
Debt on India | External Debt | क्या सरकार के पास कर्ज लेने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है?
भारत का बाहरी कर्ज तेजी से बढ़कर 763.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले सात सालों में सबसे तेज बढ़त है. यह आंकड़ा पहली नजर में भारी लग सकता है, लेकिन इसकी गहराई समझना जरूरी है. भारत के कुल बाहरी कर्ज का लगभग 54 फीसदी हिस्सा अमेरिकी डॉलर में है, जिससे डॉलर की मजबूती भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल सकती है. हालांकि, रुपये में लिए गए कर्ज की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है, जो एक तरह का बैलेंस प्रदान करती है. अच्छी खबर यह है कि भारत के पास इतना फॉरेक्स रिजर्व है, जिससे 90 फीसदी बाहरी कर्ज को कवर किया जा सकता है. इसके अलावा, भारत का debt-to-GDP ratio सिर्फ 19.1 फीसदी है, जो कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले काफी सुरक्षित माना जाता है. वैश्विक स्तर पर भी भारत का स्थान अभी स्थिर कैटेगरी में है. कुल मिलाकर, कर्ज जरूर बढ़ा है लेकिन अभी घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सतर्क रहकर पॉलिसी मैनेजमेंट करना अहम होगा.
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