DA बढ़ने के बाद केंद्रीय कर्मियों को मिला एक और तोहफा, CGHS की दरें बढ़ीं, मिलेंगे ये बड़े फायदे

केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य योजना के तहत 2,000 मेडिकल प्रक्रियाओं की पैकेज दरों में बड़े पैमाने पर संशोधन किया है .ये नई पैकेज दरें अलग-अलग शहरों की श्रेणी और अस्पताल की गुणवत्ता के आधार पर तय की गई हैं. अब सीजीएचएस के पैनल में शामिल अस्पताल कैशलेस इलाज देने में आनाकानी नहीं करेंगे जिससे केंद्रीय कर्मियों को बड़ी राहत मिलेगी.

हेल्‍थ स्‍कीम की दरें बढ़ीं Image Credit: canva

केंद्र सरकार ने अपने लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को एक और तोहफा दे दिया है. महंगाई भत्ता ( DA) बढ़ाने के बाद अब केंद्र सरकार ने केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (CGHS) के तहत बड़ा सुधार करते हुए मेडिकल प्रक्रियाओं के लिए नई दरें रिवाइज कर दी हैं. सरकार ने 3 अक्टूबर को करीब 2,000 मेडिकल प्रक्रियाओं के लिए संशोधित पैकेज दरों की घोषणा की जिसे पिछले 15 वर्षों में सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है. ये नई दरें 13 अक्टूबर 2025 से लागू होंगी. पुरानी दरों के कारण कर्मचारियों के साथ-साथ अस्पतालों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और यह नया सुधार उन सभी समस्याओं को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

नए सुधार में क्या शामिल है?

सरकार ने अब लगभग 2,000 मेडिकल प्रक्रियाओं के लिए नई दरें निर्धारित की हैं. ये दरें शहर की श्रेणी (टियर-I, टियर-II, टियर-III) और अस्पताल की गुणवत्ता (जैसे NABH मान्यता) पर आधारित हैं.

  • टियर-II शहरों में पैकेज दरें बेस रेट से 19% कम होंगी.
  • टियर-III शहरों में पैकेज दरें बेस रेट से 20% कम होंगी.
  • NABH-मान्यता प्राप्त अस्पताल बेस रेट पर सेवाएं प्रदान करेंगे. गैर-NABH अस्पतालों को 15% कम दरें मिलेंगी.
  • 200 से अधिक बिस्तरों वाले सुपर-स्पेशलिटी अस्पतालों को 15% अधिक दरें मिलेंगी.

कर्मचारियों को इससे क्या लाभ होगा

  • कैशलेस इलाज आसान हो जाएगा – अस्पतालों को अब पैकेज दरें व्यावहारिक लगेंगी, जिससे वे बिना किसी हिचकिचाहट के सीजीएचएस कार्डधारकों को कैशलेस सेवाएं प्रदान कर सकेंगे.
  • जेब से खर्च करने की बाध्यता कम होगी – कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ी रकम पहले से चुकाने की संभावना कम होगी.
  • रीम्‍बर्समेंट की परेशानी कम होगी – महीनों तक पैसे अटके रहने की समस्या कम होगी.
  • बेहतर स्वास्थ्यओं सेवा तक पहुंच – कार्डधारक अब पूरे विश्वास के साथ पैनल में शामिल अस्पतालों में इलाज करा सकेंगे.

क्यों जरुरी था सुधार

केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की एक बड़ी शिकायत यह थी कि सीजीएचएस के पैनल में शामिल अस्पताल अक्सर कैशलेस इलाज देने से इनकार कर देते थे. मरीजों को इलाज के लिए अपनी जेब से मोटी रकम चुकानी पड़ती थी और फिर उन्हें पैसे वापस पाने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था.


अस्पतालों का तर्क था कि सरकार द्वारा निर्धारित पैकेज दरें पुरानी और कम थीं. इसके अलावा, उन्हें समय पर भुगतान नहीं मिलता था. इस वजह से, अस्पताल अक्सर लाभार्थियों को कैशलेस सेवाएं देने से बचते थे. अगस्त 2025 में, GENC (केंद्रीय सरकारी कर्मचारी संघों का राष्ट्रीय महासंघ) ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार को एक ज्ञापन सौंपा. इसमें कहा गया था कि कैशलेस सेवाओं की कमी के कारण कर्मचारियों और पेंशनभोगियों, दोनों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें अक्सर आपात स्थिति में भी इलाज से वंचित रखा जाता था.