होम, कार और पर्सनल लोन को और सस्ता कर सकता है RBI, SBI ने 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का दिया सुझाव

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने RBI से रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की सिफारिश की है. अगर ऐसा होता है तो होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन सस्ते हो सकते हैं. हालांकि कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) इस बार भी यथास्थिति बनाए रख सकती है.

होने वाली है MPC की बैठक. Image Credit: Getty image

SBI Research and RBI Repo Rate: आने वाले समय में होम लोन, कार लोन से लेकर पर्सनल लोन तक सस्ता हो सकता है. इसको लेकर भारतीय स्टेट बैंक यानी SBI ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से 25 बेसिस प्वाइंट (0.25 फीसदी) की रेपो रेट कटौती की सिफारिश की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा परिस्थितियों में RBI के लिए “सबसे बेहतर विकल्प” हो सकता है. हालांकि, कई दूसरे विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) आगामी बैठक में एक बार फिर यथास्थिति यानी Status Quo बनाए रख सकती है.

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में एमपीसी सोमवार, 29 सितंबर से तीन दिन की बैठक शुरू करेगी और निर्णय बुधवार, 1 अक्टूबर को घोषित होगा. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ रहे हैं और अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला किया है.

अब तक का ब्याज दर का रुख

इस साल फरवरी से अगस्त 2025 के बीच, आरबीआई ने रेपो रेट में कुल 100 बेसिस प्वाइंट (1 फीसदी) की कटौती तीन चरणों में की थी. यह कदम घटती हुई खुदरा मुद्रास्फीति (CPI आधारित) को देखते हुए उठाया गया था. लेकिन अगस्त की द्विमासिक नीति में आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया और इंतजार करने का फैसला किया ताकि वैश्विक हालात और अमेरिकी टैरिफ का घरेलू अर्थव्यवस्था पर असर समझा जा सके.

SBI की सिफारिश और तर्क

एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा हालात में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की अतिरिक्त कटौती का औचित्य है क्योंकि खुदरा महंगाई (CPI) अगले वित्त वर्ष में भी नरम रहने की उम्मीद है. इसको लेकर तमाम विशेषज्ञों के अलग-अलग मत हैं.

क्या है विशेषज्ञों की राय?

  • बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री, मदन सबनवीस ने कहा कि फिलहाल ब्याज दरों में बदलाव की संभावना सीमित है. हालांकि, मौजूदा माहौल को देखते हुए रेट कट की गुंजाइश पूरी तरह से खारिज नहीं की जा सकती. उनका कहना है कि महंगाई दर पहले से ही लक्ष्य 4 फीसदी से काफी नीचे है और आर्थिक विकास दर भी 6.5 फीसदी से अधिक रहने की उम्मीद है. ऐसे में रेट कट की आवश्यकता अभी तत्काल नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि फिलहाल यथास्थिति बरकरार रह सकती है और आगे चलकर अगर निर्यातकों के लिए कोई विशेष पैकेज आता है, तो उसके साथ रेट कट पर विचार हो सकता है.
  • ICRA के मुख्य अर्थशास्त्री, अदिति नायर का कहना है कि हाल ही में लागू हुआ GST रेशनलाइजेशन महंगाई को और कम करेगा. अब जीएसटी की दरें दो स्लैब 5 फीसदी और 18 फीसदी में सीमित कर दी गई हैं. इससे 99 फीसदी रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम घट गए हैं. उनका अनुमान है कि CPI महंगाई Q3 FY2026 से Q2 FY2027 के बीच 25–50 बेसिस प्वाइंट कम रह सकती है. हालांकि, यह महंगाई में गिरावट एक नीतिगत बदलाव का असर है और इसके साथ मांग भी मजबूत होगी. इस आधार पर उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2025 की नीति में RBI का झुकाव Status Quo की तरफ रहेगा.
  • क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री, धर्मकीर्ति जोशी का कहना है कि महंगाई उम्मीद से कम है और कोर इन्फ्लेशन भी ऐतिहासिक स्तरों पर कम बना हुआ है. साथ ही, जीएसटी दरों के सरलीकरण से महंगाई और घट सकती है.
    इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल ही में अपनी दरें 25 बेसिस प्वाइंट घटाई हैं और आगे 50 बेसिस प्वाइंट की और कटौती की संभावना है. इससे RBI को भी ब्याज दर कम करने की लचीलापन मिलेगा.

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