मस्क की तिजोरी से 9 लाख करोड़ गायब! ट्रंप की दोस्ती पड़ी भारी; चीन से यूरोप तक हिल गया साम्राज्य
एलन मस्क की किस्मत ने अचानक ऐसी करवट ली कि उनका साम्राज्य ही लड़खड़ा गया. कुछ फैसलों ने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया और हालात ने उन्हें पीछे धकेल दिया. ट्रम्प की नजदीकी, दुनिया भर की चुनौतियों और तेजी से बदलते बिजनेस के हालात ने मस्क की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.

Why did Elon Musk’s net worth drop: दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क के दिन आजकल अच्छे नहीं चल रहे हैं. उनका टेस्ला के दम पर खड़ा हुआ साम्राज्य डगमगा रहा है. आलम यह है कि गिरती बिक्री और ट्रंप की नजदीकी को देखते हुए निवेशकों ने कुछ दिन पहले उनसे कंपनी की कमान छोड़ने तक की मांग कर दी थी. बढ़ते असंतोष को देखते हुए मस्क ने बिजनेस को तरजीह दी और DOGE से किनारा करना ही बेहतर समझा. खैर बिजनेसमैन मस्क को समझ में आ गया था कि अब पहले जैसे दिन नहीं रहे हैं. क्योंकि जो मस्क, ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद दिसंबर 2024 में 486 अरब डॉलर की रिकॉर्ड दौलत के मालिक बन गए थे. उनकी दौलत करीब साढ़े 5 महीने में 107 अरब डॉलर यानी करीब 9 लाख करोड़ रुपये डूब गई है. ये इतनी दौलत है जितनी भारत में मुकेश अंबानी (103 अरब डॉलर) की कुल दौलत है. साफ है कि मस्क ट्रंप को संभालने के चक्कर में अपने साम्राज्य से हाथ धोने लगे थे. ऐसे में उनके पास अपनी नैया हिचकोले खाने से रोकने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. क्योंकि उन्हें चीन, यूरोप से लेकर भारत तक झटके लग रहे हैं और उन्हें पता है कि बिजनेस ही उनके रसूख को बचा सकता है
इस रिपोर्ट में हम विस्तार से देखेंगे कि कैसे डॉग (DOGE) विभाग में शामिल होना, ट्रंप प्रशासन के टैरिफ, चीन और यूरोप में गिरती सेल्स और भारत में अनिश्चित स्थिति ने मस्क के साम्राज्य को कैसे डगमगा दिया है.
DOGE में की एंट्री, एग्जिट होने लगा तिजोरी का पैसा
जब एलन मस्क व्हाइट हाउस में ट्रंप प्रशासन के तहत “Department of Government Efficiency (DOGE)” के इनचार्ज बने, तो उस वक्त मस्क के पास टेस्ला में लगभग 13 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो दिसंबर 2024 तक उनकी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा थी. Bloomberg Billionaires Index के मुताबिक, इस अवधि में टेस्ला के शेयरों में रिकॉर्ड वृद्धि ने मस्क की नेट वर्थ को पीक पर पहुंचा दिया, जो कभी भी किसी व्यक्ति के लिए हासिल की गई सबसे अधिक संपत्ति थी. दिसंबर 2024 में SpaceX की भी वेल्यूएशन 350 अरब डॉलर तक पहुंच गई, जिससे मस्क की हिस्सेदारी का मूल्य लगभग 147 अरब डॉलर आंका गया. इन स्थितियों ने यह संकेत दिया था कि टेस्ला के एक्सपेंशन और स्पेसएक्स की बढ़ती वेल्यूएशन ने एक साथ मिलकर मस्क की संपत्ति को अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था.
लेकिन मस्क के राजनीतिक कार्यकाल की शुरुआत से ही टेस्ला के लिए मुश्किलें शुरू हो गईं. Inauguration Day पर दिए गए भाषण में मस्क ने दोनों ऐसे सलाम किए जिन्हें ‘नाजी-सैल्यूट’ का इशारा बताया गया और वहीं से टेस्ला की गिरावट की शुरुआत हुई. Fortune की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान DOGE के तहत लागू की जाने वाली नीतियां अक्सर जल्दीबाजी और बिना प्रोटोकॉल की परमिशन के लागू होने लगीं, जिससे जनता में असंतोष फैला. बड़े पैमाने पर विरोध हुए और कई जगहों पर टेस्ला डीलरशिप पर तोड़-फोड़ की वारदातें भी देखी गईं. इस सबका नतीजा यह हुआ कि मार्च मध्य तक टेस्ला का मार्केट कैप लगभग 100 अरब डॉलर तक डूब गया, और मस्क की कुल संपत्ति में भी इसी अनुपात में भारी कमी आई.
मार्च के मध्य में जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस लॉन पर टेस्ला कारें लाकर विरोधियों को ‘घरेलू आतंकवादी’ कहकर धमकाया, तब भी टेस्ला का शेयर भाव और नीचे आ गया. अप्रैल 2025 में लागू हुए “Liberation Day” के टैरिफ ने भी कंपनी की सेल्स पर प्रतिकूल असर डाला, जिससे किफायत और मूल्य निर्धारण (Affordability and Pricing) की समस्या और बढ़ गई. हालांकि अप्रैल के अंत तक मस्क ने सुरक्षा के मद्देनजर DOGE के काम से खुद को हटाकर टेस्ला पर ध्यान केंद्रित किया, तब जाकर टेस्ला के शेयर कुछ हद तक रिकवर हुए. कार्ड चेंज करते हुए अप्रैल के आखिर में, मस्क ने राजनीतिक पद छोड़ दिया पर तब तक मस्क की कुल संपत्ति में भारी गिरावट आ चुकी थी.लेकिन तब तक उनकी नेट वर्थ दिसंबर पीक से बहुत नीचे आ चुकी थी.
जहां ट्रंप बढ़ा रहे थे टैरिफ, वहां डूब रही थी टेस्ला
अप्रैल में टेस्ला के सबसे खराब तिमाही नतीजों का खुलासा हुआ. 25 अप्रैल को Forbes की रिपोर्ट में बताया गया कि टेस्ला के सेल्स में 9 फीसदी की गिरावट आई और शुद्ध आय में 71% की भारी कमी दर्ज की गई, खासतौर पर ऑटोमोटिव रेवेन्यू में 20% की गिरावट ने टेस्ला के लिए चिंता बढ़ा दी. ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ ने अमेरिका में ऑटोमोटिव सेक्टर को सीधे तौर पर निशाना बनाया, जिससे टेस्ला को भी अपने मार्जिन को कम करना पड़ा. वैश्विक कच्चे माल की महंगाई, चीन से इम्पोर्टेड बैटरी सेल पर 145% का टैरिफ और “Liberation Day” टैरिफ ने टेस्ला के बैटरी स्टोरेज बिजनेस को भी प्रभावित किया.
Forbes के अनुसार, Q1 2025 में टेस्ला ने 409 मिलियन डॉलर का प्रॉफिट कमाया, जिसमें से 595 मिलियन डॉलर रेवेन्यू केवल रेगुलेटरी क्रेडिट्स बेचकर आया था. इन रेवेन्यू के बिना कंपनी नुकसान में चली जाती.
टेस्ला की सबसे बड़ी चुनौतियां थीं:
- सेल्स में गिरावट (Q1 2025 में EV सेल्स में 13% की कमी)
- मोटर मोटिव राजस्व में 20% की गिरावट (मतलब या तो कारें कम बिकीं या उनसे कम मुनाफा हुआ)
- चीन और यूरोप में टेस्ला ब्रांड की बेकार हुई छवि
इन सबने मिलकर टेस्ला की पोजीशन को कमजोर किया.
चीन बाजार में निराशा
चीन दुनिया का सबसे बड़ा EV मार्केट होते हुए भी टेस्ला की सेल्स घाटे में चल रही हैं. मई 2025 में चीनी EV निर्माताओं—Li Auto, XPeng, NIO, BYD—ने जोरदार ग्रोथ दर्ज की, जबकि टेस्ला की अप्रैल 2025 की सेल्स लगभग 58,000 कार तक सीमित रहीं, जो एक साल पहले की तुलना में 6 फीसदी कम है.
Barron’s की रिपोर्ट के मुताबिक, BYD ने जनवरी–मई 2025 में 3,76,930 वाहन बेचे, जिनमें से 204,369 सिर्फ बैटरी-इलेक्ट्रिक मॉडल थे. BYD चीन की सबसे बड़ी EV निर्माता है, जिसने टेस्ला के सेल्स को पछाड़ दिया है और एलन मस्क के कंपनी के लिए सबसे बड़ी कंपटिशन भी है.
चीन में टेस्ला के गिरती सेल्स के पीछे बड़ी वजह रही अमेरिकी और चीनी ट्रेड टेंशन. अमेरिका के द्वारा चीन पर भारी इम्पोर्ट शुल्क लगाने के वजह से चीनी उपभोक्ता ने अमेरिकी ब्रांड, खासतौर से टेस्ला से दूरी बनानी शुरू कर दी. इस सबके बीच, टेस्ला ने चीन से इम्पोर्ट किए जाने वाले बैटरी सेल्स पर भी शुल्क बढ़ने का सामना किया, जो Q1 2025 में कंपनी के बैटरी पैक बिजनेस को कड़ा झटका साबित हुआ. टेस्ला ने लिथियम-आयरन-फॉस्फेट (LFP) सेल्स को नेवादा स्थित Giga फैक्ट्री में बनाना शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन चीनी CATL के साथ लाइसेंसिंग समझौते के चलते यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. हालांकि निवेशक अभी भी AI-ट्रेन किए गए सेल्फ-ड्राइविंग कारों और रोबोटैक्सी की संभावनाओं पर विश्वास रख रहे हैं, पर चीन के BYD ने टेस्ला की पकड़ कमजोर कर दी है.
यूरोप में गिरावट
Reuters में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया कि अप्रैल 2025 में टेस्ला की यूरोपीय सेल्स साल-दर-साल 49% तक गिर गईं, जबकि बैटरी-इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कुल बिक्री 27.8% बढ़ी. इस अवधि में टेस्ला की यूरोपीय बाजार हिस्सेदारी 1.3% से गिरकर मात्र 0.7% रह गई.
ACEA (European Automobile Manufacturers Association) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2025 में यूरोप में कुल कार सेल्स में मामूली गिरावट (0.3%) आई, लेकिन EV सेगमेंट की मांग बढ़ी. टेस्ला का नया Model Y भी वहां का कोई बड़ा असर नहीं दिखा पाया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि EU और चीन के कंपटीटर्स- जैसे BMW, वोक्सवैगन, दक्षिण कोरियाई ह्युंडई-KIA कंपनियां अपने नए मॉडलों के साथ तेजी से उभर रही हैं, जिससे टेस्ला की पकड़ और कमजोर होती जा रही है.
यूरोप में भी टेस्ला को खासतौर पर ब्रांड छवि की समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि उपभोक्ता अब मस्क की राजनीतिक गतिविधियों और टैरिफ वाले विवादों से नाराज दिख रहे थे. यही वजह थी कि अप्रैल 2025 तक टेस्ला की बिक्री में गिरावट बनी रही.
भारत में टेस्ला की अनिश्चित स्थिति
2 जून 2025 को Reuters में प्रकाशित न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने अपना नई EV पॉलिसी फाइनल कर दी, जिसमें विदेशी ऑटोकार निर्माता बड़ी छूट के साथ स्थानीय उत्पादन शुरू करने पर जोर दे रहे हैं. हालांकि, भारतीय भारी उद्योग मंत्री H.D. कुमारस्वामी ने साफ कर दिया कि टेस्ला फिलहाल भारत में वाहन उत्पादन करने की योजना में रुचि नहीं ले रहा.
नई नीति के मुताबिक, जो विदेशी कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) का नया प्लांट लगाने के लिए कम से कम 500 मिलियन डॉलर (करीब 4,000 करोड़ रुपये) निवेश करने का वादा करेंगी, उन्हें बाहर से गाड़ियां मंगाने पर कम टैक्स देना होगा. लेकिन इसके लिए शर्त है कि वे तीन साल के अंदर भारत में गाड़ियों का प्रोडक्शन शुरू करें और गाड़ियों में कुछ हिस्से देश में बने हुए ही इस्तेमाल करें. दूसरी ओर, टेस्ला का मकसद फिलहाल केवल वाहन आयात करने का रहा, क्योंकि वे अभी भी भारत में इम्पोर्ट ड्यूटी को बहुत अधिक मान रहे हैं.
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हालांकि, भारत में एक अलग आशा यह है कि स्पेसएक्स और xAI जैसी मस्क की अन्य कंपनियों के जरिए टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिल सकता है. लेकिन टेस्ला के लिए यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भारत में वे बाजार कब और कैसे मजबूत करेंगे. भारतीय उपभोक्ता अभी भी बजट-फ्रेंडली EV, जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा के मॉडल्स की ओर झुकाव रखते हैं. इसलिए टेस्ला की महंगी ब्रांड स्ट्रैटेजी फिलहाल भारत में अंधेरे में दिखाई दे रही है.
एलन मस्क की कहानी आज भी ड्रामा और अनिश्चितता भरी है. एक ओर बड़े-बड़े निवेशक AI और रोबोटैक्सी की संभावनाएं देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टेस्ला का वर्तमान प्रदर्शन चिंतित करने वाला है. चीन और यूरोप में घटती सेल्स, ट्रंप के टैरिफ, भारत में अनिश्चित स्थिति और मस्क का राजनीतिक जुड़ाव यह सब मिलकर टेस्ला और उनके अन्य बिजनेस की प्रगति को प्रभावित कर रहे हैं.
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