News9 Global Summit: स्टटगार्ट में गूंजी भारत-जर्मन रिलेशनशिप की बात, नए इनोवेशन पर हुई चर्चा

News9 Global Summit 2025 का आयोजन जर्मनी के स्टटगार्ट में हुआ, जहां भारत-जर्मनी संबंधों और डिफेंस सेक्टर में इनोवेशन पर गहन चर्चा हुई. समिट का थीम था Democracy, Demography, Development: The India-Germany Connect. इसमें एयरबस और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों के प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया. सम्मेलन में आत्मनिर्भरता, साइबर सुरक्षा, ड्रोन टेक्नोलॉजी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की नई संभावनाओं पर विचार साझा किए गए.

News9 Global Summit 2025: न्यूज 9 ग्लोबल समिट 2025 का आयोजन 9 अक्टूबर को जर्मनी के स्टटगार्ट शहर में किया गया. इस समिट का थीम था Democracy, Demography, Development: The India-Germany Connect, यानी लोकतंत्र, जनसंख्या और विकास के जरिए भारत और जर्मनी की साझेदारी को मजबूत बनाना. यह सम्मेलन कई मायनों में खास रहा क्योंकि इसमें दुनिया भर के रक्षा, तकनीक और साइबर सुरक्षा क्षेत्र के दिग्गजों ने हिस्सा लिया. इस सम्मेलन में Security, Sustainability & Scalability: Disrupting the Defence Sector पर विशेष चर्चा हुई. इस चर्चा में डिफेंस सेक्टर से जुड़ी नई टेक्नोलॉजी, चुनौतियों और भारत-जर्मनी के रिलेशनशिप पर विचार किया गया.

इस पैनल में कार्ल-हाइंज ग्रॉसमैन (हेड, एयरबस डिफेंस एंड स्पेस), डॉ. अलेक्जेंडर शेलॉन्ग (MD, साइबर सिक्योरिटी), राजिंदर सिंह भाटिया (अध्यक्ष, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स), चंद्रशेखर एच.जी. (चेयरमैन & MD, SASMOS टेक्नोलॉजी), अंकित मेहता (CEO, ideaForge (ड्रोन कंपनी)) और कैप्टन माइकल गिस (कमांडर, जर्मन रीजनल टेरिटोरियल फोर्स) शामिल हुए.

डिफेंस रिलेशन और ग्लोबल सिस्टम

सत्र की शुरुआत में राजिंदर सिंह भाटिया ने आज के बदलते युद्ध और अंतरराष्ट्रीय हालात पर अपने विचार प्रस्तुत किए. इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देशों के लिए आत्मनिर्भर बनना अत्यंत आवश्यक है. साथ ही उन्होंने बताया कि भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए लाखों स्टार्टअप्स की आवश्यकता है, जो नई टेक्नोलॉजी पर काम करें और डिफेंस जैसे अहम सेक्टर में इनोवेशन लाएं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत और जर्मनी के बीच यह एक नई और सकारात्मक शुरुआत हो सकती है, जिसमें दोनों देश मिलकर तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं.

ड्रोन पर फोकस

टेक्नोलॉजी, ड्रोन और भारत-जर्मनी रिलेशनशिप पर अंकित मेहता ने अपनी राय रखी. उन्होंने बताया कि उनका स्टार्टअप ड्रोन बना रहा है और वह ऐसा करने वाली शुरुआती कंपनियों में से एक है. ड्रोन टेक्नोलॉजी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जो भी सिस्टम बन रहा है, वह इतना मजबूत होता है कि दुश्मन चाहे उसे रोकने की कितनी भी कोशिश करे, वह अपना कार्य जारी रखता है. उन्होंने कहा कि यही वह महत्वपूर्ण दिशा है, जिसमें ड्रोन तकनीक लगातार प्रगति कर रही है.

भारत एयरबस के लिए महत्वपूर्ण साझेदार

एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के इंटरनेशनल हेड कार्ल-हाइंज ग्रॉसमैन ने भारत-जर्मनी संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने खासतौर पर नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भारत की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत एयरबस के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है.

ग्रॉसमैन ने खुलासा किया, “हम प्रतिवर्ष भारत से लगभग 1 बिलियन यूरो मूल्य के विमान पुर्जों की खरीद करते हैं और यहां हमारे कुछ प्रमुख आपूर्तिकर्ता स्थित हैं.” उन्होंने यह स्पष्ट करते हुए भारत की भूमिका को और मजबूत किया कि, “भारत के बिना, हम आज जो कुछ भी हासिल कर रहे हैं, वह संभव नहीं होता.”

यूरोप की सुरक्षा चिंताएं

कैप्टन माइकल गिस ने रूस-यूक्रेन युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि यूरोप को अब अपनी सैन्य शक्ति और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना होगा. इस संदर्भ ने वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को और अधिक रेखांकित किया.

साइबर युद्ध: एक बढ़ती चुनौती

डॉ. शेलॉन्ग ने साइबर सुरक्षा को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि आज कोई भी व्यक्ति या संगठन साइबर हमले का शिकार हो सकता है, जिससे साइबर युद्ध एक प्रमुख वैश्विक चिंता बन गया है.

भारत-जर्मनी: पारस्परिक सहयोग का नया अध्याय

चंद्रशेखर एच.जी. ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से उन्नति कर रहा है. उन्होंने माना कि जर्मनी के साथ साझेदारी से भारत नई तकनीकों के विकास में और तेजी ला सकता है.

सीखने की दोनों देशों के लिए राह

अंकित मेहता ने भारत और जर्मनी के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जर्मनी के पास उच्च-गुणवत्ता और विश्वसनीय प्रणालियों के निर्माण का लंबा अनुभव है, जिससे भारत सीख सकता है. वहीं, जर्मनी भारत से डिजिटल विकास, इंटेलिजेंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में बहुत कुछ सीख सकता है. अंकित ने निष्कर्ष निकाला, “भारत और जर्मनी के बीच यह आदान-प्रदान का एक विशेष क्षण है, क्योंकि जो प्रक्रियाएं पहले धीमी थीं, अब वे तेज गति से आगे बढ़ रही हैं.”

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