भारत-जर्मनी पार्टनरशिप से दोनों देशों में इनोवेशन को मिलेगा बूस्ट, News9 Global Summit में बोले उद्योग जगत के दिग्गज

TV9 नेटवर्क के न्यूज9 ग्लोबल समिट जर्मनी एडिशन के मंच पर उद्योग जगत के दिग्गजों ने एक सुर में कहा कि अब वो समय आ गया है, जब जर्मनी की इंजीनियरिंग क्षमता और भारत का विशाल टैलेंट पूल मिलकर दुनिया के लिए विकास का एक नया चेप्टर लिखेंगे. इस समिट में Global Capability Centres (GCCs) पर खास फोकस रहा.

न्यूज 9 ग्लोबल समिट जर्मनी एडिशन

News9 Global Summit 2025: टीवी9 नेटवर्क के न्यूज 9 ग्लोबल समिट जर्मनी एडिशन के मंच पर उद्योग जगत के दिग्गजों ने भारत की टेक्नॉलाजी को लेकर बड़ी बात कही है. विशेषज्ञों ने कहा कि जर्मनी की इंजीनियरिंग क्षमता और भारत का टैलेंट मिलकर दुनिया के विकास की दिशा को बदल सकते हैं. इस समिट में Global Capability Centres (GCCs) पर खास फोकस रहा. इस सत्र में MHP India Pvt Ltd के सीईओ बर्नड-ओटो होरमन, Buchner Consulting के स्टीफन ई. बुचनर, Siemens Technology के एमडी और सीईओ पंकज व्यास, और Accenture India के मैनेजिंग डायरेक्टर उज्ज्वल ज्योति जैसे दिग्गज शामिल हुए.

विशेषज्ञों ने चर्चा की कि भारत और जर्मनी कैसे एक-दूसरे के पूरक बनकर सस्टेनेबल डेवलपमेंट को नई रफ्तार दे सकते हैं. चर्चा का मुख्य नतीजा यह रहा कि भारत अब सिर्फ एक सर्विस प्रोवाइडर नहीं, बल्कि एक इनोवेशन और रिसर्च पार्टनर बन चुका है, जिसकी जरूरत यूरोप को है.

क्या है ‘GCC’ मॉडल?

Global Capability Centres (GCCs) वे ऑफिस हैं जो विदेशी कंपनियां भारत जैसे देशों में स्थापित करती हैं. ये सिर्फ बैक-ऑफिस सपोर्ट नहीं देते, बल्कि कंपनी के लिए रिसर्च, डिजाइन, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट जैसे अहम कार्य करते हैं. समिट में बताया गया कि कई जर्मन कंपनियां भारत में तेजी से विस्तार कर रही हैं और इसका कारण भारत का मजबूत GCC ecosystem है. फिलहाल देश में लगभग 150 जर्मन कंपनियों ने अपने GCC स्थापित किए हैं, जिनसे 1.5 लाख (150,000) से अधिक लोगों को हाई लेवल के रोजगार मिले हैं. यह भारत के टैलेंट पर जर्मनी के भरोसे का सबसे बड़ा सबूत है.

इनोवेशन का पावरहाउस बनेगा भारत

MHP India के सीईओ बर्नड-ओटो होरमन ने कहा कि, अब समय आ गया है कि हम GCC को सिर्फ एक कैपेबिलिटी सेंटर के रूप में न देखें, बल्कि इसे एक वैल्यू हब में तब्दील करें. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अब केवल काम करने की जगह नहीं, बल्कि नई तकनीक और आइडियाज का जन्मस्थान बन चुका है. आज GCCs इनोवेशन हब्स में बदल रहे हैं, जहां फ्यूचर की टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट्स पर रिसर्च हो रही है. होरमन ने संकेत दिया कि कई नई जर्मन कंपनियां भारत में अपने सेंटर खोलने की तैयारी में हैं, क्योंकि वे भारत की रिसर्च और डेवलपमेंट क्षमताओं को पहचान चुकी हैं.

भारत-जर्मनी साझेदारी: तकनीक में क्रांति की ओर

पैनल के विशेषज्ञों ने बताया कि जर्मनी ऑटोमोबाइल और इंजीनियरिंग में दुनिया का अग्रणी देश है, जबकि भारत डिजिटल और आईटी में अग्रणी है. भारत में हर साल करीब 20 लाख अंग्रेजी बोलने वाले ग्रेजुएट्स निकलते हैं, जो एक विशाल और कुशल कार्यबल तैयार करते हैं. जब जर्मनी की मैन्युफैक्चरिंग पावर भारत के सॉफ्टवेयर टैलेंट से जुड़ती है, तो यह टेक्नोलॉजी सेक्टर में एक नया युग रच सकती है. भारत की आईटी क्षमताएं जर्मनी के उद्योगों को अधिक आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बना रही हैं.

आ गया है वैल्यू हब बनने का समय

समिट के दौरान बर्नड-ओटो होरमन ने कहा कि हर देश के सामने अपनी चुनौतियां होती हैं, लेकिन जब भारत और जर्मनी जैसे दो सशक्त देश मिलकर काम करते हैं, तो वे हर चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर भारत में मौजूद GCCs रिसर्च और डेवलपमेंट पर ज्यादा ध्यान दें, तो वे आने वाले समय में बहुत ही ज्यादा सफलता प्राप्त कर सकते हैं.

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