
80 करोड़ लोगों को अनाज देने की फिक्र में सरकार लेगी बड़ा फैसला? सरकार ने क्यों रोका गेहूं का एक्सपोर्ट
भारत इस समय गेहूं और गेहूं से बने उत्पादों के निर्यात को लेकर सतर्क रुख अपनाए हुए है. उद्योग जगत बार-बार एक्सपोर्ट की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार का मानना है कि इससे देश की खाद्य सुरक्षा (Food Security) प्रभावित हो सकती है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को सब्सिडी पर राशन उपलब्ध कराया जाता है. ऐसे में गेहूं का पर्याप्त भंडार बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है.
FCI (भारतीय खाद्य निगम) और NAFED इस काम में बड़ी भूमिका निभाते हैं. ये संस्थाएं किसानों से अनाज की खरीद कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली और पोषण योजनाओं में सप्लाई सुनिश्चित करती हैं. अगर निर्यात की इजाजत दी जाती है, तो घरेलू उपलब्धता कम हो सकती है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग पर असर पड़ेगा.
सरकार PM POSHAN, DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) और फूड फोर्टिफिकेशन जैसी योजनाओं पर भी काम कर रही है ताकि लोगों को सस्ता और पौष्टिक भोजन मिल सके. इन योजनाओं से बच्चों के पोषण स्तर को मजबूत करने और भूख की समस्या को दूर करने में मदद मिल रही है. इसलिए सरकार संतुलन बनाकर ही आगे बढ़ना चाहती है ताकि घरेलू जरूरतें पूरी हों और वैश्विक व्यापार के अवसर भी सुरक्षित रहें.
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