भारत का राफेल और पाकिस्तान का F-16, ऑपरेशन सिंदूर के बाद कौन है असली बादशाह

ऑपरेशन सिंदूर की शानदार सफलता ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान की हवाई ताकत को लेकर चर्चा तेज कर दी है. भारत की ओर से जहां राफेल ने मोर्चा संभाला, वहीं पाकिस्तान की ओर से एफ-16 को मैदान में उतारा गया. ऐसे में आइए जानते हैं कि दोनों में कौन अधिक ताकतवर है और साथ ही दोनों की क्या-क्या खासियतें हैं.

भारत का राफेल और पाकिस्तान का F-16

Rafale vs F-16: ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी के बाद एक बार फिर भारत और पाकिस्तान की हवाई ताकत की तुलना चर्चा में आ गई है. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने राफेल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करते हुए आतंकियों के ठिकानों पर सटीक और गहरे हमले किए, वो भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के भीतर तक. लेकिन जब भी भारत के राफेल की बात होती है, तो पाकिस्तान के पास मौजूद F-16 को अक्सर मुकाबले में रखा जाता है. ऐसे में यह सवाल फिर से उठ खड़ा हुआ है कि दोनों में असली ताकतवर कौन है? आइए, राफेल और F-16 के बीच की तुलना करते हैं और जानते हैं कि दोनों की क्या खासियतें हैं.

तकनीकी पीढ़ी और इंजन की ताकत

राफेल एक 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान है जिसमें दो इंजन लगे हैं, जिससे यह ज्यादा ताकतवर और टिकाऊ बनता है. वहीं F-16 एक चौथी पीढ़ी (4th Gen) का सिंगल इंजन फाइटर जेट है, जो अब तकनीकी रूप से पुराना हो चला है.

मिसाइल क्षमता में कौन आगे?

राफेल Meteor (150 किमी), SCALP (300 किमी) और MICA (100 किमी) जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस है. वहीं F-16 सिर्फ AIM-120 AMRAAM मिसाइल पर निर्भर है, जिसकी रेंज भी कम (80-100 किमी) है.

रडार सिस्टम की तुलना

राफेल का AESA रडार एक साथ 100 किमी के दायरे में 40 टारगेट पकड़ सकता है. जबकि F-16 का AN/APG-68 रडार 84 किमी तक की रेंज में सिर्फ 20 टारगेट ही ट्रैक कर पाता है.

इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में कौन बेहतर?

राफेल में लगा ‘SPECTRA’ सिस्टम दुश्मन के रडार को जाम करने, मिसाइलों को भटकाने और खुद को बचाने में काफी एडवांस है. वहीं F-16 इस मामले में पीछे है और इसमें ऐसी आधुनिक तकनीक मौजूद नहीं है.

हथियार ले जाने की क्षमता

राफेल में कुल 14 हार्डपॉइंट्स हैं और यह करीब 9.5 टन हथियार ले जा सकता है. जबकि F-16 के पास सिर्फ 9 हार्डपॉइंट्स होते हैं और इसकी पेलोड क्षमता भी कम है.

उड़ान क्षमता और मैनूवरेबिलिटी

राफेल के दो इंजन और डेल्टा विंग डिजाइन इसे ज्यादा फुर्तीला और लंबी दूरी के मिशनों के लिए सक्षम बनाते हैं. जबकि F-16 हल्का जरूर है, लेकिन इसकी ताकत और उड़ान की सीमा राफेल से कम है.

मेंटेनेंस और ऑपरेशनल रेडिनेस

राफेल की मेंटेनेंस जरूरतें कम हैं और इसे कम समय में फिर से उड़ान के लिए तैयार किया जा सकता है. वहीं F-16 पाकिस्तान के पास अधिकतर पुराना बेड़ा है जो मेंटेनेंस और स्पेयर पार्ट्स की भारी कमी से जूझ रहा है, खासकर अमेरिका से बढ़ते डिप्लोमैटिक दबावों के कारण.

नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर में बढ़त

राफेल पूरी तरह से नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर में सक्षम है. मतलब, यह दूसरे विमानों, ग्राउंड कंट्रोल, और सैटेलाइट्स के साथ एक साथ जुड़कर रियल टाइम में डेटा शेयर कर सकता है. जबकिF-16 में ये क्षमताएं सीमित हैं, खासकर पाकिस्तान के पास मौजूद पुराने वेरिएंट्स में.

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