भारत-पाक टेंशन के बीच अच्छी खबर, चार दिन पहले दस्तक देगा मानसून; जमकर होगी बारिश

इस साल मानसून समय से पहले, 27 मई को केरल पहुंचेगा, जो सामान्य तारीख 1 जून से लगभग चार दिन पहले है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान लगाया है कि जून से सितंबर के बीच देश में सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है, यानी कुल बारिश लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) का 105 फीसदी तक हो सकती है.

भारत में मानसून Image Credit: @Money9live

मौसम को लेकर बड़ा अपडेट आ गया है. मौसम विभाग के मुताबिक इस साल समय से पहले मानसून दस्तक दे सकता है. दरअसल 27 मई को मानसून केरल के तट पर पहुंच सकता है. वहीं आमतौर पर मानसून 1 जून तक केरल तट पर पहुंचता है, IMD के मुताबिक अगर मानसून केरल में उम्मीद के अनुरूप पहुंचता है तब 2009 के बाद यह दूसरा मौका होगा जब मानसून का समय से पहले आगमन हुआ हो. उस वक्त मानसून 23 मई को भारत में प्रवेश किया था.

पिछले साल कब आया था मानसून?

पिछले साल मानसून 30 मई को केरल पहुंचा था. आमतौर पर मानसून के आगमन की तारीख में 7 दिनों का अंतर हो सकता है. इस बार सैटेलाइट तस्वीरों में अंडमान सागर और केरल के आसपास घने बादलों की मौजूदगी साफ देखी जा रही है, जो मानसून के पहले दस्तक देने की पुष्टि कर रहे हैं.

ज्यादा बारिश के आसार

आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून एक जून तक केरल में दस्तक देता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है. वहीं 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू कर देता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है. IMD ने अप्रैल में 2025 के मानसून में सामान्य से ज्यादा कुल बारिश का फोरकास्ट जताया था. IMD की लंबी अवधि की भविष्यवाणी के अनुसार, इस साल जून से सितंबर के बीच देश में सामान्य से अधिक बारिश यानी LPA (लॉन्ग पीरियड एवरेज) का 105 फीसदी बारिश हो सकती है, असल हालात 5 फीसदी ऊपर-नीचे हो सकते हैं.

भारत के लिए बारिश का महत्व

देश में हर साल कुल बारिश का करीब 70 फीसदी हिस्सा मानसून के जरिए ही मिलता है. भारत की 51 फीसदी खेती बारिश पर निर्भर है और करीब 47 फीसदी जनसंख्या की आजीविका कृषि से जुड़ी है. इसलिए लगातार और मध्यम बारिश खेती और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बेहद जरूरी होती है. इससे चीनी, चावल, दाल और सब्जियों जैसी जरूरी चीजों की कीमतें काबू में रहती हैं, जिससे महंगाई को भी नियंत्रित किया जा सकता है.

IMD ने मानसून का अनुमान लगाने के लिए 6 वैज्ञानिक संकेतकों का उपयोग किया है:

  • उत्तर-पश्चिम भारत का न्यूनतम तापमान
  • दक्षिण भारत में प्री-मानसून बारिश
  • उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर का औसत समुद्री दबाव
  • दक्षिण चीन सागर में विकिरण
  • पूर्वोत्तर हिंद महासागर में निचली सतह की हवाएं
  • इंडोनेशिया क्षेत्र में ऊपरी सतह की हवाएं

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