INR vs USD: डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ रुपया, एक दिन में 25 पैसे फिसला, अब कीमत सिर्फ इतनी!
Indian Rupee में बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट आई है. कच्चे तेल की कीमतों में हुए इजाफे और डॉलर की मांग बढ़ने से रुपये में कमजोरी का रुख देखने को मिला है. एक दिन में डॉलर की तुलना में रुपये में 25 पैसे की कमजोरी आई है.
 
            Forex Market में डॉलर की मांग बढ़ने से बुधवार को रुपये में 25 पैसे की कमजोरी आई है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 25 पैसे की गिरावट के साथ 85.44 पर बंद हुआ. रिपोर्ट में बताया गया है कि रुपये में कमजोरी के पीछे कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि एक बड़ा कारण है. इसके अलावा अमेरिकी मुद्रा डॉलर को लेकर भारतीय आयातकों की बढ़ती मांग ने भी रुपये को कमजोर किया है. हालांकि, सकारात्मक घरेलू बाजारों, कमजोर अमेरिकी डॉलर इंडेक्स और विदेशी निवेशकों के प्रवाह ने रुपये को निचले स्तर पर सहारा दिया है.
क्या बोल रहे ट्रेडर?
फॉरेन करेंसी ट्रेडिंग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में कमजोरी के बाद भी रुपया कमजोर हुआ है, क्योंकि डॉलर की घरेलू मांग बढ़ गई है. खासतौर पर भारतीय आयातकों की तरफ से महीने के आखिर में यह मांग बढ़ती है.
ट्रंप के बदले तेवर
इसके अलावा रुपये की तुलना में डॉलर में सुधार के पीछे चीन के खिलाफ जारी टैरिफ वॉर को लेकर ट्रंप का बदला हुआ रुख भी है. असल में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मंगलवार को टैरिफ पर चीन से बात करने की बात कही है, जिसकी वजह से भारत सहित ज्यादातर एशियाई देशों की मुद्राओं में कमजोरी आई है.
कैसा रहा रुपये का कारोबार
बुधवार को इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज पर भारतीय रुपये की ओपनिंग 85.24 पर हुई. इसके बाद 85.52 के इंट्रा डे लो और 85.44 के इंट्रा डे हाई के बीच कारोबार करते हुए दिन के आखिर में 24 पैसे की कमजोरी के साथ 85.44 पर बंद हुआ. इससे पहले मंगलवार को रुपये 4 पैसे की कमजोरी के साथ 85.19 पर बंद हुआ था.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी का कहना है कि रुपया फिलहाल वैश्विक बाजारों के सेंटिमेंट और एफआईआई के इनफ्लो के हिसाब से डॉलर के मुकाबले पॉजिटिव ट्रेड जोन में है. इसके अलावा अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में आ रही कमजोरी से भी रुपये को सहारा मिल रहा है. हालांकि, बुधवार को जो गिरावट आई है, उसके पीछे खासतौर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें हैं. इसके अलावा भारतीय आयातकों ने भी डॉलर की मांग बढ़ा दी है.
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