शर्म-ए-शेख में गाजा शांति सम्मेलन के लिए पीएम मोदी को ट्रंप और सिसी का मिला आमंत्रण, भारत के लिए क्या मायने?
मध्य पूर्व में बढ़ती हलचल के बीच, भारत की भागीदारी पर सभी की नजरें हैं. इस अहम मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले से क्षेत्रीय शांति और भारत की भूमिका पर बड़ा असर पड़ सकता है. राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से यह समय बेहद महत्वपूर्ण है.

मिडिल ईस्ट में तनाव अभी पूरी तरह से थमा तो नहीं, पर वैश्विक स्तर पर शांति कायम करने के लिए हलचल शुरू हो गई है. ऐसे में इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाजा शांति सम्मेलन में शामिल होने का आमंत्रण भेजा है. यह सम्मेलन 13 अक्टूबर, सोमवार को मिस्र के शार्म-ए-शेख में आयोजित किया जाएगा. इस आमंत्रण को ‘लास्ट मिनट’ करार दिया गया है, और अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय ने पुष्टि नहीं की है कि मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे या नहीं.
भारत के लिए संभावित अवसर
मिस्र की प्रेस रिलीज के अनुसार, यह सम्मेलन दो अध्यक्ष, ट्रंप और सिसी की संयुक्त अध्यक्षता में होगा, जिसमें 20 से अधिक देशों के नेता भाग लेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य गाजा पट्टी में जारी संघर्ष को समाप्त करना, क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना और मध्य पूर्व में सुरक्षा के नए अध्याय को खोलना है. प्रेस बयान में बताया गया कि यह पहल ट्रंप की वैश्विक शांति की दृष्टि और संघर्ष समाप्त करने के मजबूत प्रयास को दिखाती है.
अगर प्रधानमंत्री मोदी सम्मेलन में भाग लेते हैं, तो यह उनके लिए ट्रंप से मुलाकात करने और भारत की मध्य पूर्व में सक्रिय भागीदारी को मजबूत करने का अवसर होगा. साथ ही, इससे भारत की फिलिस्तीनी मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट होगी और क्षेत्रीय शांति की दिशा में उसका समर्थन भी दिखेगा. यह मिस्र के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का भी मौका देगा.
भारत-अमेरिका संबंधों में हालिया घटनाक्रम
इस बीच, अमेरिका के नए राजदूत सेरिजियो गोर ने शनिवार को नई दिल्ली का दौरा किया. यह उनका भारत में पहला औपचारिक दौरा था, जो हालिया तनावपूर्ण संबंधों जैसे उच्च शुल्क और एच-1बी वीजा फीस में बदलाव के बीच हुआ. गोर ने प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और विदेश सचिव विक्रम मिश्र से मुलाकात की. उनके अमेरिकी सीनेट में confirmation hearings के दौरान उन्होंने भारत को “एक रणनीतिक साझेदार” बताया था, जिसका प्रभाव न सिर्फ क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महसूस होगा. इंडियन एक्सप्रेस ने अपने रिपोर्ट में बताया कि सेरिजियो गोर 9 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे.
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यह सम्मेलन न केवल गाजा संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, बल्कि भारत की विदेश नीति और मध्य पूर्व में उसकी भूमिका को भी नई दिशा देने की संभावना रखता है.
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