घर बैठे खुद कर सकेंगे अपनी प्रॉपर्टी की कीमत और स्टांप फीस का कैलकुलेशन, इस राज्य में चल रही तैयारी
उत्तर प्रदेश में संपत्ति की वैल्यू और स्टांप शुल्क की ऑटोमैटिक कैलकुलेशन के लिए एक ऑनलाइन सिस्टम बनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान बनाना और पारदर्शिता बढ़ाना है. लोग इस ऑनलाइन प्रणाली का उपयोग करके अपनी संपत्ति का शुल्क स्वयं कैलकुलेट कर सकेंगे और प्रक्रिया को सुगम बना सकेंगे.

उत्तर प्रदेश सरकार एक ऐसा डिजिटल सिस्टम विकसित कर रही है जिससे लोग अपने क्षेत्र में लागू सर्किल रेट के आधार पर अपनी प्रॉपर्टी की कीमत और उसके स्टाम्प फीस की गणना खुद कर सकेंगे. इस कदम का उद्देश्य संपत्ति मूल्यांकन को पारदर्शी, सुसंगत और परेशानी मुक्त बनाना है, जिससे सरल जानकारी के लिए डीलरों और निजी मूल्यांकनकर्ताओं जैसे बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी. यह कदम सर्किल रेट के स्टैंडराइजेशन के बाद उठाया जाएगा, जिनके बारे में यह माना जाता है कि वर्तमान में विभिन्न जिलों के सर्किल रेट में व्यापक विसंगतियां हैं.
अभी तक 100% सही परिणाम नहीं मिले
एडिशनल इंस्पेक्टर जनरल (स्टाम्प & रजिस्ट्रेशन) आशीष कुमार ने कहा, “हम दो मोर्चों पर काम कर रहे हैं. पहला, हम एक ऐसे सिस्टम पर काम कर रहे हैं जिसका उपयोग लोग अपने जिले/इलाके में प्रचलित सर्किल दरों के आधार पर अपनी संपत्ति के मूल्य और देय स्टाम्प शुल्क की ऑटोमैटिक गणना करने के लिए कर सकेंगे. दूसरा, हम मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार कुछ विसंगतियों को दूर करने के लिए सर्किल रेट को स्टैंडराइज करने जा रहे हैं.” उन्होंने कहा कि ऑटोमैटिक कैलकुलेशन सिस्टम का ट्रायल पहले ही चल रहा है और अभी तक इसके 100% सही परिणाम नहीं मिले हैं.
क्या होता है सर्किल रेट
सर्किल रेट सरकार द्वारा नोटिफाइड मिनिमम प्राइस होते हैं जिन पर संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन होता है और यही स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क की गणना का आधार बनते हैं. हालांकि, मार्केट रेट आमतौर पर अधिक होते हैं और वास्तविक मांग के आधार पर निर्धारित होती हैं. वर्तमान में, इसके लिए कोई सामान्य सरकारी दिशानिर्देश नहीं हैं और जिलों में सर्किल रेट तय करने का एकमात्र अधिकार जिला मजिस्ट्रेट के पास होता है.
क्यों जरुरी है स्टैंडराइजेशन
अधिकारियों के अनुसार, रेट को स्टैंडराइज करने का यह कदम प्रक्रिया में एकरूपता और पारदर्शिता लाने के लिए है, जिसकी अक्सर आलोचना की जाती रही है क्योंकि इसकी विसंगतियां निवेश में बाधा डालती हैं और किसानों सहित कई भूस्वामियों को उनकी संपत्ति का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है.
एक अधिकारी ने कहा, “कई जिलों में, आसपास के क्षेत्रों के सर्किल रेट में बड़ा अंतर है. उदाहरण के लिए, लखनऊ-बाराबंकी सीमा के लखनऊ की ओर की जमीन का सर्किल रेट बाराबंकी में सीमा पार स्थित समान जमीन की तुलना में बहुत अधिक हो सकता है. यहां तक कि एक ही शहर के भीतर भी, प्लॉट के स्थान के आधार पर उनकी कीमत में अक्सर भारी अंतर होता है—जैसे कि कोने वाले प्लॉट की कीमत अधिक लगती है.”
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