क्या दामाद को भी मिल सकता है ससुर की प्रॉपर्टी में हिस्सा? जानें क्या कहता है देश का कानून
भारत में रिश्ते चाहे कितने ही गहरे क्यों न हों लेकिन जब बात संपत्ति के अधिकार की आती है तो कानूनी नियम ही मायने रखते हैं. ऐसा ही रिश्ता ससुर-दामाद का होता है. आप लोगों के मन में भी यह सवाल आता होगा कि क्या दामाद कानूनी रूप से ससुर की प्रॉपर्टी में हिस्सा मांग सकता है. आइये इसका कानूनी पहलू समझते हैं.

भारतीय संस्कृति में ससुर और दामाद के रिश्ते को अक्सर पिता और पुत्र के रिश्ते जैसा ही माना जाता है. यह रिश्ता न केवल सामाजिक है बल्कि कानूनी मान्यता भी रखता है. तो क्या आपने कभी सोचा है कि क्या दामाद को ससुर की संपत्ति हिस्सा मिल सकता है. अगर कोई दामाद अपने ससुर की प्रॉपर्टी में हक मांग ले तो क्या होगा. देश में कई बार ससुर और दामाद के बीच प्रॉपर्टी के विवाद सामने आ चुके हैं. तो आइये जानते है कि इसको लेकर भारत का कानून क्या कहता है.
क्या कहता है कानून
भारतीय उत्तराधिकार कानून के मुताबिक, दामाद का ससुर की प्रॉपर्टी में डायरेक्ट कोई हिस्सा नहीं होता है और यह कानून सभी धर्मों पर लागू होता है फिर चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या फिर ईसाई.
भारतीय उत्तराधिकार कानून में वैध उत्तराधिकारियों को क्लास-1 और क्लास-2 की लिस्ट में बांटा गया है. क्लास-1 में व्यक्ति के करीबी लोग शामिल हैं जैसे पत्नी, बेटा, बेटी आदि जबकि क्लास-2 में वे लोग हैं जो व्यक्ति के दूर के रिश्तेदार होते हैं. लेकिन इन दोनों ही लिस्ट में दामाद का नाम शामिल नहीं है.
ऐसे मिल सकता है दावा
अगर पत्नी को अपने पिता से संपत्ति विरासत में मिलती है तो दामाद अपनी पत्नी के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से उस संपत्ति पर अधिकार कर सकता है. यह पैतृक संपत्ति के मामलों में विशेष रूप से प्रासंगिक है जहां बेटी का उस पर वैध दावा होता है. एक बार जब बेटी को संपत्ति विरासत में मिल जाती है, तो दामाद उसके जीवनसाथी के रूप में लाभ उठा सकता है, लेकिन अपनी हैसियत से नहीं.
क्या है कानूनी तरीका
वसीयत के जरिए: अगर ससुर अपनी वसीयत में विशेष रूप से दामाद का नाम लिखते हैं तो उनके निधन के बाद उस प्रॉपर्टी पर पूरा कानूनी अधिकार दामाद का हो जाता है.
गिफ्ट डीड के जरिए: कोई भी शख्स अपनी बेटी और दामाद को उपहार के तौर पर प्रॉपर्टी दे सकता है. इस प्रॉपर्टी को ‘गिफ्ट डीड’ के तौर पर रजिस्टर करना जरूरी होता है ताकि वो कानूनी रूप से दामाद के नाम हो जाए.
अन्य धर्मो के लिए क्या है कानून
मुसलमानों के मामले में, उत्तराधिकार इस्लामी शरिया कानून के तहत तय होता है. शरीयत के अनुसार, ससुर संपत्ति के केवल 1/3 हिस्से को ही वसीयत के जरिए किसी गैर-उत्तराधिकारी (जैसे दामाद) को दे सकता है. वहीं, ईसाई धर्म में भी हिंदुओं की तरह दामाद का कोई हक नहीं होता है. केवल पत्नी के हिस्से में आई प्रॉपर्टी और गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी पर ही दामाद हक जता सकता है.
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