Bank merger से बंद होती हैं हजारों ब्रांच! 5 साल में इन बैंकों के कस्टमर को लगा था झटका, अबकी बार इन 8 की बारी
सरकार आठ सरकारी बैंकों को चार बड़े बैंकों में मिलाने की तैयारी में है. नीति आयोग की सिफारिश के मुताबिक यह कदम भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत बैंकिंग प्रणाली देने की दिशा में है. हालांकि, पहले हुए मर्जरों में करीब 3400 शाखाओं को बंद किया गया.
Bank branch closure data post PSBs Merger: सरकार एक बार फिर बैंकिंग सेक्टर में मेगा मर्जर (PSBs Mega Merger) करने की तैयारी में है. देश में मौजूदा वक्त में 12 सरकारी बैंक हैं. NITI Aayog के प्रस्ताव के तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को छोड़कर बाकी 8 बैंकों को इन बड़े बैंकों में मर्ज करने की योजना पर विचार चल रहा है. प्रस्ताव के लागू होने पर भारत में केवल चार प्रमुख सरकारी बैंक रह जाएंगे. NITI Aayog की सिफारिश में कहा गया था कि भारत को “कम लेकिन मजबूत” सरकारी बैंक चाहिए, ताकि वे निजी और विदेशी बैंकों से टक्कर ले सकें. लेकिन पिछले अनुभवों को देखें तो हर बार ऐसे “कंसोलिडेशन” यानी विलय की कवायद के बाद हजारों शाखाएं या तो बंद हुई हैं या एक-दूसरे में मर्ज की गई हैं.
RBI ने 3400 शाखाएं बंद या मर्ज होने की बात कही
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में एक RTI के जवाब में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बताया किया था कि 2014-15 से 2018-19 के बीच 26 पब्लिक सेक्टर के बैंकों की करीब 3,400 शाखाएं या तो बंद हुईं या मर्ज की गईं. इनमें करीब 75 फीसदी शाखाएं अकेले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की थीं. RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ द्वारा मांगी गई जानकारी में RBI ने बताया था कि

इनमें सबसे बड़ा असर उस 2017 के SBI मर्जर का रहा, जिसमें इसके पांच एसोसिएट बैंक (स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, हैदराबाद, मैसूर, पटियाला, त्रावणकोर) और भारतीय महिला बैंक को मुख्य SBI में मिला दिया गया था.
हालांकि जहां RBI ने RTI में स्वीकार किया था कि 3400 शाखाएं बंद या मर्ज हुईं, वहीं साल 2022 में संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि मर्जर के चलते कोई शाखा बंद नहीं की गई.यह विरोधाभासी स्थिति इसलिए बनी क्योंकि बैंक अक्सर “शाखा बंदी” को “रैशनलाइजेशन” (यानी एक शाखा को दूसरी में मिलाना) बताकर तकनीकी रूप से बंदी नहीं मानते.
BOB में 800-900, SBI में 1267 शाखाएं प्रभावित
2019 में जब विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) में विलय हुआ, तो बैंक के एक सीनियर अधिकारी ने ET के हवाले से बताया था कि “विस्तृत समीक्षा के बाद 800 से 900 शाखाओं को रेशनलाइज करने की जरूरत है.”
इसका मतलब सीधा था, जिन इलाकों में एक से ज्यादा बैंकों की शाखाएं एक ही जगह पर थीं, वहां बाकि शाखाएं बंद कर दी गईं या एक में मिला दी गईं. बैंक ने यह भी माना था कि रीजनल और जोनल कार्यालयों को भी बंद किया जाएगा क्योंकि अब उनकी अलग-अलग जरूरत नहीं रही.
वर्ष 2017 में संसद में पूछे गए सवाल पर वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि विलय प्रक्रिया में 1,267 शाखाएं मर्ज की गईं, यानी एक शाखा में दो या तीन शाखाओं का एकीकरण हुआ. वहीं 2020 के मेगा मर्जर में, जिसमें PNB, यूनियन बैंक, केनरा बैंक और इंडियन बैंक शामिल थे PNB ने आधिकारिक रूप से कहा था कि “तुरंत किसी शाखा को बंद नहीं किया जाएगा, लेकिन भविष्य में अगर किसी क्षेत्र में बहुत करीब स्थित शाखाएं हैं तो उन्हें एक किया जा सकता है.”
क्या बोलें एक्सपर्ट
बैंकिंग सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि मर्जर के दौरान जब दो या तीन बैंक एक ही इलाके में मौजूद होते हैं, तो एक ही बैंक की इतनी शाखाएं चलाना आर्थिक रूप से नुकसानदेह होता है. बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट और Voice of Banking के फाउंडर अश्विनी राणा ने बताया, “ऐसे मामलों में बैंक वही शाखा रखते हैं जहां अधिक क्लाइंट बेस है, लॉकर और स्टाफ की क्षमता ज्यादा है, या जिसका लीज एग्रीमेंट अभी कुछ सालों का बाकी है. बाकी शाखाओं को उसी में मर्ज कर दिया जाता है.”
उन्होंने आगे कहा, इस प्रक्रिया से बैंक का ऑपरेशनल कॉस्ट घटता है, लेकिन ग्राहकों को असुविधा होती है. उन्हें कई बार अपना खाता दूर की शाखा में शिफ्ट करना पड़ता है, और यह ग्रामीण या बुजुर्ग ग्राहकों के लिए मुश्किल बन जाता है.
नया दौर शुरू होने से पहले सवाल वही

ऊपर दिए गए ग्राफ़ में देखा जा सकता है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 22,500 शाखाओं के साथ सबसे आगे है, जबकि पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा इसके बाद आते हैं.
अब जब सरकार फिर से आठ सरकारी बैंकों को चार बड़े बैंकों में मिलाने की सोच रही है, तो यह आंकड़े फिर ताजा हो उठे हैं. पिछले अनुभव बताते हैं कि हर बार विलय के साथ शाखा कम करने की कहानी भी जुड़ी होती है. भले ही इसे “ऑपरेशनल एफिशिएंसी” का नाम दिया जाए.
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