ट्रंप टैरिफ से टूटी टेक्सटाइल और अपैरल इंडस्ट्री, अक्टूबर में 12% से ज्यादा फिसला एक्सपोर्ट; यहां भी दिखा असर
अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ का असर अब खुलकर सामने आ गया है. CITI की ताजा रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर 2025 में टेक्सटाइल और अपैरल निर्यात में 12 फीसदी से अधिक की भारी गिरावट दर्ज हुई, महंगे भारतीय प्रोडक्ट्स की वजह से अमेरिकी बाजार से ऑर्डर्स तेजी से घटे हैं, जबकि अन्य सस्ते देशों की ओर ग्राहकों का रुझान बढ़ा है.
Trump Tariff and Textile Apparel Industry: अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ का असर अब भारतीय टेक्सटाइल और अपैरल इंडस्ट्री पर खुलकर सामने आने लगा है. 27 अगस्त 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह टैरिफ लागू किया था. उसी समय कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत ने समय रहते नए बाजार नहीं अपनाए, तो इसका सीधा असर निर्यात पर पड़ेगा. अब ताजा आंकड़े यह दिखा रहे हैं कि अमेरिका की इस नीति ने वास्तव में भारत के टेक्सटाइल सेक्टर की रफ्तार को धीमा कर दिया है. इसको लेकर CITI (The Confederation of Indian Textile Industry) ने हाल में एक रिपोर्ट जारी किया है.
क्या हुआ असर?
अक्टूबर 2025 में टेक्सटाइल और अपैरल निर्यात में दर्ज हुई दो डिजिट की गिरावट इस बात का सबसे बड़ा सबूत है. CITI की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले अक्टूबर महीने में टेक्सटाइल निर्यात पिछले साल की तुलना में 12.92 फीसदी घट गया, जबकि अपैरल एक्सपोर्ट में 12.88 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. अमेरिका भारतीय टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है और बढ़े हुए टैरिफ के बाद भारतीय प्रोडक्ट अमेरिकी बाजार में महंगे हो गए, जिससे ऑर्डर्स कम हुए और कई कंपनियां कंपटीशन में पिछड़ गईं.
| सेगमेंट | अक्टूबर 2024 (मिलियन $) | अक्टूबर 2025 (मिलियन $) | गिरावट (%) |
|---|---|---|---|
| टेक्सटाइल निर्यात | 1,833.96 | 1,596.99 | -12.92% |
| अपैरल (गारमेंट) निर्यात | 1,227.58 | 1,069.42 | -12.88% |
| कुल T&A (Textile + Apparel) | 3,061.54 | 2,666.41 | -12.91% |
अप्रैल से ही आंकड़े रहे कमजोर
अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच के आंकड़े भी बहुत अच्छे नहीं रहे थे. इस सात महीने की अवधि में टेक्सटाइल निर्यात में 3.54 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, जबकि कई उप-सेगमेंट जैसे कार्पेट, जूट प्रोडक्ट और हैंडीक्राफ्ट में भी बड़ी कमी देखने को मिली है. हालांकि, इस दौरान अपैरल इंडस्ट्री में 1.13 फीसदी की तेजी आई थी. अमेरिकी ग्राहकों ने सस्ते देशों जैसे वियतनाम, बांग्लादेश और मेक्सिको की ओर तेजी से रुख किया है, जिससे भारतीय टेक्सटाइल कंपनियों की मांग और मार्जिन पर भारी दबाव बना हुआ है.
| सेगमेंट | परिवर्तन (%) |
|---|---|
| टेक्सटाइल निर्यात | -3.54% |
| अपैरल निर्यात | +1.13% |
| कुल T&A एक्सपोर्ट | -1.57% |
महंगा पड़ा अमेरिकी टैरिफ
टैरिफ लागू होने के बाद भारतीय निर्यातकों के लिए लागत बढ़ गई है. बढ़ी हुई कीमतें अमेरिकी बाजार में भारतीय प्रोडक्ट्स को कम आकर्षक बनाती हैं, जिससे नए ऑर्डर्स में गिरावट आई और कई पुराने ऑर्डर्स भी कम कीमत पर लेने पड़े. अक्टूबर के आंकड़े दिखाते हैं कि यह दबाव अब वास्तविक संकट में बदल रहा है. विशेषज्ञों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि भारत को एक बाजार पर अत्यधिक निर्भर रहने की नीति बदलनी होगी. यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में अवसर तलाशना अब अनिवार्य हो गया है. अमेरिका के टैरिफ का मौजूदा प्रभाव यह साबित करता है कि भारत को अपनी निर्यात रणनीति पुनः निर्धारित करनी होगी, वरना आने वाले महीनों में गिरावट और गहरी हो सकती है.
कौन–कौन से उत्पाद सबसे अधिक प्रभावित (अक्टूबर 2025)
| उत्पाद कैटेगरी | गिरावट (%) |
|---|---|
| कॉटन यार्न/फैब्रिक/मेड-अप्स | -13.31% |
| मैन-मेड फैब्रिक | -11.75% |
| जूट उत्पाद | -27.27% |
| कार्पेट निर्यात | -15.80% |
| हैंडीक्राफ्ट | -8.29% |
निकलने वाला है टैरिफ का रास्ता?
हालांकि, भारी टैरिफ को लेकर अमेरिका और भारत के बीच पिछले कुछ महीनों से द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) प्रस्तावित था जिसका पहला चरण अब पूरा होने के करीब पहुंच गया है. पीटीआई ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि वह बीटीए पर अमेरिका से बातचीत कर रहे हैं. इसको दो भाग हैं. पहले भाग की बातचीत में समय लगेगा वहीं, दूसरा भाग पारस्परिक टैरिफ का समाधान कर सकता है.
ये भी पढ़ें- सोना हुआ ₹300 महंगा, चांदी 1000 रुपये टूटी, ग्लोबल मार्केट में उतार–चढ़ाव ने बढ़ाई चिंता; जानें नया भाव
Latest Stories
अक्टूबर में तीन गुना बढ़ा गोल्ड का इंपोर्ट, जानें- किस देश से भारत खरीद रहा सबसे अधिक सोना
सोना हुआ ₹300 महंगा, चांदी 1000 रुपये टूटी, ग्लोबल मार्केट में उतार–चढ़ाव ने बढ़ाई चिंता; जानें नया भाव
भारत-अमेरिका ट्रेड डील का पहला फेज पूरा होने के करीब, भारी-भरकम टैरिफ का निकलेगा समाधान
