भारत का मैन्युफैक्चरिंग PMI 2008 के बाद सबसे ऊंचाई पर, घरेलू मांग से मिली रफ्तार
भारत की अर्थव्यवस्था ने अगस्त में ऐसा प्रदर्शन किया है जिसने विशेषज्ञों और निवेशकों का ध्यान खींच लिया है. कारोबार का माहौल अचानक बेहद उत्साहजनक हो गया है और कंपनियों का भरोसा भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है. आखिर किस वजह से प्राइवेट सेक्टर ने पकड़ी इतनी रफ्तार?
PMI Data: अगस्त में भारत की प्राइवेट सेक्टर इकोनॉमी ने अब तक की सबसे तेज बढ़त दर्ज की.भारत का मैन्युफैक्चरिंग PMI 2008 के बाद सबसे ऊंचाई पर पहुंचा है. HSBC फ्लैश इंडिया कम्पोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जुलाई के 61.1 से बढ़कर अगस्त में 65.2 पर पहुंच गया. यह मजबूती साफ इशारा करती है कि देश में कारोबार का माहौल पहले से कहीं ज्यादा उत्साहजनक हो गया है.
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज में उछाल
अगस्त में दोनों सेक्टरों , मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज में तेजी दर्ज हुई, लेकिन सर्विसेज ने सबसे ज्यादा दम दिखाया. बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स जुलाई के 60.5 से बढ़कर 65.6 पर पहुंच गया, जो नया सर्वे हाई है. मैन्युफैक्चरिंग PMI भी जुलाई के 59.1 से बढ़कर 59.8 पर पहुंचा, जो जनवरी 2008 के बाद की सबसे हाई रीडिंग है.
घरेलू और विदेशी दोनों मोर्चों पर मांग मजबूत हुई. एशिया, मध्य पूर्व, यूरोप और अमेरिका से ऑर्डर बढ़ने के कारण अगस्त में निर्यात ऑर्डर अब तक की सबसे तेज गति से बढ़े.
रोजगार का रुझान, महंगाई का दबाव
रोजगार में भी मजबूती बनी रही. लगातार 27वें महीने कंपनियों ने नई भर्तियां कीं. सर्विसेज सेक्टर में रोजगार की रफ्तार ज्यादा तेज रही, जिससे मैन्युफैक्चरिंग की मामूली सुस्ती को संतुलन मिला. कलॉग यानी लंबित कामकाज की गति भी धीमी रही.
अगस्त में दाम बढ़ाने का दबाव भी बढ़ा. वेतन और कच्चे माल की लागत बढ़ने से इनपुट कॉस्ट ऊपर गई. कंपनियों ने बढ़ी हुई मांग का फायदा उठाते हुए प्रोडक्ट और सर्विसेज के दाम 12 साल से ज्यादा की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ाए.
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भविष्य को लेकर भरोसा
कंपनियों का विश्वास अगस्त में और मजबूत हुआ. सर्वे के मुताबिक, प्राइवेट सेक्टर ने मार्च के बाद सबसे आशावादी आउटलुक दिया. कारोबारियों का मानना है कि मजबूत डिमांड अगले महीनों में भी उनका साथ देगी.
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