जिस IPL ने किया रिजेक्ट, उसी क्रिकेट के लिए आज बनाते हैं स्पेशल धुरंधर, बन गए करोड़ों के मालिक

आज के समय में स्पोर्ट्स इंडस्ट्री केवल खेल तक सीमित नहीं रही है, बल्कि यह एक बड़ा करियर प्लेटफॉर्म बन चुकी है. स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में ऑपरेशंस, मार्केटिंग, कंटेंट, डेटा एनालिटिक्स और बिज़नेस डेवलपमेंट जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं. यह क्षेत्र युवाओं को विविध और प्रोफेशनल करियर अवसर प्रदान करता है.

Nilesh Kulkarni Image Credit: Canva/ Money9

कल्पना कीजिए एक क्रिकेटर की. 1997 में कोलंबो की उमस भरी गर्मी में उसने टेस्ट डेब्यू किया. पहली ही गेंद फेंकी और श्रीलंका के मारवन अटापट्टू का विकेट ले लिया. पूरा देश वाह-वाह करने लगा. वह एकमात्र भारतीय बन गया जिसने ऐसा कारनामा किया. लेकिन अंतरराष्ट्रीय करियर ज्यादा नहीं चला. सिर्फ तीन टेस्ट खेल सके और दो विकेट ही मिले. करियर जब खत्म होने वाला था तो आईपीएल का जमाना आया. किसी टीम ने उसे नहीं चुना. ठुकराहट का दर्द बहुत हुआ. मगर उसी दर्द ने नया रास्ता दिखाया.

बात हो रही है भारत के भूतपूर्व क्रिकेटर निलेश कुलकर्णी की. डोम्बिवली के निलेश कुलकर्णी ने क्रिकेट को अलविदा कहा और 2010 में आईआईएसएम शुरू किया. आईपीएल में किसी टीम में जगह नहीं मिलने के दर्द ने उन्हें भारत का सबसे बड़ा स्पोर्ट्स मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट शुरू करवा दिया.

क्रिकेट करियर की यादगार शुरुआत

1997 में कोलंबो में निलेश कुलकर्णी ने टेस्ट डेब्यू किया. उनकी पहली गेंद पर श्रीलंका के मारवन अटापट्टू आउट हो गए. वे एकमात्र भारतीय हैं जिन्होंने टेस्ट में पहली बॉल पर विकेट लिया. हालांकि उस मैच में श्रीलंका ने जोरदार प्रदर्शन किया था और 952 रन बनाए जो रिकॉर्ड था. निलेश को सिर्फ एक विकेट मिला. उन्होंने सिर्फ तीन टेस्ट मैच खेले और केवल दो विकेट लिए.

मुंबई क्रिकेट में चमके

निलेश का अंतरराष्ट्रीय करियर भले ही छोटा रहा, लेकिन घरेलू क्रिकेट में निलेश ने धमाल मचाया. मुंबई के लिए उन्होंने 357 फर्स्ट क्लास विकेट लिए और औसत 24.89 का रहा. 24 बार पारी में पांच विकेट और तीन बार मैच में दस विकेट लिए. मुंबई की टीम में सचिन तेंदुलकर जैसे बल्लेबाज थे लेकिन गेंदबाजों की जिम्मेदारी बड़ी थी. निलेश ने कड़ी मेहनत से मैच जीतने का हुनर सीखा.

आईपीएल ने बदली जिंदगी की दिशा

जब वे क्रिकेट से संन्यास ले रहे थे तभी भारत में आईपीएल शुरू हो रहा था. लेकिन निलेश को कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिला. एक दिन वे पत्नी रसिका के साथ डीवाई पाटिल स्टेडियम में मैच देखने गए. वहां देखा कि आईपीएल को चलाने के लिए विदेशी एक्सपर्ट्स आए हैं. उन्हें यह बात पिंच कर गई कि इतने बड़े देश होने के बावजूद भारत में स्पोर्ट्स मैनेजर नहीं मिल रहे थे. निलेश को लगा यह बड़ा गैप है और उन्हें यहीं से स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की पढ़ाई शुरू करने का आइडिया आया.

IISM की शुरुआत

आज भी स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की पढ़ाई के बारे में सभी नहीं जानते हैं. उस वक्त भी माता-पिता बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते थे. यही उनके लिए अवसर भी था और चुनौती भी. इस फिल्ड में पहले कोई मजबूत प्लेयर नहीं था. 2010 में निलेश ने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट यानी आईआईएसएम शुरू किया. मुंबई यूनिवर्सिटी से पार्टनरशिप की. पहला बैचलर्स डिग्री कोर्स शुरू हुआ.

करोड़ों का कारोबार

आज आईआईएसएम भारत का पहला बड़ा स्पोर्ट्स मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट है. उनकी कंपनी एडुहब एजुकेशन ने करोड़ों का रेवेन्यू कमाया है. वित्त वर्ष 2024 में कंपनी ने लगभग 19 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाया है. इसके अलावा भी एडुहब स्पोर्ट्स और यशवीर इवेंट्स जैसी उनकी कई कंपनियां हैं. उन्होंने हाल ही में छत्तीसगढ़ में नया वेंचर शुरू किया. हर साल सैकड़ों स्टूडेंट्स पास आउट होते हैं जो स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में अच्छी नौकरियां पाते हैं. 2020 में आईआईएसएम को राष्ट्रपति से राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार मिला. पहली बार किसी स्पोर्ट्स मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट को यह सम्मान दिया गया. निलेश खेलो इंडिया जैसी योजनाओं से भी जुड़े हैं.

क्या है करियर अपॉर्चुनिटी?

स्पोर्ट्स मैनेजमेंट क्षेत्र में करियर के कई अलग-अलग विकल्प होते हैं. इसमें सबसे ज़्यादा अवसर Operations और Sales / Business Development में हैं, जो दोनों मिलकर 26.3%–26.3% हिस्सा रखते हैं. इसके बाद Content का योगदान 14.3% है, यानी खेलों से जुड़ा कंटेंट बनाना भी एक अच्छा करियर विकल्प है. Marketing और Sports Facility Manager में 7%–7% अवसर हैं. Data Analytics और Retail में 5.2%–5.2% हिस्सेदारी है, जबकि Athlete Management और Coaching & Training में 3.5%–3.5% अवसर हैं. सबसे कम अवसर Sports Travel में 1.7% हैं. कुल मिलाकर स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में कई तरह के करियर विकल्प उपलब्ध हैं और हर क्षेत्र की अपनी अहमियत है.