाइना, फ्रांस और यूके जैसे बाजारों तक पहुंच रही हैं. पुणे की रिदम वाइनरी, जो हिल क्रेस्ट फूड्स एंड बेवरेजेज का हिस्सा है, अपनी अल्फांसो मैंगो वाइन को यूके एक्सपोर्ट कर रही है. वहीं कश्मीरी एप्पल से बनी L74 क्राफ्ट साइडर भी ब्रिटिश मार्केट में सीमित स्तर पर उपलब्ध है.
सब्सिडी के बिना मुश्किल
हालांकि, फ्रूट-बेस्ड और हेरिटेज वाइन प्रोड्यूसर्स को अब भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश की नारा आबा कीवी वाइन और असम की ट्रेडिशनल राइस वाइन जाज जैसे प्रोडक्ट्स ने एक्सपोर्ट की कोशिश जरूर की, लेकिन सरकारी सब्सिडी और पॉलिसी सपोर्ट के बिना लॉन्ग-टर्म सक्सेस हासिल करना कठिन रहा. कुल मिलाकर, इंडियन वाइन्स की इंटरनेशनल मांग बढ़ रही है, लेकिन इसे टिकाऊ ग्रोथ में बदलने के लिए पॉलिसी सपोर्ट, लॉजिस्टिक्स और प्राइसिंग कंपटीटिवनेस बेहद जरूरी मानी जा रही है.
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