Whirlpool इंडिया को खरीदने की रेस में रिलायंस-हैवेल्स, 57% हिस्सेदारी बेचना चाहती है अमेरिकी कंपनी
रिलायंस रिटेल और हवेल्स इंडिया, व्हर्लपूल इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने के लिए विदेशी फंड्स के साथ कम्पीट कर रही है. व्हर्लपूल इंडिया, अमेरिका की कंपनी व्हर्लपूल कॉर्प की भारतीय यूनिट है. यह पहले दुनिया की सबसे बड़ी एप्लायंस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी थी.
Whirlpool: व्हर्लपूल इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई बड़े विदेशी इंवेस्टर्स अपनी ताकत लगा रहे हैं. अब खबर ये आ रही है कि रिलायंस रिटेल और हैवेल्स इंडिया भी व्हर्लपूल इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने के लिए इन विदेशी फंड्स के साथ कम्पीट कर रही है. व्हर्लपूल इंडिया, अमेरिका की कंपनी व्हर्लपूल कॉर्प की भारतीय यूनिट है. यह पहले दुनिया की सबसे बड़ी एप्लायंस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी थी.
हिस्सेदारी बेचना चाहती है व्हर्लपूल
ET के मुताबिक व्हर्लपूल कॉर्प अपनी भारतीय कंपनी में 31% हिस्सेदारी बेचना चाहती है. यह एशिया में उसकी 85% इनकम देती है. कंपनी अपने 20% शेयर रखेगी. साल 2022 में कंपनी को 1.5 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. व्हर्लपूल अब छोटे एप्लायंस जैसे ब्लेंडर और कॉफी मेकर पर ध्यान दे रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि लोग बड़े उपकरण खरीदने से बच रहे हैं. कंपनी इस बिक्री से 550-600 मिलियन डॉलर (लगभग 4684-5110 करोड़ रुपये) जुटाना चाहती है.
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इतनी है शेयर की कीमत
व्हर्लपूल कॉर्प अपनी भारतीय कंपनी में 31% हिस्सेदारी बेचने के बाद नए निवेशक को सार्वजनिक शेयरधारकों से एक्सट्रा 26% हिस्सेदारी खरीदने का मौका मिलेगा. अगर यह पूरी तरह से खरीदा गया, तो नया निवेशक कंपनी में 57% हिस्सेदारी का मालिक बन सकता है. व्हर्लपूल इंडिया के शेयर की कीमत 30 जनवरी को 1577 रुपये थी. यह 3 मार्च को 899 रुपये तक गिर गई. गुरुवार को शेयर 1329 रुपये पर बंद हुआ और कंपनी का मार्केट वैल्यू 16,861 करोड़ रुपये था. 57% हिस्सेदारी की कीमत लगभग 9610 करोड़ रुपये होगी.
LG, सैमसंग और हायर से पीछे है व्हर्लपूल इंडिया
व्हर्लपूल इंडिया का बिजनेस कम मुनाफे वाला है और यह केवल सस्ते प्रोडक्ट में मजबूत है. प्रीमियम प्रोडक्ट में यह एलजी, सैमसंग और हायर जैसे कंपीटीटर्स से पीछे है. कुछ निवेशकों को डर है कि अगर कंपनी भविष्य में रॉयल्टी बढ़ाएगी तो मुनाफा और कम होगा. रिलायंस को इलेक्ट्रॉनिक्स में बड़ा ब्रांड चाहिए क्योंकि उनके अपने ब्रांड रीकनेक्ट और वायजर ज्यादा सफल नहीं हुए. हैवेल्स भी अपने लॉयड ब्रांड के जरिए रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन जैसे बड़े उपकरणों में जगह बनाना चाहती है.