यहां बन रही है भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग, 14.57 KM का होगा सफर, जानें कब पूरा होगा काम

उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत बन रही 14.57 किलोमीटर लंबी सौड़-जनासू टनल भारत की सबसे लंबी रेल टनल है. यह परियोजना क्षेत्र के विकास, तीर्थयात्रा और सामरिक महत्व के लिए गेम-चेंजर साबित होगी. आइए जानते हैं इसके बारे में.

भारत का सबसे लंबा रेल टनल Image Credit: @Money9live

India’s Longest Rail Tunnel: उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ों में एक ऐतिहासिक रेल परियोजना चल रही है जिसका नाम है ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन है. इस परियोजना का सबसे खास हिस्सा है सौड़-जनासू टनल, जो 14.57 किलोमीटर लंबी है और भारत की सबसे लंबी रेल टनल बनने जा रही है. यह टनल देवप्रयाग से जनासू तक बनाई जा रही है और इसे डबल ट्यूब (आने-जाने के लिए अलग-अलग) डिजाइन किया गया है. इसकी खुदाई 16 दिसंबर 2022 को शुरू हुई थी. हाल ही में टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) ‘शक्ति’ ने 413 मीटर प्रति माह की रिकॉर्ड गति से खुदाई करके पहला ब्रेकथ्रू पूरा किया.

कितना है बजट और कब पूरा होगा काम?

इस पूरी रेल परियोजना की लागत लगभग 16,216 करोड़ रुपये है. 125 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन में 105 किलोमीटर हिस्सा 17 टनलों से होकर गुजरेगा, जिसमें सौड़-जनासू टनल सबसे लंबी है. रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) इस प्रोजेक्ट को देख रहा है. अब तक 75 फीसदी से ज्यादा टनल खुदाई का काम पूरा हो चुका है और बाकी का काम 2026 तक खत्म होने की उम्मीद है. पूरी रेल लाइन की शुरुआत 2027 तक हो सकती है. इस टनल और रेल लाइन का महत्व सिर्फ तकनीक तक सीमित नहीं है. यह उत्तराखंड के लोगों के लिए रोजगार, पर्यटन और आसान यात्रा का मौका लाएगी. यह रेल लाइन बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे चार धाम तीर्थ स्थलों तक पहुंच को आसान बनाएगी.

अभी सड़क से ऋषिकेश से कर्णप्रयाग जाने में 6-7 घंटे लगते हैं, लेकिन इस रेल लाइन के बाद यह सफर सिर्फ 2-2.5 घंटे में पूरा होगा. टनल बनाने में टीबीएम और न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (ATM) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रोजेक्ट की तारीफ की है. यह रेल लाइन उत्तराखंड के 13 स्टेशनों को जोड़ेगी, जिसमें योग नगरी ऋषिकेश, शिवपुरी, श्रीनगर, और कर्णप्रयाग शामिल हैं.

मुश्किलों का करना पड़ा था सामना

लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (L&T) ने शनिवार, 26 अप्रैल को कहा, उत्तराखंड में देवप्रयाग और जनासू के बीच भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग के निर्माण को पूरा करने में कई अहम चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिसमें ऐसे मौके भी शामिल थे जब ऐसा लगा कि सुरंग ढह सकती है. उन्होने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा, जब शक्ति सुरंग के करीब पांच किलोमीटर अंदर थी तभी चारों ओर से करीब 1,500 लीटर प्रति मिनट की दर से पानी का तेज  बहाव महसूस हुआ. उस वक्त सुरंग के अंदर टीबीएम ऑपरेटर के अलावा 200 लोग थे. यह सबसे मुश्किल वक्त था. हालांकि हमने तुरंत उसपर काम किया और सब स्थित को काबू में किया.

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